नाबालिग से दुष्कर्म और देह व्यापार कराने में पांच को उम्रकैद, घटना के बाद पीड़िता ने बच्चे को दिया था जन्म Dhanbad News
आशा ने उसे काम दिलाने का भरोसा दिया और अपने साथ बस से रांची ले गई। रांची में उसने कमरे में अशोक विश्वकर्मा और राजू मछुआ को बुलाया। दोनों ने पीडि़ता के साथ दुराचार किया।
धनबाद, जेएनएन। चाचा-चाची की डांट सुनकर धनसार स्थित घर से भागी नाबालिग लड़की को काम देने के बहाने धोखे से देह व्यापार के धंधे में धकेलने के पांच दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई है। पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश अखिलेश कुमार तिवारी की अदालत ने मामले में ऑनलाइन फैसला सुनाते हुए दोषियों पर 60-60 हजार रुपये का जुर्माना भी किया। वहीं सात अन्य आरोपित रिहा कर दिए गए। अदालत ने जुर्माने की राशि पीडि़ता को भुगतान करने का आदेश दिया है। अभियोजन का संचालन अपर लोक अभियोजक अनिल कुमार सिंह ने करते हुए कुल 13 गवाहों का परीक्षण कराया था।
यह है मामला
पीडि़ता धनसर क्षेत्र में रहती थी। उसके माता-पिता नहीं थे। चाचा चाची ने एक दिन उसे डांटा तो वह घर से निकल गई। वह धनबाद स्टेशन के वेटिंग रूम में आकर बैठी थी, जहां उसकी मुलाकात गिरिडीह की महिला आशा देवी से हो गई। आशा ने उसे काम दिलाने का भरोसा दिया और अपने साथ बस से रांची ले गई। रांची में उसने कमरे में अशोक विश्वकर्मा और राजू मछुआ को बुलाया। दोनों ने पीडि़ता के साथ दुराचार किया। लगातार 12 दिनों तक रांची में पीडि़ता का यौन शोषण होता रहा। फि र आशा उसे लेकर गिरिडीह आ गई। गिरिडीह में भी उसके साथ दुराचार किया गया। फिर आशा पीडि़ता को लेकर धनबाद पहुंची। हीरापुर में भी आशा ने ग्राहकों को बुलाकर पीडि़ता को उसके सामने परोस दिया। इस बीच पीडि़ता गर्भवती हो गई। 25 जुलाई 2018 को पीडि़ता को आशा कहीं दूसरी जगह ले जाने के लिए धनबाद स्टेशन लेकर आई। वहां वह ऑटो पर बैठी और जबरन पीडि़ता को भी ऑटो में बैठाने लगी। पीडि़ता हल्ला करने लगी। ऑटो ड्राइवर ने तत्काल इसकी सूचना जीआरपी धनबाद को दी। तुरंत जीआरपी मौके पर पहुंची और दोनों को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में पूरे मामले का खुलासा हुआ।
आश्रय गृह में रही पीडि़ता
पुलिस ने पीडि़ता को आश्रय गृह के हवाले किया। पीडि़ता का बयान कोर्ट में दर्ज कराया। पुलिस की टीम ने रांची, धनबाद और गिरिडीह से आरोपितों को पकड़ा था। उस समय पीडि़ता गर्भवती हो गई थी। उसने कोर्ट से गर्भ गिराने की अनुमति मांगी, लेकिन अनुमति नहीं मिली। उसने बच्चे को जन्म दिया। कानूनी कार्रवाई के बाद बच्चे को लीगल फ्र किया गया।
कोर्ट ने कहा-दया के पात्र नहीं दोषी
सजा सुनाते हुए न्यायाधीश अखिलेश कुमार तिवारी ने कहा कि दोषियों ने ऐसा अपराध किया है जो सभ्य समाज के मुंह पर कलंक है। एक नाबालिगलड़की के भरोसे का कत्ल एक महिला ने ही किया। पीडि़ता गर्भवती हो गई और कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रह गई। इसलिए इन पर दया नहीं किया जा सकता।
इन्हें मिली सजा
अशोक विश्वकर्मा (भूली), बजेंद्र लोहानी (निमियाघाट) आशा देवी व सोनू कुमार (निमियाघाट) राजू मछुआ (तमाड़, रांची)।
ये हुए रिहा
मुकेश कुमार (डुमरी) प्रतीक कुमार, मो. गफ्फ ार, प्रकाश महतो, शमसुद्दीन, सुलेमान अंसारी, जुम्मन अंसारी (सभी निमियाघाट के निवासी)।
सजा सुनते ही जेल में सिर पटकने लगी आशा
आरोपित आशा देवी समेत अन्य जेल में बंद थे। उन्हें वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया। न्यायाधीश ने जैसे ही आरोपितों को उम्र कैद की सजा सुनाई, मुख्य आरोपित आशा देवी चिल्लाने लगी और जेल के अंदर ही सिर पटकने लगी। जेल के अंदर मौजूद महिला आरक्षी ने उसे पकड़ा।