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Dhanbad Judge Death Case: अब तक सीबीआइ को नहीं मिले हत्या के साक्ष्य, हादसा मानने को तैयार नहीं हाई कोर्ट; जोनल निदेशक तलब

Dhanbad Judge Death Case 28 जुलाई की सुबह धनबाद के रणधीर वर्मा चाैक के पास आटो के धक्के से जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की मृत्यु हो गई थी। इस मामले की सीबीआइ जांच कर रही है। हाई कोर्ट ने सीबीआइ के जोनल निदेशक को तलब किया है।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 01:58 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 02:07 PM (IST)
Dhanbad Judge Death Case: अब तक सीबीआइ को नहीं मिले हत्या के साक्ष्य, हादसा मानने को तैयार नहीं हाई कोर्ट; जोनल निदेशक तलब
धनबाद जज हत्याकांड की सीबीआइ जांच की प्रगति से संतुष्ट नहीं रांची हाई कोर्ट ( सांकेतिक फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद/ रांची। धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद को 28 जुलाई की सुबह रणधीर वर्मा चाैक के पास एक आटो ने धक्का मार दिया था। इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई। घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद प्रतीत हुआ कि आटो चालक ने जान-बूझकर धक्का मारा है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने रांची होई कोर्ट को हर माह जांच की प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा करने का निर्देश दिया। इसके बाद हाई कोर्ट प्रत्येक सप्ताह समीक्षा कर रही है। अब की सीबीआइ जांच रिपोर्ट से हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं है। करीब डेढ़ महीने की जांच के बाद सीबीआइ को ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है जिससे लगे कि साजिश के तहत जज को धक्का मारा गया। दूसरी तरफ हाई कोर्ट जज की माैत को हादसा मानने को तैयार नहीं है। 

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रिपोर्ट नहीं, परिणाम चाहिए

झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई। अदालत ने अब तक की जांच पर नाराजगी जताते हुए मौखिक रूप से कहा कि दिनदहाड़े एक न्यायिक पदाधिकारी की हत्या हुई है। हमें सिर्फ रिपोर्ट नहीं, बल्कि परिणाम चाहिए। इसके बाद अदालत ने 23 सितंबर को सीबीआइ के जोनल निदेशक को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हर सप्ताह जांच की समीक्षा की जा रही है, लेकिन सीबीआइ की प्रगति रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है। अदालत ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज देखकर पता चलता है कि दिनदहाड़े एक न्यायिक अधिकारी की हत्या की गई है। कोर्ट यह स्पष्ट कर रही है कि सिर्फ रिपोर्ट देने से काम नहीं चलेगा। आटो चालक ने धक्का मारकर जज की हत्या क्यों की, यह मिस्ट्री अभी तक हल क्यों नहीं हो सकी है। सीबीआइ की जांच में क्या निकलता है, इसकी जानकारी कोर्ट को होनी चाहिए?

आटो को हथियार के रूप में किया गया प्रयोग

अदालत ने कहा- यह पहला मामला है जिसमें आटो को हत्या के लिए हथियार के रूप में प्रयोग किया गया है, ताकि जांच एजेंसियां उलझ जाएं। सीसीटीवी फुटेज देखने से स्पष्ट होता है कि आटो वाले ने जानबूझकर जज को धक्का मारा है, लेकिन सीबीआइ अंधेरे में तीर चला रही है। सीबीआइ ने अपनी ओर से काफी प्रयास किया है, ब्रेन मैङ्क्षपग और नारको टेस्ट सहित कई जांच कराए हैं, लेकिन षडयंत्र और हत्या के पीछे की वजह से का पता नहीं चल पाया है। हर बार सीबीआइ अगली बार कुछ नया होने की बात कहती है, लेकिन दो आरोपितों से आगे नहीं बढ़ पाई है जबकि झारखंड पुलिस ने घटना के 12 घंटे में ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया था।

सीबीआइ जांच पर भरोसा

अदालत ने कहा- उन्हें सीबीआइ जांच पर भरोसा है। उसके प्रोफेशनल तरीके के जांच पर किसी प्रकार का सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन कोई अहम जानकारी नहीं मिल पाई है कि आखिर जज की हत्या के पीछे मोटिव क्या है और षड्यंत्र किसने किया है? अदालत ने सीबीआइ को सुझाव देते हुए कहा कि आरोपित ने घटनास्थल पर कुछ न कुछ सुराग छोड़ा होगा। इस पर ध्यान देते हुए मामला सुलझाने की पुरजोर कोशिश करे।


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