'जाणता राजा' नाटक में पराक्रम दिखाकर आजाद हुआ गजराज और महावत को जेल, जानिए
रियल दृश्य दिखाने के लिए जाणता राजा नाटक में हाथी को शामिल किया गया था। इसकी शिकायत किसी ने केंद्रीय मंत्री एवं पेटा सदस्य मेनका गांधी से कर दी।
धनबाद, शशि भूषण। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर हाल में 'जाणता राजा' नाटक का मंचन धनबाद में हुआ था। गोल्फ ग्राउंड में हुए इस नाटक में शिवाजी के किले का भव्य सेट बना था। घोड़े, ऊंट और हाथी भी नाटक का हिस्सा बने। मगर, अहम बात ये कि जो गजराज नाटक में अपना पराक्रम दिखा रहा था वह बेहद बीमार था। शिकायत के बाद इस मामले में कार्रवाई करते हुए वन विभाग ने हाथी को कब्जे में ले लिया है। साथ ही महावत को जेल भेज दिया है।
रियल दृश्य दिखाने के लिए 'जाणता राजा' नाटक में हाथी को शामिल किया गया था। इसकी शिकायत किसी ने केंद्रीय मंत्री एवं पेटा सदस्य मेनका गांधी से कर दी। इसके बाद वन विभाग आला अधिकारी रेस हो गए। फिर न केवल हाथी को देवघर से पकड़ा गया बल्कि उसके स्वामी पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर महावत को जेल भेज दिया गया। मामला बढ़ने के साथ आयोजकों के होश भी फाख्ता हैं। वन विभाग के अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए हैं। विभाग ने एक टीम बनाकर मामले की जांच शुरू कर दी है। कई और लोगों की गर्दन भी फंस सकती है।
गजराज को पकड़ने गए चार डीएफओ : जाणता राजा नाटक खत्म होने के बाद हाथी यहां से चला गया। मेनका ने जब जानकारी तलब की तो उसकी खोज शुरू हुई। धनबाद, दुमका, पाकुड़ और देवघर के डीएफओ की टीम बनी। खोजबीन के बाद हाथी देवघर में मिला।
मर चुका है हाथी का स्वामी : हाथी को पकड़ने के बाद जब पड़ताल हुई तो पता चला कि उसका स्वामी लखनऊ का रहनेवाला है। उसकी मृत्यु वर्ष 2006 में ही हो गई है। हाथी की देखभाल उसका पुत्र करता है लेकिन उसने हाथी का स्वामित्व अपने नाम नहीं कराया था।
कई खामियां मिलीं
- हर छह माह में हाथी का मेडिकल होना चाहिए। इस हाथी का मेडिकल 12 साल पहले कराया गया था।
- हाथी के मूव करने में मेडिकल की लॉग बुक होती है जो नहीं पाई गई।
- किसी भी राज्य में हाथी के जाने पर धारा 43 के तहत इंटर स्टेट ट्रांजिट परमिट लेना पड़ता है। इस मामले में परमिट नहीं था।
हाथी के स्वामी पर वन जीव संरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर महावत को जेल भेजा है। हाथी की मेडिकल जांच की गई। चिकित्सकों ने उसे बीमार पाया। हाथी का उपचार कर उसे जमशेदपुर भेजा है।
-प्रेमजीत आनंद, डीएफओ, देवघर।