Missile Technology: ब्रह्मोस मिसाइल को तकनीकी मदद करेगा आइआइटी-आइएसएम, एमओयू की तैयारी में L&T India
मिसाइल को मजबूत बनाने का प्रोजेक्ट एलएनटी को भारत सरकार ने दिया है। अब एलएनटी के अधिकारियों ने आइआइटी आइएसएम से संपर्क किया है। ताकि यहां के विशेषज्ञों को यह जिम्मा दिया जा सके। कई दौर की वार्ता और बैठकें हो चुकी हैं।
धनबाद [ शशिभूषण ]। भारतीय सेना की शान ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का नाम सुन दुश्मन को भी पसीना आ जाता है। इसे और दमदार बनाने को जल्द और उन्नत स्वदेशी तकनीक से लैस किया जाएगा। इससे यह पहले से ज्यादा शक्तिशाली तो होगी ही, इसका वजन भी नहीं बढ़ेगा। मिसाइल के मारक क्षमता से लेकर रफ्तार भी बढ़ेगी। जी हां इसे दमदार बनाने में इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (आइआइटी) धनबाद का अहम योगदान होगा। इसके लिए आइआइटी आइएसएम कोई शुल्क भी नहीं लेगा। क्योंकि संस्थान के विशेषज्ञों की सोच है कि हम देश के लिए काम करेंगे। कंसलटेंसी चार्ज नहीं लेंगे, अन्य खर्च लिए जाएंगे। वह भी न्यूनतम। संस्थान की ओर से 12 लाख रुपये का प्रोजेक्ट दिया गया है।
एल एंड टी को मिला मजबूत करने का प्रोजेक्ट
दरअसल आइआइटी आइएसएम के विज्ञानी इस तकनीक पर काम कर रहे हैं। मिसाइल को मजबूत बनाने का प्रोजेक्ट एलएंडटी को भारत सरकार ने दिया है। अब एलएनटी के अधिकारियों ने आइआइटी आइएसएम से संपर्क किया है। ताकि यहां के विशेषज्ञों को यह जिम्मा दिया जा सके। कई दौर की वार्ता और बैठकें हो चुकी हैं। आइआइटी आइएसएम और एलएनटी के बीच अब एमओयू भी होना है। इसके बाद इस तकनीक पर काम शुरू हो जाएगा। हालांकि इस मामले में संस्थान के विज्ञानी फिलहाल कुछ नहीं बता रहे हैं।
आइएसएम ने कहा छह माह में देंगे परिणाम
आइआइटी आइएसएम के विशेषज्ञों ने एलएनटी को दिए प्रेजेंटेशन में कहा है कि छह माह में प्रोजेक्ट का परिणाम दे देंगे। आइएसएम लैब में हवाई जहाज के मेटेरियल विकसित करने का काम किया जाता हैं। यहां के विज्ञानियों ने ऐसा पदार्थ विकसित किया है जिसके प्रयोग से मिसाइल का वजन नहीं बढ़ेगा। मगर उसकी मजबूती 17 प्रतिशत बढ़ जाएगी। यह तकनीक मिसाइल की बॉडी में इस्तेमाल होगी। बॉडी को मजबूत बनाने की तकनीक पर केमिकल और मैकेनिकल विभाग के पांच विशेषज्ञ काम करेंगे।