HOLI-2020: होली की मस्ती में कोयलांचल सराबोर, उड़ रहे रंग-गुलाल, फुगआ के गीतों का शोर
आम लोगों में कोरोना को लेकर कोई खौफ नहीं है। ऐसा लग रहा है कि जैसे होली खेल कोरोना के खौफ को भगा रहे हैं। लोग बेखौफ होकर होली मना रहे हैं। एक-दूसरे को रंग लगा रहे हैं।
धनबाद, जेएनएन। रंगों का त्योहार होली इस साल आज ( मंगलवार, 10 मार्च) को मनाई जा रही है। धनबाद कोयचांलक में होली की धूम है। धनबाद शहर से लेकर गांव और कोलियरी इसकी मस्ती में रंगा नजर आ रहा है। कोरोना वायरस के खौफ से दूर एक-दूसरे को रंग और अबीर लगाकर होली मना रहे हैं। पुरुष घरों से निकल टोलियां बना होली खेल रहे हैं तो महिलाओं की टोलियां घर-घर जाकर रंग लगा रही हैं। होली के गीत भी खूब बज रहे हैं।
रंगों का त्योहार हिंदू धर्म के लोगों के लिए काफी खास है। इस दिन को मुख्य तौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। धनबाद, झरिया, गोविंदपुर, बाघमारा, टुंडी, निरसा, सिंदरी, चिरकुंडा, कतरास, तोपचांची आदि क्षेत्रों में सुबह से ही लोग घरों से निकल एक-दूसरे को रंग लगा रहे हैं। नाच-गाकर उत्साह पूर्वक होली मना रहे हैं। कोरोना वायरस के मद्देनजर इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने होली मिलन समारोह स्थगित करने की घोषणा की। इसका देशभर में असर हुआ। धनबाद में भी असर है। लेकिन, इसके बावजूद आम लोगों में कोरोना को लेकर कोई खौफ नहीं है। ऐसा लग रहा है कि जैसे होली खेल कोरोना के खौफ को भगा रहे हैं। लोग बेखौफ होकर होली मना रहे हैं। एक-दूसरे को रंग लगा रहे हैं।
होली के गीतों से चहुंओर शोर
बगैर गीत होली की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। गीत भी एक से बढ़कर एक। रंग बरसे भीगे चुनर वाली.... होली खेले रघुवीरा अवध में.... बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी... जैसे हिंदी फिल्मों के गीतों के साथ ही भोजपुरी गीतों की धूम है। युवा, बजुर्ग, बूढ़े और बच्चे सब होली की मस्ती में गीतों पर खूब ठुमके लगा रहे हैं।
होली मनाने की पंरपरा
फाल्गुन पूर्णिमा वाले दिन होलिका दहन के बाद अगले दिन चैत्र कृष्ण की प्रतिपदा पर देशभर में होली मनाने की पंरपरा है। होली मनाने को लेकर कई पौराणिक, सामाजिक और धार्मिक कथाएं हैं। रंगो और प्यार का प्रतीक होली पर्व फागुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे एक प्रमुख प्रसंग प्रह्लाद और होलिका की कथा से जुड़ा है। इसके साथ ही होली मनाने की पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। कई कथाओं में होली का पूतना वध से भी संबंध जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि कंस के कहने पर पहुंची पूतना का सिर किसने बस कर दिया था। इसकी खुशी में गोकुल के लोगों ने रंग खेलकर उत्सव मनाया था।