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IIT (ISM) Dhanbad: छात्रों को नहीं भा रही ऑनलाइन पढ़ाई, सर्वे में 66 फीसद ने किया नापसंद

वेबसाइट एमडी ने ऑनलाइन कक्षा को लेकर कई मापदंडों पर आकलन किया है। ऑनलाइन समेस्टर के बारे में किए गए सर्वेक्षण के दौरान जब ऑफलाइन सेमेस्टर के विपरित ऑनलाइन सेमेस्टर के शिक्षण गुणवत्ता के बारे में पूछा गया तो छात्रों का एक बड़े वर्ग की प्रतिक्रिया नाकारात्मक रही।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 06:59 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 06:59 AM (IST)
IIT (ISM) Dhanbad: छात्रों को नहीं भा रही ऑनलाइन पढ़ाई, सर्वे में 66 फीसद ने किया नापसंद
कोरोना के बाद से शैक्षणिक संस्थानों में ऑनलाइन पढ़ाई का ट्रेंड चल पड़ा (प्रतीकात्मक फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। आइआइटी( आइएसएम) के 66 प्रतिशत छात्रों ऑनलाइन पढ़ाई को नापंसद कर दिया है। छात्रों की वेबसाइट एमडी की ओर से हाल ही में किए गए एक सर्वे यह बात सामने आई है। सर्वे में ऑनलाइन मोड में कक्षाओं का संचालन कितना फायदेमंद है। इस पर 66 प्रतिशत छात्र-छात्राओं ने ऑनलाइन पढ़ाई को नापसंद किया है। छात्रों की राय थी कि डिजिटल संसाधनों से शारीरिक शिक्षा मेल नहीं खा सकते। वहीं 65.8 प्रतिशत छात्र समुदाय का मानना है कि व्यवहारिक प्रयोगों के शारीरिक प्रदर्शनों की अनुपस्थिति के कारण ऑनलाइन लैब, कक्षाएं मददगार नहीं है।

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संदेह को दूर करने के लिए ज्यादातर शिक्षक से बात नहीं करते 

वेबसाइट एमडी ने ऑनलाइन कक्षा को लेकर कई मापदंडों पर आकलन किया है। ऑनलाइन समेस्टर के बारे में किए गए सर्वेक्षण के दौरान जब ऑफलाइन सेमेस्टर के विपरित ऑनलाइन सेमेस्टर के शिक्षण गुणवत्ता के बारे में पूछा गया तो छात्रों का एक बड़े वर्ग की प्रतिक्रिया आई की ऑनलाइन शिक्षण कभी भी ऑफलाइन कक्षाओं से मेल नहीं खा सकता।काफी संख्या में छात्रों ने कहा कि उन्हें स्क्रीन पर कम से कम सात घंटे बिताएं हैं और लगभग उतने ही छात्रों ने कहा कि स्क्रीन के सामने 10 घंटे से जयादा समय दिए। सर्वे के दौरान पूछा गया कि जब किसी विशेष विषय के लिए ईमेल या चैट के माध्यम से अपने पाठयक्रम शिक्षकों के साथ संदेह को दूर करने के बारे में पूछा गया तो अधिकांश छात्रों ने कहा कि उन्हेोंने अपने संबधित पाठक्रम शिक्षक के साथ इस दौरान कभी बातचीत नहीं की।

ऑनलाइन पढ़ाई से स्वास्थ्य प्रभावित 

शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक मामलों पर साथियों के साथ चर्चा करने के बारे में पूछा जाने पर अधिकांश ने कहा कि गैर शैक्षणिक विषयों पर चर्चा दैनिक आधार पर की गई थी। हालाकि शैक्षणिक विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई। यह ध्यान देना दिलचस्प है कि जब पूछा जाता है कि ऑनलाइन मोड में कक्षाओं का संचालन फलदायी था या नहीं तो छात्रों का मानना है कि व्यवहारिक प्रयोगों के शारीरिक प्रदर्शनों की अनुपस्थिति के कारण ऑनलाइन लैब कक्षाएं मददगार नहीं है। उपरोक्त डाटा से संकेत मिलता है कि छात्रों का शैक्षणिक के साथ साथ घरेलु जिम्मेदारियों से परेशान लगते है जो उनके शैक्षणिक प्रदर्शन और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। हालाकि ऑनलाइन समेस्टर का होना दुर्भाग्य परिस्थितियों का परिणाम है, लेकिन छात्रों द्वारा कोरोना जैसी महामारी की परिस्थितियों में भी अधिकांश समस्याओं को हल करने की कुंजी हो सकती है। 


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