Move to Jagran APP

झरिया में आजादी के दीवानों ने फूंका था डाकखाना

गोविन्द नाथ शर्मा झरिया अंग्रेजी शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काले हीरे की ऐतिहासिक नगरी झरिया का अहम योगदान रहा है। नौ अगस्त 1942 को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान झरिया आजादी के तरानों से चारों ओर गूंजने लगा था।

By Edited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 04:21 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 02:16 PM (IST)
झरिया में आजादी के दीवानों ने फूंका था डाकखाना
झरिया में आजादी के दीवानों ने फूंका था डाकखाना

गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया: अंग्रेजी शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काले हीरे की ऐतिहासिक नगरी झरिया का अहम योगदान रहा है। नौ अगस्त 1942 को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान झरिया आजादी के तरानों से चारों ओर गूंजने लगा था। आजादी के दीवानों ने झरिया रेलवे स्टेशन के मालगोदाम को लूट लिया था। यहां के डाकघर जला दिया था। आजादी के दीवानों ने अपनी दिलेरी से अंग्रेजी हुक्मरान कांपते थे। नौ अगस्त 1942 को जब देश में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन चरम पर था। उस समय झरिया के क्रांतिकारी भी पीछे नहीं थे। निखिल चंद्र गुप्ता, किशोरी लाल लोरिया, शिवराज प्रसाद, बद्रीनाथ केसरी, केदारनाथ केसरी समेत अनेक क्रांतिकारियों ने शहर में आंदोलन की मशाल जलाई। आम जनता सड़क पर उतरी थी। देशभक्ति से ओतप्रोत पोस्टर चिपकने लगे थे। संचार व्यवस्था ध्वस्त कर दी गई। रेलवे स्टेशन झरिया से मिट्टी के तेल का स्टॉक लूटकर क्रांतिकारियों ने झरिया डाकघर में आग लगा दी थी। अंग्रेजी शासन को डाकघर जलाने की घटना को अंजाम देकर बड़ी चुनौती दी गई थी। उन्हें यह सीधा संदेश था कि अंग्रेजों भारत छोड़ दो। अब तुम्हारी हुकूमत हमें मंजूर नहीं। डाकघर में आग की सूचना पर वहां पहुंचे मानभूम के एसडीओ पिल्लई ने शिवराज प्रसाद, किशोरी लाल व अन्य क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया था। अंग्रेजी हुकूमत ने 10 अगस्त 1942 को झरिया में क‌र्फ्यू भी लगा दिया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी झरिया की धरती पर आगमन हुआ था। वे यहां रामजस अग्रवाल से गया में होनेवाले कांग्रेस अधिवेशन के लिए आर्थिक मदद मांगने आए थे। तब झरिया के सेठ रामजस अग्रवाल ने महात्मा गांधी को ब्लैंक चेक देकर इस शहर का नाम इतिहास में अमर कर दिया था। हर लोगों में था देशभक्ति का जज्बा : झरिया के वरीय पत्रकार-साहित्यकार लगभग 87 वर्षीय वनखंडी मिश्रा भारत छोड़ों आंदोलन के बारे में बताते हैं कि उस समय आठ वर्ष के थे। चारों ओर आजादी की मशाल जल रही थी। देशभक्ति का जज्बा हर व्यक्ति में था। डाकखाना में उस समय शिवराज प्रसाद व अन्य आंदोलनकारी गए थे। डाकखाना जल रहा था। तभी पुलिस पहुंच गई। शिवराज व कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। शिवराज बाबू के साथ कोयरीबांध के रमजानी मियां भी थे। अत्यंत सीधे साधे रमजानी मियां को भी पुलिस ने दबोच लिया। रमजानी परेशान हो उठे। तभी उनको याद आया कि उनकी जेब में तो एक अठन्नी पड़ी है। बस उन्होंने जवान को अठन्नी देकर अपना ¨पड छुड़ाया और वहां से निकल गए। आजादी के बाद शिवराज प्रसाद झरिया के विधायक बने थे।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.