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इन्वायरमेंटल ला कमीशन बने तभी होगा पर्यावरण संरक्षण

लीगल इनीशिएटिव फार फारेस्ट एंड इनवायरमेंट (लाइफ) नई दिल्ली एवं युगांतर भारती रांची की ओर से वायु प्रदूषण पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन सरायढेला के एक होटल में किया गया। इसका विषय उत्तरी छोटनागपुर क्षेत्र में पर्यावरणीय चुनौतियां रखा गया है। पहले दिन वायु प्रदूषण पर चर्चा हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 06:20 AM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 06:20 AM (IST)
इन्वायरमेंटल ला कमीशन बने तभी होगा पर्यावरण संरक्षण

जागरण संवाददाता, धनबाद : लीगल इनीशिएटिव फार फारेस्ट एंड इनवायरमेंट (लाइफ) नई दिल्ली एवं युगांतर भारती रांची की ओर से वायु प्रदूषण पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन सरायढेला के एक होटल में किया गया। इसका विषय उत्तरी छोटनागपुर क्षेत्र में पर्यावरणीय चुनौतियां रखा गया है। पहले दिन वायु प्रदूषण पर चर्चा हुई। बतौर मुख्य अतिथि दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष सह विधायक सरयू राय ने कहा आज के समय में प्रदूषण गंभीर समस्या बनती जा रही है। कोयला खनिज, खनन, कोयला में लगी आग और इससे उत्पन्न पर्यावरणीय प्रदूषण के चलते धनबाद देश और दुनिया में परिचय का मोहताज नहीं है। धनबाद पर्यावरण का मार्मिक स्थल है। पर्यावरण कानून और अधिनियमों का अनुपालन विशेषज्ञों के अनुसार जमीन पर किया जाए तो आम लोगों के जीवन का स्तर सुधरेगा। पहले चिमनियों से धुआं के निकलने का मतलब विकास का पैमाना था, आज धुआं मानव जीवन और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। उन्होने कहा तकनीकी विशेषज्ञों की टीम को पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आना होगा। राय ने भारत सरकार से इन्वायरमेंटल ला कमीशन बनाने के मांग की। संगोष्ठी के प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता आइआइटी आइएसएम के प्रो. गुरदीप सिंह ने की। सिफर के डा. सिद्धार्थ सिंह ने धनबाद क्षेत्र में काला कोयला और उसके स्त्रोत, लाइफ के डा आरके सिंह ने दिल्ली के ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान की असफलता, सिंफर के डा. भानु पांडे ने नगर निगम क्षेत्र में व्यापक वायु गुणवत्ता पर अपना अपना व्यक्तव्य दिया। दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता आइआइटी आइएसएम के प्रो एसके मैती ने की। दूसरे सत्र में सिफर के अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक डा. राज शेखर सिंह ने खनन किए गए क्षेत्र में पारिस्थितिक तंत्र की बहाली पर अपने विचार दिए। तीसरे सत्र की अध्यक्षता बीआइटी सिदरी के प्रो रणविजय सिंह ने की। इस सत्र में फ्लाई ऐश की समस्या पर लाइफ के ट्रस्टी डा आर के सिंह ने अपने विचार रखे। रविवार को संगोष्ठी के दूसरे और अंतिम दिन सरयू राय, सिफर के निदेशक डा प्रदीप कुमार सिंह और अन्य कई पर्यावरणविद उपस्थित रहेंगे। संगोष्ठी में मुख्य रूप से युगांतर भारती के सचिव आशीष शीतल मुंडा, लाइफ के ट्रस्टी राहुल चौधरी, कंकना दास, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण राय, उदय कुमार सिंह, सुरेंद्र सिन्हा, पंचम चौधरी, रणविजय सिंह, तन्वी शर्मा, युगांतर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष अंशुल शरण मौजूद थे।

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देश में 347 शहरों की तुलना में 122 शहरों का वायु प्रदूषण तय मानकों से अधिक

संगोष्ठी में लाइफ संस्था के मुख्य ट्रस्टी रित्विक दत्ता ने कहा कि भारत आज दुनिया के पर्यावरण इंडेक्स के मानकों में 180 में 168वें स्थान पर है। देश में 347 शहरों की तुलना में 122 शहरों का वायु प्रदूषण तय मानकों से ऊपर है। देश में चार हजार शहर हैं, इनमें केवल 347 में ही आधुनिक वायु मापी यंत्र लगे हैं। सोचिए यदि चार हजार शहरों में लगेगा तो कितना शहर रहने लायक नहीं होगा। जब पर्यावरण के मुद्दों को लेकर कोर्ट में जाते हैं तो पाते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार गैरजिम्मेदाराना जवाब देते हैं। प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सदस्य सचिव ने एफिडेविट दिया और माना कि तय मानक से अधिक प्रदूषण है। अधिकतम मानक 999 है, इससे अधिक मापने के लिए मशीन ही नहीं है। इसका मतलब यह है कि इससे कितना अधिक मात्रा में प्रदूषण है यह सरकारों को भी पता नहीं है।


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