नहीं होगा भेदभाव, निजी स्कूलों में भी पढ़ सकेंगे एचआइवी पीड़ित बच्चे
एड्स पीड़ित परिजनों के बच्चे और एड्स पीड़ित बच्चों के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें भी अच्छी शिक्षा मिलेगी और कोई भी ऐसे बच्चों से भेदभाव नहीं कर सकेगा।
जागरण संवाददाता, धनबाद : एड्स पीड़ित परिजनों के बच्चे और एड्स पीड़ित बच्चों के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें भी अच्छी शिक्षा मिलेगी और कोई भी ऐसे बच्चों से भेदभाव नहीं कर सकेगा। ये बच्चे भी अच्छी शिक्षा हासिल करने के लिए निजी स्कूलों में पढ़ाई पूरी कर सकेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार इसको लेकर गंभीर है।
इसके निर्देश के आलोक में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने एचआइवी पीड़ित बच्चों के प्रवेश को लेकर शिक्षा विभाग को पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत एचआइवी पीड़ित बच्चों का भी अभिवंचित एवं कमजोर वर्ग में शामिल कर स्कूलों में नामाकन सुनिश्चित करें। यानी ये बच्चे निजी स्कूलों में 25 फीसद कोटे के तहत नामाकन पाने के हकदार होंगे। साथ ही यह भी कहा है कि इन बच्चों से स्कूलों में किसी तरह का भेदभाव न हो, इसका भी ख्याल रखेंगे।
एचआइवी पीड़ितों के साथ भेदभाव दंडनीय अपराध: मानव रोगक्षम अल्पता विषाणु और अर्जित रोगक्षम अल्पता संलक्षण (निवारण और नियंत्रण) विधेयक 2017 के अनुसार एड्स पीड़ितों के साथ किसी भी प्रकार का उपचार संबंधी भेदभाव, सामाजिक भेदभाव और उनके खिलाफ दुर्भावना फैलाना दंडनीय अपराध है। एचआइवी एड्स पीड़ितों और उनके बच्चों का संपत्ति में हक कानूनी अधिकार के जरिए सुरक्षित करने के प्रावधान किए गए हैं। पीड़ितों के अधिकारों का उल्लंघन होने की स्थिति में विधेयक में एक ऐसी की व्यवस्था की गयी है, जहा शिकायत करने पर 30 दिन के भीतर कार्रवाई करनी होगी। यही नहीं इसका अनुपालन नहीं करने पर दस हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान होगा। अदालती कार्यवाही, चिकित्सकीय उपचार और सरकारी रिकार्ड में पीड़ित मरीजों के बारे में गोपनीयता बरती जाएगी। इनके संबंध में जानकारी को सार्वजनिक करना कानूनन अपराध होगा।