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धनबाद नगर निगम की 45 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा, पड़ताल किए बिना आवास-अपार्टमेंट निर्माण को दे दिया होल्डिंग नंबर

धनबाद नगर निगम की जमीन कब्जा का खेल काफी दिनों से चल रहा है। आप इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अवैध कब्जा को लेकर 2018 में पूर्व नगर आयुक्त राजीव रंजन ने नगर विकास विभाग के सचिव से निगरानी जांच की अनुशंसा भी की थी।

By Sagar SinghEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 12:37 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 12:37 PM (IST)
धनबाद नगर निगम की 45 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा, पड़ताल किए बिना आवास-अपार्टमेंट निर्माण को दे दिया होल्डिंग नंबर
धनबाद के विनोद नगर स्थित नगर निगम की जमीन पर अतिक्रमण।

धनबाद, जेएनएन। धनबाद नगर निगम की अधिग्रहित जमीन पर अतिक्रमण कर कुछ लोग उसकी खरीद-बिक्री कर रहे हैं। यह आज से नहीं बल्कि नगर निगम के गठन से पहले से चल रहा है। नगर निगम की लगभग 45 एकड़ जमीन अवैध कब्जे की शिकार है। इसकी बाजार कीमत लगभग 15 करोड़ है। इसमें विनोद नगर ट्रेचिंग ग्राउंड की पांच एकड़ की जमीन भी शामिल है, जहां एक दिन पहले ही नगर आयुक्त ने अतिक्रमण कर रह रहे लोगों का होल्डिंग नंबर तत्काल प्रभाव से रद कर दिया।

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नगर निगम की जमीन कब्जा करने का खेल काफी दिनों से चल रहा है। आप इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अवैध कब्जा को लेकर 2018 में निगम के पूर्व नगर आयुक्त राजीव रंजन ने नगर विकास विभाग के सचिव से निगरानी जांच की अनुशंसा भी की थी। उन्होंने यह भी लिखा था कि इसमें कुछ लोगों ने राजनीतिक प्रभाव का भी इस्तेमाल किया है। यह अभी भी जारी है, इसलिए मामले की निष्पक्ष और व्यापक जांच जरूरी है। धनबाद नगर निगम के गठन से पहले कई ऐसे प्लाॅट्स थे, जिनका मालिकाना हक धनबाद नगरपालिका और अब नगर निगम के पास है। लेकिन इसके दस्तावेज निगम कार्यालय में नहीं हैं।

उन्होंने यह भी कहा था कि जिला राजस्व प्रशासन के राजस्व कर्मचारी, अमीन अंचलाधिकारी, अपर समाहर्ता आदि की भूमिकाओं की भी जांच होनी चाहिए। इनकी सहमति के बिना अतिक्रमण और अवैध हस्तांतरण संभव नहीं है। कई लोग राजस्व पदाधिकारी से मिलीभगत कर अवैध कब्जे वाली जमीन को वैध कराने के प्रयास में हैं। इसलिए विस्तृत जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि किन-किन जगहों पर किस रूप में यह गैरकानूनी काम हुआ है। पत्र में पूर्व नगर आयुक्त ने आशंका जताई कि निगम की जमीन का अतिक्रमण और खरीद-बिक्री के अधिकांश मामले 2006 के पहले का है। नगरपालिका बोर्ड के भंग रहने का फायदा उठाया गया। इसमें निगम कर्मियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। राजीव रंजन ने नगर विकास विभाग को भेजे पत्र में अवैध हस्तांतरण और अतिक्रमण के कुछ उदाहरण भी दिए थे।

जमीन के अवैध हस्तांतरण के उदाहरण

  • विनोद नगर ट्रेचिंग ग्राउंड : 5.275 एकड़
  • धनबाद ट्रेचिंग ग्राउंड : 4.07 एकड़
  • रिफ्यूजी मार्केट टेंपल रोड स्थित ग्राउंड : 2.89 एकड़
  • मनईटांड़ माड़ी गोदाम : आठ एकड़
  • भवतारिणी पथ मनईटांड़ : तीन एकड़
  • गांधी नगर : सात एकड़
  • बाबूडीह और धीरेंद्रपुरम : पांच एकड़

अवैध कब्जाधारियों को मिल रही हर सुविधा

सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि निगम की जमीनों पर अवैध कब्जा करनेवालों को हर तरह की सुविधा मिल रही है। इसमें सड़क, स्ट्रीट लाइट, नाली, पानी, डोर टू डोर कचरा उठाव और बिजली कनेक्शन तक शामिल है। निगम के कुछ बाबुओं ने इनपर खास मेहरबानी करते हुए होल्डिंग नंबर तक जारी कर दिया। सभी जमीन प्राइम लोकशन पर हैं। कई जगह तो आवास और अपार्टमेंट भी बन गए हैं। जरा सोचिए आवास और अपार्टमेंट बनाने के लिए निगम ने पड़ताल किए बिना नक्शा भी पास कर दिया। निगम की इन सभी जमीनों का बाजार मूल्य इस समय सात से 20 लाख रुपये प्रति कट्ठा है। कई जमीन तो भू-माफियाओं ने बेच डाली है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी आला अधिकारियों को नहीं है, लेकिन सिर्फ नोटिस का खेल चलता रहा।

निगम के पास काफी जमीन है। कुछ जमीन के बार में तो कार्यालय को जानकारी तक नहीं है। इसकी पड़ताल की जा रही है। निगम की जमीन से अवैध कब्जा और अतिक्रमण हटाया जाएगा। फिलहाल विनोद नगर ट्रेचिंग ग्राउंड में अवैध रूप से रह रहे लोगों को होल्डिंग रद कर दिया गया है। नोटिस भी जा रहा है। अन्य जगह भी यही होगा। -सत्येंद्र कुमार, नगर आयुक्त।


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