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होरलाडीह हुआ शहरी तो किसानी हो गई चौपट

जागरण संवाददाता झरिया धनबाद नगर निगम के गठन के समय 11 वर्ष पूर्व झरिया के 27 राजस्व व कृ

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 07:11 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 07:11 AM (IST)
होरलाडीह हुआ शहरी तो किसानी हो गई चौपट

जागरण संवाददाता, झरिया : धनबाद नगर निगम के गठन के समय 11 वर्ष पूर्व झरिया के 27 राजस्व व कृषि बहुल पंचायतों को भी शामिल कर लिया गया था। इनमें लगभग 12 हजार की आबादी वाला होरलाडीह पंचायत भी शामिल है। 11 वर्षो से निगम में होरलाडीह शामिल है। निगम में शामिल होने का फायदा तो नहीं दिखा लेकिन किसानी का काम जरूर चौपट हो गया। यहां के लोग निगम से पंचायत को वापस करने की आवाज बुलंद कर रहे हैं।

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होरलाडीह निवासी किसान योगेंद्र प्रसाद सिवान बिहार से आकर पांच दशक से यहां खेती कर रहे हैं। कहा कि पहले खेती के कुछ संसाधन व सामान झरिया ब्लाक से कभी-कभी मिल जाते थे। निगम में आने से अब कुछ नहीं मिल रहा है। सब्जी की खेती कर किसी तरह परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। होरलाडीह में खेती का कार्य प्रभावित हुआ है। ऐसी ही राय यहां के अन्य किसानों ने व्यक्त की है। 11 वर्षों से होरलाडीह में बने पंचायत भवन की देखरेख नहीं होने से यह जर्जर हो गया है। इसके परिसर को अब स्थानीय लोगों ने वाहन स्टैंड बना लिया है। कौशल किशोर वाजपेयी होरलाडीह पंचायत के अंतिम मुखिया व मुजीब अंसारी सरपंच थे।

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पीएम आवास निर्माण योजना का किया विरोध

धनबाद नगर निगम की ओर से तीन साल पूर्व होरलाडीह में पीएम आवास निर्माण योजना की शुरुआत की गई। इसका यहां के किसानों ने तीव्र विरोध किया। विरोध के कारण यहां आवास निर्माण की योजना स्थगित हो गई। यहां के लोगों ने कहा कि आवास निर्माण हमारे खेतों में किया जा रहा था। किसी तरह कृषि कार्य कर परिवार चला रहे हैं। इससे भी बेदखल करने की योजना थी। इसका सभी ने मिलकर विरोध किया।

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होरलाडीह पंचायत को निगम में शामिल करने से लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ है। 10 वर्षाें के बाद भी स्थानीय लोग पानी, बिजली, सड़क व सफाई की सुविधा से वंचित हैं।

- अब्दुल करीम अंसारी, होरलाडीह।

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धनबाद नगर निगम में होरलाडीह को शामिल किए जाने से लोगों की परेशानी और बढ़ी है। 11 वर्षों से लोग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। पंचायत में रहने के समय यहां के लोग खुशहाल थे।

- मुजीब अंसारी, पूर्व सरपंच होरलाडीह।

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होरलाडीह में कई दशक पूर्व खेती के कार्य होते थे। धान भी उगाया जाता था। दर्जनों किसान सब्जी उगाकर बाजार में बेचते थे। निगम में सुविधा नहीं मिलने से ये सभी कार्य प्रभावित हुए हैं।

- रामध्यान साव, होरलाडीह।

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नगर निगम में झरिया के अन्य पंचायतों की तरह होरलाडीह को भी जबरन शामिल किया गया है। निगम से यहां के लोगों को कोई फायदा नहीं है। लोगों को पंचायत में कम टैक्स देना पड़ता था।

रघु राम, होरलाडीह।


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