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धनबाद में भगवान कृष्ण के भाई बलराम के बाद मिला बिष्णु का शिलालेख, पुरातत्व शोधकर्ता ने 800 साल पुराना होने का किया दावा

विष्णु मूर्ति के सबसे ऊपर के हिस्सा में कलश बना हुआ था जो हवा व पानी से अपक्षय हो चुका है। भगवान विष्णु की मूर्ति गरुड़ के ऊपर विराजमान है। मूर्ति में शंख गदा व पद्म जैसी आकृति के चिन्ह दिखाई पड़ते हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 08:53 AM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 08:53 AM (IST)
धनबाद में भगवान कृष्ण के भाई बलराम के बाद मिला बिष्णु का शिलालेख, पुरातत्व शोधकर्ता ने 800 साल पुराना होने का किया दावा
भगवान बिष्णु के शिलालेख का अध्ययन करते रिसर्च एसोसिएट शुभम और साथ में ग्रामीण ( फोटो जागरण)।

जागरण संवाददाता, मैथन/मुगमा। झारखंड के धनबाद जिले के एगयारकुंड प्रखंड के गोपालपुर बस्ती में भगवान कृष्ण के भाई बलराम के बाद अब भगवान विष्णु का शिलालेख मिला है। इस शिलालेख की खोज तलाश संस्था में पुरातत्व विभाग के रिसर्च डायरेक्टर व पुणे डेक्कन कालेज में रिसर्च एसोसिएट शुभम रजक ने की है। उन्होंने शिलालेख के 800 साल से भी पुराना होने का दावा किया है। उन्होंने बताया कि पुरातत्व शोध में गोपालपुर बस्ती के आसपास मध्यकालीन भारतीय इतिहास के समय वैष्णव धर्म मानने वाले लोगों का पता चला है। पुरातत्व शोध के दौरान कुछ दिन पहले बलराम का शिलालेख मिला था। अब उससे 800 मीटर की दूरी पर खेतों में भगवान विष्णु का शिलालेख मिला है।

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बस्ती के उत्तर दिशा के खेतों में भगवान विष्णु का शिलालेख गड़ा मिला है‌‌ जिसकी ऊंचाई करीब 4 फीट और चौड़ाई एक फीट है। साथ ही जमीन के अंदर भी कुछ हिस्सा दबा हुआ है। खुदाई करने के बाद ही शिलालेख का वास्तविक ऊंचाई पता चल पाएगा।

रिसर्च एसोसिएट शुभम ने बताया कि विष्णु मूर्ति के सबसे ऊपर के हिस्सा में कलश बना हुआ था जो हवा व पानी से अपक्षय हो चुका है। भगवान विष्णु की मूर्ति गरुड़ के ऊपर विराजमान है। मूर्ति में शंख, गदा व पद्म जैसी आकृति के चिन्ह दिखाई पड़ते हैं। मूर्ति में दो अर्ध देवियां अर्थात देवी सेविकाएं भी दिखाई पड़ती है। यह मूर्ति सेंड स्टोन से बनी हुई है। यह उस समय का छोटे-छोटे मंदिर के रूप में रखा गया होगा। वर्तमान में विष्णु का जो शिलालेख मिला है वो भौतिक एवं रसायनिक अपक्षय के कारण खराब हो रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के पुरातत्व विभाग इन मूर्तियों को संग्रहालय में रखकर संरक्षण दें ताकि बच्चों को इसकी जानकारी दी जा सके। इन्होंने बस्ती के आसपास और भी कई शिलालेख मिलने की संभावना व्यक्त की है। ‌ ‌


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