कतरी और खुदिया का मिला उद्गम स्थल, सूखे स्रोतों से जल प्रवाह के होंगे उपाय
वन विभाग द्वारा तैयार दस्तावेज के मुताबिक चार वर्ग किमी में फैले जंगल के बीच बेहिचिया पहाड़ी से खुदिया नाला निकला हुआ है।
धनबाद, शशि भूषण। कोयलांचल से दो नदी का गुजरती है, कतरी और बराकर। दोनों नदियों में जल का कल-कल प्रवाह नहीं दिखता। कोयलांचल के तोपचांची जंगल से खुदिया नाला निकला है जो बराकर नदी से मिलता है। उसी जंगल से निकला नासियो नाला से कतरी नदी को भी पानी से भरता रहा है। पिछले कुछ सालों में दोनों प्राकृतिक नालों से जल प्रवाह कम हुआ है।
झारखंड सरकार ने नदियों के साथ उनके सहायक प्राकृतिक नालों के उद्गम स्थल का अध्ययन शुरू कराया है। इसी के तहत कोयलांचल में नदियों के सहायक नाला खुदिया और नासियो के उद्गम स्थल की स्थिति पर दस्तावेज तैयार किए गए हैं। वन विभाग ने फैसला लिया है कि प्राकृतिक नालों के उद्गम स्थल से नदी तक प्राकृतिक बहाव मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाएगा।
वन विभाग द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज के मुताबिक चार वर्ग किमी में फैले जंगल के बीच बेहिचिया पहाड़ी से खुदिया नाला निकला हुआ है। झारखंड में पहाड़ी के बीच चïट्टानों में दरारें होती है जिनमें पानी भरा होता है। प्रारंभिक आकलन है कि बेहिचिया पहाड़ और उसके आसपास के प्राकृतिक जंगल में वृक्षों की संख्या कम हुई है। इसी वजह से अब खुदिया नाला के उद्गम स्थल से रिस रिस कर पानी निकल रहा है। कतरी नदी का सहायक नाला नासियो का उद्गम स्थल बेलमी पहाड़ी है। प्राकृतिक जंगल होने के नाते वहां पौधरोपण नहीं किया जाता। अब उद्गम स्थल के आसपास सफाई की जाएगी। वहां साल, सागवान, महुआ, करंज, जामुन समेत वैसे पौधे लगाए जाएंगे तो वहां के वातावरण में अनुकूल हों।
मुहाना से कम जल निकलने के कारणों की खोज होगीः शासन जानना चाहता है कि उद्गम स्थल से पर्याप्त पानी के निरंतर प्रवाह में किस वजह से कमी आई है। इसी उद्देश्य से सबसे पहले उद्गम स्थल की स्थिति पर दस्तावेज तैयार कराया गया है। फिर उद्गम स्थल को मूल स्वरुप में लाने के लिए विशेषज्ञों से परामर्श किया जाएगा। मुहाने पर बड़े पैमाने पर पौधरोपण भी किया जाएगा।
शासन से नदियों के सहायक प्राकृतिक नालों के उद्गम स्थल के बाबत रिपोर्ट मांगी गई थी। बराकर के सहायक नाला खुदिया और कतरी के सहायक नाला नासियो के उद्गम स्थल की खोज की गई। वहां की स्थिति पर दस्तावेज तैयार किए गए हैं। शासन का जो आदेश आएगा, उसके मुताबिक आगे कार्य किया जाएगा। तत्काल पौध रोपण किया जाएगा।
-विमल लकड़ा, डीएफओ, धनबाद प्रमंडल
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