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31 के बाद रिटर्न फाइल पर ब्याज के साथ दस हजार जुर्माना

अगर आप 31 दिसंबर तक भी आइटीआर फाइल नहीं करते और 31 मार्च 2019 तक आयकर रिटर्न फाइल करते हैं, तो आपको दस हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

By mritunjayEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 06:37 PM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 06:37 PM (IST)
31 के बाद रिटर्न फाइल पर ब्याज के साथ दस हजार जुर्माना
31 के बाद रिटर्न फाइल पर ब्याज के साथ दस हजार जुर्माना

धनबाद, जेएनएन। आयकर विभाग की निर्धारित समय सीमा के अंदर आयकर रिटर्न (आइटीआर) दाखिल करना ही होगा। ऐसा न करने पर भारी-भरकम जुर्माने के लिए तैयार रहें। जो भी रिटर्न दाखिल करने के दायरे में आते हैं उन्हें हर हाल में निर्धारित तिथि के अंदर रिटर्न फाइल करना होगा। ऑडिट वाले करदाताओं के लिए 31 दिसंबर तक समय-सीमा दी गई है। निर्धारित तिथि के बाद जुर्माने की रकम के साथ ही रिटर्न फाइल होगी। अगर जुर्माना नहीं दिया तो सिस्टम में रिटर्न फाइल होगा ही नहीं। 

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अगर आप 31 दिसंबर तक भी आइटीआर फाइल नहीं करते और 31 मार्च 2019 तक आयकर रिटर्न फाइल करते हैं, तो आपको दस हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। यदि 31 मार्च 2019 तक भी आइटीआर फाइल नहीं करते तो आप वित्तीय वर्ष 2018 का इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर पाएंगे। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता जाएगा, जुर्माने के साथ ब्याज की राशि भी बढ़ती जाएगी। आयकर विभाग धनबाद प्रक्षेत्र के अंतर्गत देवघर, गिरिडीह, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़, गोड्डा और साहिबगंज जिले आते हैं।

यह भी जानें

- करयोग्य आमदनी सालाना पांच लाख रुपये से कम है, तो समय से आइटीआर फाइल नहीं करने पर अधिकतम जुर्माना एक हजार रुपये हो सकता है।

- आयकर विभाग से कोई नोटिस मिला है और उसके जवाब में आइटीआर फाइल कर रहे हैं, तो पिछले कई वर्षों के इनकम टैक्स रिटर्न देर से भी फाइल कर सकते हैं।

- किसी कारण इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) रिवाइज करना पड़ता है, तो वह केवल 31 मार्च तक ही होगा। आइटीआर की ऐसी किसी गलती 31 मार्च 2019 तक ही सुधार सकते हैं।

- देर से आइटीआर फाइल करने पर कैपिटल गेंस या लॉस का आगे के वित्त वर्ष में लाभ (कैरी फॉरवर्ड) नहीं ले पाएंगे।

- इनकम टैक्स की देनदारी बनती है और उसका भुगतान बकाया है, तो एक फीसदी हर महीने के हिसाब से जुर्माना भी जमा करना होगा।

- यदि आपने घर, संपत्ति, जेवर, कार, शेयर, बॉन्ड आदि कुछ भी बेचा है तो उससे होने वाले लाभ को कैपिटल गेंस कहते हैं। इसी तरह पर इस तरह की संपत्ति को बेचने से होने वाले नुकसान पर कैपिटल लॉस होता है। कैपिटल गेंस को सरकार आपकी आमदनी का हिस्सा मानती है और इस पर इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है।

आयकर अधिनियम की धारा 234एफ के तहत आयकर रिटर्न के नियमों में बदलाव किया गया है। आयकर रिटर्न समय पर भरें और नोटिस व अन्य कानूनी कार्यवाहियों से बचें। निर्धारित तिथियों के बाद रिटर्न दाखिल न करने वाले सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित होंगे। भविष्य में किसी भी तरह का लोन, होम लोन, बिजनेस लोन, कार लोन नहीं मिल पाएगा। अगर कोई टीडीएस रिफंड देय है तो वह भी नहीं मिलेगा।

- आरके चौधरी, आइटीओ हेडक्वार्टर


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