Weekly News Roundup Dhanbad: आते ही छा गए मंत्री जी, इसी तरह आते रहिए
कोरोना से जंग में सबकी सहभागिता जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर तो इस घातक वायरस को मात देने में मुश्किल आएगी। यह बात तो सबको समझनी चाहिए।
धनबाद [ दिनेश कुमार]। किसी मंत्री के आने की सूचना पर व्यवस्था पहले से चाक-चौबंद हो जाती है। हर तरफ चकाचक प्रबंध दिखता है लेकिन, पीएमसीएच में उल्टा हो रहा है। यहां जब मंत्री जी आए तब व्यवस्था असंतोषजनक थी। लेकिन, मंत्री के जाने के बाद अब स्थिति में सुधार किया जा रहा है। दरअसल बुधवार को झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पीएमसीएच में अचानक आ गए थे। वे इतनी सावधानी से आए कि किसी को खबर नहीं हुई। डॉक्टर भी उन्हें नहीं पहचान पाए। लेकिन, जब पहचाना तो हड़कंप मच गया। मंत्री ने भी सारी स्थिति खुद देख ली। इसपर नाराजगी जताते हुए व्यवस्था को दुरुस्त करने का निर्देश दिया। अब उनके जाने के बाद प्रबंधन व्यवस्था सुधारने में जुट गया है। डर भी है कि कहीं इसी गोपनीय अंदाज में मंत्री जी फिर ना आ धमके। वहीं स्थिति में सुधार देख मरीज कह रहे हैं-मंत्री जी.. आते रहिए।
कोरोना योद्धाओं में युद्ध
कोरोना से जंग में सबकी सहभागिता जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर तो इस घातक वायरस को मात देने में मुश्किल आएगी। यह बात तो सबको समझनी चाहिए लेकिन, क्या किया जाए। कुछ कोरोना योद्धा को ही यह बात समझ में नहीं आ रही है। वे इस संकट की घड़ी में भी आपस में ही लड़ रहे हैं। लोग उन्हें उम्मीद की नजर से देख रहे हैं और वे आपस में ही एक-दूसरे को देख लेने पर उतारू हैं। विवाद भी संदिग्ध मरीजों को रखने से ही जुड़ा है। एक अस्पताल भर गया तो संदिग्धों को दूसरे अस्पताल में भेज दिया गया। दोनों के चिकित्सक इसी बात पर उलझ पड़े। अब इलाज छोड़ ऊपर से नीचे तक एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत भेजी जा रही है। अब इसके कारण हाकिमों का बोझ भी बढ़ गया है। इलाज के साथ अब उनपर झगड़ा सलटाने का भी दायित्व है।
रखें तो कहां रखें इन्हें
कोरोना के खौफ का यह आलम है कि लोग अस्पताल में क्वारंटाइन पूरा कर चुके लोगों को भी आसपास नहीं रहने दे रहे हैं। अब देखिए ना, पिछले दिनों सदर अस्पताल में तब्लीगी जमात से जुड़े ६० लोगों को सदर अस्पताल में क्वारंटाइन के लिए रखा गया था। १४ दिन पूरे हो होने पर इन्हें वापस इनके गांव भेज दिया गया लेकिन वहां ग्रामीणों ने ही विरोध कर दिया। इन्हें फिर वापस लाकर बाबूडीह के विवाह भवन में ठहराने को लाया गया लेकिन वहां भी लोगों ने विरोध कर दिया। फिर प्रशासन से कला भवन में इन्हें रखने की बात हुई लेकिन अभी तक कला भवन ही स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिला है। अब विभाग इन्हें रेलवे के क्वारंटाइन वार्ड में रखने की तैयारी में है। लेकिन वहां भी विरोध शुरू हो गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हलकान हैं-आखिर इन्हें रखें तो कहां रखें?