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अब आसान नहीं होगा अवैध खनन करना

इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस को लगातार अवैध उत्खनन एवं परिवहन की शिकायत मिल रही थी। ऐसी शिकायतों को ब्यूरो ने गंभीरता से लेते हुए डीजीपीएस सर्वे कराने का निर्णय लिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Apr 2018 10:36 AM (IST)Updated: Tue, 24 Apr 2018 10:56 AM (IST)
अब आसान नहीं होगा अवैध खनन करना
अब आसान नहीं होगा अवैध खनन करना

बलवंत कुमार, धनबाद: झारखंड में विभिन्न खदानों से हो रहे उत्खनन कार्यो पर अब सरकार सीधे निगरानी रखेगी। साथ ही अवैध खनन कार्यो पर रोक लगाना अब काफी सटीक हो जाएगा। इसके लिए सरकार राज्य भर में संचालित सभी खदानों की डिफरेंशल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी डीजीपीएस के माध्यम से भू संदर्भित कैडस्ट्रल मैप तैयार कराने जा रही है। इससे खदानों की चौहद्दी और उसकी स्थिति के बारे में पूरी जानकारी सरकार को आसानी से उपलब्ध होगी। इस सर्वे के लिए राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

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खनन कार्य की मिलेगी सटीक जानकारी: डीजीपीएस के माध्यम से सर्वे का यह सभी खदानों में किया जाना है। डीजीपीएस सर्वे में जो आंकड़े एक खदान से संबंधित सरकार को प्राप्त होंगे, उसका मिलना उस खदान के लीज दस्तावेजों से मिलाया जाएगा। इससे यह पता चल सकेगा कि खदान में निर्धारित मात्रा, सीमा और मापदंड के अनुसार खनन कार्य किया जा रहा है या नहीं। सरकार की ओर से जितने भी खनन पट्टा निर्गत किया गया है, यह सभी डीजीपीएस सर्वे के दायरे में आएंगे। सरकार यह काम चीफ कंट्रोलर ऑफ माइंस एवं भारतीय खान ब्यूरो के निर्देश पर खनिज रियायतों के सीमा स्तंभ का सर्वेक्षण कराया जाएगा।

पांच कंपनियां करेंगी काम: इसके लिए राज्य में पांच कंपनियों को अनुबंधित किया गया है। इनमें झारखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर रांची, साइबर स्वीफ्ट इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता जेम प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड रांची, नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट एंड टेक्नो कंसल्टेंसी सर्विसेस और जेम सर्वेयर एंड इंजीनिय¨रग कंसलटेंट जमेशदेपुर शामिल हैं। डीजीपीएस सर्वे कार्य के लिए राशि का भुगतान खनन पट्टा धारक कंपनियों अथवा अनुज्ञप्तिधारी को करना होगा।

धनबाद में अवैध खनन जोरों पर: धनबाद जैसे क्षेत्र में कोयला एवं पत्थर खनन जोरों पर हो रहा है। कोयला उत्खनन का काम आउटसोर्सिग कंपनियों के माध्यम से किया जा रहा, जबकि पत्थर उत्खनन का काम अनुज्ञप्ति के आधार पर हो रहा है। इसके अलावा बालू उठाव का भी कार्य जोरों पर है। इन सभी जगहों पर अवैध उत्खनन और उठाव के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं। ऐसे में इस अवैध धंधे पर रोक लगाने में डीजीपीएस सर्वे को सही माना जा रहा है।

अवैध उत्खनन की शिकायतों पर आइबीएम रेस: इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस को लगातार अवैध उत्खनन एवं परिवहन की शिकायत मिल रही थी। ऐसी शिकायतों को ब्यूरो ने गंभीरता से लेते हुए डीजीपीएस सर्वे कराने का निर्णय लिया। खनन की वास्तविक स्थिति का पता चलने के बाद सरकार द्वारा अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना आसान होगा।


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