घोटाले के कारण सुदामडीह कोल वाशरी पर लटक रही बंदी की तलवार
चासनाला बीसीसीएल की पूर्वी वाशरी जोन के सुदामडीह कोल वाशरी में घोटाले के कारण बंदी क
चासनाला : बीसीसीएल की पूर्वी वाशरी जोन के सुदामडीह कोल वाशरी में घोटाले के कारण बंदी की तलवार लटक रही है। वाशरी के करीब 348 कर्मियों में स्थानांतरण का खतरा मंडराने लगा है। वहीं वाशरी बंद की साजिश के खिलाफ कर्मियों ने संयुक्त मोर्चा के बैनर तले प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े हैं। आठ दिनों से लगातार वाशरी गेट पर कर्मी नारेबाजी, प्रदर्शन व काला बिल्ला लगा काम कर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। शनिवार को भी कर्मियों ने अपना विरोध दर्ज कराया।
बताते हैं कि वाशरी का निर्माण 1978 में कुमारधुबी के मैकेनिकल भारत नामक कंपनी ने की थी। तब ढाई मिलियन टन क्षमता वाली वाशरी के निर्माण में करीब 25 करोड़ की राशि खर्च हुई थी। साल 1981-82 में वाशरी में कोयला धुलाई शुरू हुई। वाशरी में चार सर्किट हुआ करता था। इनमें तीन सर्किट से कोयला धुलाई व एक सर्किट मेंटनेंस में रहता था। परंतु अधिकारियों की लापरवाही व छोटे छोटे कलपुर्जों के अभाव में 1990, 96 व 2005 में एक-एक कर तीन सर्किट को बंद कर दिए गए। धीरे-धीरे वाशरी को घाटा होना शुरू हो गया। कर्मियों ने बताया कि वाशरी के दो सर्किट से प्रतिदिन तीन हजार टन कोयला की धुलाई की गई है। परंतु प्लांट में क्लीनिग नहीं होने के कारण रोलर व मशीनें जाम हो गई। प्लांट परिसर के कन्वेयर बेल्ट दर्जनों जगहों पर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। लाइट की कमी के कारण यहां अंधेरा पसरा हुआ है। ऐसे में कन्वेयर बेल्ट के साथ रोलर, क्लीनिग, छोटे-छोटे कलपुर्जों व लाइट की व्यवस्था कर दी जाए तो वाशरी से उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। वाशरी का निर्माण बीसीसीएल ईजे एरिया की सुदामडीह साफ्ट माइंस से निकलने वाले वाशरी टू ग्रेड कोयला की धुलाई के लिए किया गया था। साफ्ट माइंस से कन्वेयर बेल्ट के माध्यम वाशरी को सीधा कोयला मिल जाता था। साल 2012 में साफ्ट माइंस के बंद होने के बाद वाशरी की हालत खस्ता होते चली गई।
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रोटरी ब्रेकर बीम गया मुनीडीह, बिल सुदामडीह के माथे :
सुदामडीह वाशरी में छह पीस रोटरी ब्रेकर बीम लगाने के लिए बाहर से मंगाया गया था। इसे लगाने के बजाय पिछले एक वर्ष से स्टोर में ही रख दिया गया। अधिकारियों ने गुपचुप तरीके से 25 मई को रोटरी ब्रेकर बीम को निकाल कर पीओ कार्यालय के समीप रख दिया। इसे 29 मई को मुनीडीह वाशरी भेज दिया गया। बीसीकेयू नेता निताई महतो ने कहा कि सुदामडीह वाशरी के घाटा का कारण अधिकारी हैं। मुनीडीह के अधिकारी स्टोर में रखे रोटरी ब्रेकर बीम को खुद लेते तो उसकी सारी कीमत उन्हें वहन करना पड़ता। अब सारी कीमत सुदामडीह वाशरी के माथे मढ़ दिया गया है।
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कहां गए वाशरी के मोटर?
सुदामडीह वाशरी में पूर्व में करीब 400 से अधिक मोटर पंप हुआ करते थे। इनमें प्लांट में करीब 22 हैवी मोटर पंप 300 एचपी के थे। इनके अलावा भी दर्जनों मोटर थे। यूथ इंटक जिलाध्यक्ष पंकज मिश्रा व जमसं के क्षेत्रीय सलाहकार समिति सदस्य संजय सिंह ने कहा कि प्लांट से धीरे-धीरे कुछ मोटर मरम्मत के नाम पर संवेदक ले गए। कुछ निजी स्वार्थ के कारण बाहर निकलता चला गया। यह वापस नहीं आया। वहीं प्रबंधन ने कई मोटर पंपों की खरीद भी की। पाथरडीह वाशरी के बंद होने पर भी कई पंप सुदामडीह वाशरी लाए गए। ये मोटर पंप न जाने कहां हैं। गंभीरता से छानबीन होने पर कई की गर्दन फंस सकती है।
वर्जन
सुदामडीह कोल वाशरी अभी बंद नहीं हुई है। फिलहाल कोयला आने से रूका है। मरम्मत कर जल्द वाशरी में काम शुरू किया जाएगा।
- राजेंद्र पासवान, परियोजना पदाधिकारी सुदामडीह कोल वाशरी।