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बेटे को लगा हैदराबादी बिरयानी का स्वाद और पिता का बिगड़ रहा जायका, जानिए Dhanbad News

विधायकजी पहले एक अधिवक्ता से परेशान थे। हाई कोर्ट के युवा अधिवक्ता की दावेदारी से बीपी पहले से ही गड़बड़ चल रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट के एक अधिवक्ता ने भी टिकट की दावेदारी की है।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 07:57 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 07:57 AM (IST)
बेटे को लगा हैदराबादी बिरयानी का स्वाद और पिता का बिगड़ रहा जायका, जानिए Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। बेटे को कौन पहचानता है? जो कुछ भी थोड़ी बहुत पहचान मिली है वह पिता के नाम और काम के ही बदौलत है। पिता की बात और व्यवहार ऐसी है कि वह हर धर्म-समाज में लोकप्रिय हैं। उन्होंने कभी किसी को अहसास नहीं होने दिया कि वे भेदभाव की राजनीति करते हैं। इसी का फलाफल है कि जनता ने भी उन्हें अपार प्यार और समर्थन दिया। उम्र के अंतिम पड़ाव पर उनकी मनोकामना पूरी की। विधायक बने। मंत्री बने। चुनाव हार भी गए तो जनता का अपार समर्थन बरकरार रहा। जीत से ज्यादा हार में प्यार मिला। मान-सम्मान उनका बरकरार है।

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किस्मत ने साथ दिया तो जनता फिर उन्हें फिर से सिर-आंखों पर बिठाकर विधानसभा भेज देगी। यह बात बेटे को समझ में नहीं आ रही है। वे हैदराबादी बिरयानी के चक्कर में पड़ गए हैं। हर जगह देश की सबसे पुरानी पार्टी पर उपेक्षा का आरोप लगाते हैं। हैदराबादी पार्टी को अपना हितैषी बताते हैं। बेटे को लगी हैदराबादी बिरयानी का स्वाद पिता की राजनीति का जायका बिगाड़ रहा है। बेटे की राजनीति को विरोधी हथियार बना रहे हैं। पूर्व मंत्री के बारे में तरह-तरह की अफवाह फैला रहे हैं। बेटे की कारस्तानी के कारण पूर्व मंत्री को सफाई देनी पड़ रही है-हम हाथ छाप हैं और हाथ छाप ही रहेंगे। बुढ़ापे में कंघी की क्या आवश्यकता है?

ये अंदर की बात हैः विधायकजी इन दिनों ज्यादा परेशान हैं। वह परेशानी का कारण अच्छी तरह समझते हैं। इसलिए चिंतित रहते हैं। चिंता से सेहत बिगड़ रही है। यह अलग बात है कि कार्यकर्ता और समर्थक उनकी चिंता से वाकिफ नहीं हैं। उस दिन कोर कमेटी की बैठक थी। केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार हर कोर कमेटी की बैठक में संबंधित क्षेत्र के विधायक की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है। इंतजार में बैठक विलंब से शुरू हुई और जब विधायकजी नहीं आए तो जैसे-तैसे औपचारिकता पूरी कर खत्म कर दी गई। नहीं आने का कारण बताया गया-विधायकजी का बीपी लो हो गया है। डॉक्टर की शरण में हैं। आखिर बीपी लो हुआ तो क्यों हुआ? सब पता लगा रहे हैं। अंदर की बात यह है कि वह पहले एक अधिवक्ता से परेशान थे। हाई कोर्ट के युवा अधिवक्ता की दावेदारी से बीपी पहले से ही गड़बड़ चल रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट के एक अधिवक्ता ने भी टिकट की दावेदारी ठोक दी है। वह सजातीय भी हैं। अपनी जिरह करें तो कैसे करें? विधायकजी समझ नहीं पा रहे हैं।

अध्यक्षजी की टाइम पास राजनीतिः देश की सबसे पुरानी पार्टी का चुनाव दर चुनाव जनाधार खिसक क्यों रहा है? इस बात को समझने के लिए पार्टी के आलाकमान से लेकर तमाम रणनीतिकार तक चिंतन-मंथन करते रहते हैं। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा है। अगर सचमुच में वो जनाधार खिसकने का कारण जानना चाहते हैं तो यहां आकर समझ सकते हैं। यहां के जिलाध्यक्ष को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ट्रीट किया जा सकता है। अध्यक्ष महोदय टाइम पास की राजनीति करते हैं। उनकी फुल टाइम राजनीति कोर्ट-कचहरी में होती है। वहां से जब वक्त मिलता है तभी पार्टी की सोचते हैं। कोर्ट-कचहरी से वक्त कहां मिल पाता है? ऐसे में पार्टी के लिए समय निकाल नहीं पाते हैं। अब सिर पर चुनाव आया है तो अध्यक्षजी ने मजबूती से झंडा गाड़ चुकी विरोधी पार्टी के गुजरे जमाने का नारा-वन बूथ, टेन यूथ उछाल दिया है। एक तो पार्टी के पास यूथ हैं नहीं। दूसरे फुल टाइम राजनीति करने वाली पार्टी ने पन्ना प्रमुख की तैनाती कर राजनीति का व्याकरण ही बदल दिया है। अब भला टाइम पास राजनीति से फुल टाइम राजनीति का मुकाबला करने की बात करना ही बेमानी कही जाएगी।

... और आ गए अच्छे दिनः एक बार फिर कुछ लोगों के लिए अच्छे दिन आ गए हैं। यह सब चुनाव की कृपा है। सबका ध्यान विधानसभा चुनाव पर है। इसलिए पुलिस ने कोयले की लूट की छूट की हरी झंडी दिखा दी है। विधानसभा चुनाव तक जितना लूटना है लूट लो। हरी झंडी के बाद कोयला चोरों ने स्पीड पकड़ ली है।


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