तीन वर्ष तक नहीं काटा गया 825 दैनिक वेतनभोगियों का ईपीएफ
धनबाद नगर निगम के खेल भी निराले हैं। यहां कार्यरत 825 दैनिक वेतनभोगियों को नियमित वेतन तो दे दिया गया लेकिन इनका ईपीएफ नहीं काटा गया। 2015 से लेकर 2018 तक किसी भी महीने में ईपीएफ कटौती नहीं हुई। सरकार ने 12 फीसद ईपीएफ कटौती अनिवार्य किया है।
धनबाद : नगर निगम के खेल भी निराले हैं। यहां कार्यरत 825 दैनिक वेतनभोगियों को नियमित वेतन तो दे दिया गया, लेकिन इनका ईपीएफ नहीं काटा गया। 2015 से लेकर 2018 तक किसी भी महीने में ईपीएफ कटौती नहीं हुई। सरकार ने 12 फीसद ईपीएफ कटौती अनिवार्य किया है। नगर निगम के 55 वार्डो में सफाई से लेकर अन्य कर्मी कार्यरत हैं। प्रत्येक वार्ड में 15-15 कर्मियों की बहाली की गई है। प्रतिदिन लगभग 220 रुपये हाजिरी निर्धारित की गई है। इसी राशि में से ईपीएफ कटौती होनी थी। कई कर्मी सेवानिवृत्त तक हो चुके हैं। 2015 से लेकर 2018 तक पांच नगर आयुक्त बदल गए, लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। इनमें विनोद शंकर, मनोज कुमार, छवि रंजन, रमेश घोलप और राजीव रंजन शामिल थे। दो दिन पहले ईपीएफ के सहायक आयुक्त की ओर से नोटिस दिए जाने के बाद नगर निगम हरकत में आया तो इसका खुलासा हुआ। अब सभी की ईपीएफ कटौती की प्रक्रिया की जा रही है। नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार ने भी इस मामले का संज्ञान लेते हुए अपने अधीनस्थ अधिकारियों को जांच करने का निर्देश दिया है। इस प्रकरण में 2015 से 2018 तक के सभी पूर्व नगर आयुक्त की भूमिका भी तलाशी जा रही है। इसके लिए नगर विकास विभाग को पत्र लिखा जाएगा। ईपीएफ कटौती में लापरवाही बरतने वालों पर गाज गिरनी तय है।