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उतर गया गांजा का नशा... पुलिस ने जिसे तस्कर बता भेजा था जेल उसे किया आजाद Dhanbad News

निरसा क्षेत्र में पुलिस ने 25 अगस्त 2019 को 40 किलो गांजा बरामद किया था। इसके बाद मीडिया के सामने आकर एसडीपीओ विजय कुशवाहा और थाना प्रभारी उमेश सिंह ने अपनी पीठ थपथपाई थी।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 04:13 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 04:13 PM (IST)
उतर गया गांजा का नशा... पुलिस ने जिसे तस्कर बता भेजा था जेल उसे किया आजाद Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। धनबाद पुलिस के ऊपर चढ़ा गांजा और रिश्वत का नशा उतर गया है। पुलिस ने प. बंगाल के जिस ईसीएल कर्मचारी चिंरतीज घोष को गिरफ्तार कर गांजा तस्करी के आरोप में जेल भेजा था उसी को क्लिनचीट देनी पड़ी है। इसके बाद घोष को धनबाद कोर्ट से जमानत मिल गई। वह जेल से अपने घर चला गया। लेकिन, इस पूरे प्रकरण से पुलिस की वर्दी पर कई बदनुमा दाग लग गए हैं। अपनी कार्यप्रणाली को लेकर धनबाद पुलिस सवालों से घिर गई है।

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क्या है मामलाः निरसा थाना क्षेत्र में पुलिस ने 25 अगस्त 2019 को 40 किलो गांजा बरामद किया था। इसके बाद मीडिया के सामने आकर एसडीपीओ विजय कुमार कुशवाहा और थाना प्रभारी उमेश प्रसाद सिंह ने अपनी पीठ थपथपाई थी। गांजा बरामदगी को बड़ी उपलब्धि बताया था। साथ ही यह भी कहा था कि एसएसपी के निर्देश पर यह कार्रवाई हुई। गांंजा टबेरा गाड़ी पर रखा हुआ था। पुलिस की कहानी के अनुसार छापेमारी के दाैरान चालक और तस्कर भाग निकले थे। बाद में पुलिस को ज्ञान प्राप्त हुआ और ईसीएल के झांझरा प्रोजेक्ट के कर्मचारी चिरंजीत घोष को गांजा तस्कर बताते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

पत्नी की शिकायत के बाद पलट गई कहानीः चिरंजीत घोष की गिरफ्तारी के बाद उसकी पत्नी श्रावणी शेवाती सामने आईं। वह प. बंगाल में जेल सिपाही है। उसने झारखंड के मुख्यमंत्री और डीजीपी से न्याय की फरियाद की। उसका कहना था कि प. बंगाल का एसडीपीओ मिथुर कुमार डे उस पर बुरी नजर रखता है। उसी ने प. बंगाल के एक बडे़ कोयला माफिया के साथ मिलकर साजिश रच उसके पति को जेल भेजवाया है। शिकायत के बाद पुलिस मुख्यालय रांची के निर्देश पर धनबाद पुलिस ने गांजा बरामदगी और चिरंजीत घोष की गिरफ्तारी की जांच की। जांच के बाद पुरानी कहानी पलट गई।

पुलिस मान रही तथ्यों की भूलः पुलिस ने जांच के बाद धनबाद कोर्ट को जो रिपोर्ट दी है उसमें लिखा गया है कि तथ्य की भूल के कारण चिरंजीत को जेल भेजा गया था। उसके खिलाफ जांच में कोई साक्ष्य नहीं मिला है। इस रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने मंगलवार को चिरंजीत को जमानत दे दी। जेल से छूटने के दाैरान पुलिस-पदाधिकारी जेल गेट पर माैजूद थे। उसे अपने साथ लेकर एसएसपी किशोर काैशल के आवास पर गए। काैशल ने चिरंजीत के साथ मित्रवत बातचीत की। पुलिस की कार्रवाई को गलत बताया। साथ ही मामले की जांच कर दोषी पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वसान दिया।

ऊपर से नीचे तक के अधिकारियों की फंस रही थी गर्दनः आम ताैर पर ऐसा होता नहीं है कि पुलिस जिसे तस्कर बताकर जेल भेजे उसकी रिहाई के लिए पूरी ताकत और वह भी त्वरित गति से झोंक दे। लेकिन, इस मामले में धनबाद पुलिस ने अपनी ही कहानी पलटने में देर नहीं लगाई। चर्चा यह है कि रिश्वत की मोटी रकम पर प. बंगाल के बड़े कोयला माफिया के साथ धनबाद पुलिस के कुछ अधिकारियों ने मिलकर साजिश रची थी। मामला पुलिस मुख्यालय रांची तक पहुंचने के बाद गर्दन फंसजी नजर आ रही थी। इसके बाद पुलिस ने चिरंजीत को क्लिनचीट देकर अपनी गर्दन की रक्षा करना ही मुनासिब समझा। लेकिन, बड़ा सवाल यह कि गांजा तस्करी की गुप्त सूचना किसने दी थी ? सूचना देने वाले ने सबसे पहले किसके मोबाइल पर फोन किया था? धनबाद पुलिस को इन सवालों का जवाब देना चाहिए। पुलिस अगर जवाब नहीं देती है तो उसकी साख को और अधिक बट्टा लगेगा।


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