Coal Linkage Dispute: कोल इंडिया को आइसीए धनबाद ने दी चुनाैती, नहीं संभल रहा तो मालिकों को लौटा दें खदान
दुनिया में कहीं भी कोयले का ऑक्शन नहीं होता। सर्वाधिक उत्पादन करने वाले चीन व ऑस्ट्रेलिया में भी तय कीमत पर कोयला बेचा जाता है। यही वजह है कि कंपनी की यह गति हुई है कि वेतन के पैसे नहीं। इससे शर्मनाक क्या हो सकता है।
धनबाद, जेएनएन। कोल इंडिया के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक को कंपनी की वास्तविकता का ज्ञान नहीं है। वे राजारहाट में बैठते हैं। इसलिए वे कुछ भी बोल देते हैं। उन्हें ग्राउंड रिपोर्ट की जानकारी होती तो वे यह कभी नहीं कहते कि लगातार ऑक्शन करने से लिकेंज की जरूरत नहीं रहेगी। यह कहना था इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन धनबाद के अध्यक्ष बीएन सिंह का। वे संस्था की 87वीं वार्षिक आम सभा के बाद पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। चेयरमैन के हालिया दौरे के दौरान लिंकेज पर विचार नहीं करने के सवाल पर सिंह ने कहा कि यदि चेयरमैन को कंपनी की सही जानकारी होती तो आज कोयला उद्योग की यह हालत न होती।
दुनिया में कहीं भी कोयले का ऑक्शन नहीं होता
सीआइएल चेयरमैन की ओर से लिंकेज को रेड सिग्नल देने से खफा आइसीए चेयरमैन ने कहा कि यदि सरकार और कोल इंडिया से खदान नहीं संभल रहे तो उन्हें उनके पुराने मालिकों को लौटा दें। सिंह का कहना था कि दुनिया में कहीं भी कोयले का ऑक्शन नहीं होता। सर्वाधिक उत्पादन करने वाले चीन व ऑस्ट्रेलिया में भी तय कीमत पर कोयला बेचा जाता है। यही वजह है कि कंपनी की यह गति हुई है कि वेतन के पैसे नहीं। इससे शर्मनाक क्या हो सकता है।
सबसे अवैज्ञानिक खनन यहीं
सिंह ने कहा कि खदानों के राष्ट्रीयकरण के दौरान प्रमुख उद्देश्य कोङ्क्षकग कोल का संरक्षण, श्रमिकों को शोषण से बचाना व वैज्ञानिक तरीके से खनन था। हकीकत यह है कि सर्वाधिक अवैज्ञानिक खनन यहीं है। ठेका पर उत्पादन हो रहा है और श्रमिकों का शोषण चरम पर है। कोङ्क्षकग कोल भी पावर सेक्टर को बेचकर उसे नष्ट किया जा रहा है। राष्ट्रीयकरण के उद्देश्यों के ठीक उल्टा काम कोल इंडिया व बीसीसीएल कर रही है।
झमाडा को नहीं बाजार फीस का अधिकार
आइसीए के वरीय उपाध्यक्ष एसके सिन्हा ने कहा कि झारखंड माइंस एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी ने हार्डकोक उद्योगों को 2.25 फीसद बाजार फीस का नोटिस दिया है। यह गलत है। बाजार फीस मात्र एक फीसद हो सकता है और वह भी कच्चा माल पर। बीसीसीएल से कोयला पर बाजार फीस वसूलने के बाद एक ही सामग्री पर दोबारा यह नहीं लगाया जा सकता। कोयला और कोक में कोई अंतर भी नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है। झमाडा के निर्देश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मुद्दे पर राज्य सरकार से भी वार्ता की जाएगी।
कई नए रंगदार बने हैं
आइसीए अध्यक्ष बीएन सिंह का कहना था कि कोयला उद्योग में रंगदारी कम नहीं हुई बल्कि बढ़ी है। बाघमारा इलाके में कोयला ढुलाई में विधायक ढुलू के साथ विवाद पर उन्होंने कहा कि कहीं कोई समस्या खत्म नहीं हुई। बीसीसीएल के एरिया एक से चार तक 850 रुपये प्रति टन लोडिंग चार्ज लिया जा रहा है। एरिया पांच से 12 तक में 400 से 650 रुपये प्रति टन लोडिंग चार्ज लग रहा है। सिंह का कहना था कि राज्य में सत्ता बदलने के बाद कई नए रंगदार पैदा हो गए हैं। व्यवसायी दहशत में हैं।
बिजली समस्या ने बढ़ाई उद्योग की समस्या
सिंह ने राज्य सरकार से बिजली व्यवस्था सुधारने की मांग की। कहा कि डीजल महंगा हो गया है। बिजली कटौती चरम पर है। यह समझ से परे है कि डीवीसी मुद्दे पर केंद्र-राज्य की टकराहट में आम लोगों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। उनका कहना था कि बिजली कटौती से काम बाधित होता है, महंगी दर पर डीजल से जेनरेटर चलाना पड़ा है और बिजली जितनी बार आती है उतनी बार मशीन शुरू करने में अधिक पावर की जरूरत होती है। इससे कारोबारियों पर तिहरा मार पड़ रहा है। सरकार ने जल्द विचार नहीं किया तो हार्डकोक उद्योग बंद हो जाएगा। अभी भी मात्र 50 फीसद ही खुले हैं और उनमें भी 25 फीसद ही उत्पादन हो रहा है।
आइसीए के 87वें वार्षिक आमसभा में बीएन सिंह फिर बने अध्यक्ष
इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन की 87वीं वार्षिक आमसभा बुधवार को हुई। इस दौरान नई कमेटी गठित की गई। बीएन सिंह पुन: एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए। कमेटी के अन्य सदस्यों में एसके सिन्हा वरीय उपाध्यक्ष, रतनलाल अग्रवाल कनीय उपाध्यक्ष बनाए गए। कार्यसमिति सदस्यों में योगेंद्र नाथ नरुला, इंद्रमोहन मेनन, दीपक कुमार पोद्दार, कैलाश प्रसाद अग्रवाल, राम कुमार अग्रवाल, केदारनाथ मित्तल, सज्जन कुमार खरकिया, रामेश्वर दयाल अग्रवाल, अमितेश कुमार सहाय, अमित डोकानिया, नवीन कुमार सिन्हा, सच्चिदानंद सिंह, रमेश कुमार गुटगुटिया, अनिल सांवडिय़ा, सज्जन कुमार अग्रवाल व सुनील कुमार अग्रवाल शामिल हैं।
21 वर्ष से अध्यक्ष हैं बीएन सिंह
बैद्यनाथ सिंह पिछले 21 वर्षों से इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। एसोसिएशन के कार्यकाल में यह सबसे लंबा कार्यकाल है। सिंह सबसे पहले वर्ष 2000 में अध्यक्ष चुने गए हैं। इस बार वे दो वर्ष के लिए अध्यक्ष चुने गए हैं। वे दिसंबर 2022 तक अध्यक्ष रहेंगे। इस प्रकार उनका कार्यकाल 23 वर्षों का हो जाएगा। सिंह से पहले सबसे लंबा कार्यकाल पूर्व राज्यसभा सांसद परमेश्वर कुमार अग्रवाल का रहा। अग्रवाल लगभग 12 वर्ष तक एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे थे।