गांवों के उत्पाद को बाजार मुहैया कराने के लिए मिलेगा ई-कॉमर्स का मंच, घरों तक पहुंचाएगा डाकघर
गांव के लोग किस तरह के उत्पाद तैयार करते हैं। किस तरह के उत्पादों की डिमांड ज्यादा है। इसे लेकर सिंफर विज्ञानी पंचायत स्तर पर डाटा एकत्रित कर रहे हैं।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। धनबाद में झारखंड के पहले इंफॉर्मेशन एंड फैसिलिटेशन सेंटर की स्थापना होगी। इस सेंटर पर न सिर्फ कौशल विकास, स्थानीय स्तर पर रोजगार के विकल्प, हर्बल और औषधीय पौधों की खेती समेत अन्य प्रशिक्षण दिए जाएंगे, बल्कि गांव में बनने वाले सामान और हस्तशिल्प को ई-कॉमर्स कारोबार का रूप दिया जाएगा। ग्रामीण प्रोडक्ट डाकघरों की मदद से घर-घर पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय के पायलट प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी शीर्ष शोध इकाई केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) को सौंपी गई है। तमाम प्रशिक्षण सिंफर के विज्ञानियों की टीम ही देगी।
गांव के लोग किस तरह के उत्पाद तैयार करते हैं। किस तरह के उत्पादों की डिमांड ज्यादा है। इसे लेकर सिंफर विज्ञानी पंचायत स्तर पर डाटा एकत्रित कर रहे हैं। मुखिया से हस्तशिल्प बनाने वालों का नाम और पता भी लिया जा रहा है। इससे ट्रेनिंग के दौरान संपर्क करने और उन्हें सेंटर तक बुलाने में मदद मिलेगी।
सिंफर विज्ञानी इसके लिए ई मार्केटिंग एप भी विकसित कर रहे हैं। एप में कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के फीचर्स शामिल किए जा रहे हैं। इस एप से ग्रामीण उत्पादकों को भी जोड़ा जाएगा।
ई कॉमर्स के कारोबार में पैकिंग भी अच्छे व्यवसाय का एक बड़ा हिस्सा है। गांव के लोगों को फैसिलिटेशन सेंटर पर पैकिंग का तरीका भी बताया जाएगा। घर-घर तक सामान पहुंच सके, इसके लिए डाकघर की मदद ली जाएगी।
कोरोना काल में रोजगार की चुनौतियां बढ़ी हैं। खासतौर पर गांवों में बड़ी तादाद में लोगों की घर वापसी हुई है। उन्हें रोजगार से जोडऩा है। इससे सामाजिक उत्थान और स्थानीय संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा। संस्थान के पर्यावरण और दूसरे विशेषज्ञ विज्ञानी इस टीम में रहेंगे।-डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, निदेशक, सिंफरफैसिलिटेशन सेंटर के लिए संबंधित मंत्रालय ने जिला प्रशासन को भी पत्र दिया गया है। प्रशासनिक स्तर पर सेंटर उपलब्ध कराने के लिए बात हो रही है। जितनी जल्दी सेंटर उपलब्ध होगा, ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी। अलग-अलग प्रकार की ट्रेनिंग के लिए एक्सपर्ट विज्ञानी रहेंगे।-डॉ. एसके चौल्या, प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर, सिंफर