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Earthquake in Delhi: लगातार डोल रही धरती, तबाही से पहले नेपाल में आए कम तीव्रता वाले चार छोटे भूकंप

दिल्‍ली और नेपाल में मंगलवार की देर रात भूंकप से भारी क्षति हुई। हालांकि धनबाद स्थित आइआइटी आइएसएम ने अपने ऑब्‍जर्वेशन में बताया है कि इस भूकंप से पहले भी नेपाल में चार छोटे भूकंप आए लेकिन उनकी तीव्रता कम थी इसलिए उनका पता नहीं चला।

By Ashish SinghEdited By: Deepak Kumar PandeyPublished: Thu, 10 Nov 2022 10:22 AM (IST)Updated: Thu, 10 Nov 2022 10:22 AM (IST)
Earthquake in Delhi: लगातार डोल रही धरती, तबाही से पहले नेपाल में आए कम तीव्रता वाले चार छोटे भूकंप
नेपाल में पिछले माह भी भूकंप आया था।

धनबाद [आशीष सिंह]: दिल्‍ली और नेपाल में मंगलवार की देर रात भूंकप से भारी क्षति हुई। हालांकि धनबाद स्थित आइआइटी आइएसएम ने अपने ऑब्‍जर्वेशन में बताया है कि इस भूकंप से पहले भी नेपाल में चार छोटे भूकंप आए, लेकिन उनकी तीव्रता कम थी, इसलिए उनका पता नहीं चला।

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आइआइटी आइएसएम के अनुसार, पृथ्वी की सतह पर मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों के बीच हो रहे घर्षण से निकली ऊर्जा का दबाव बढ़ने से नेपाल में भूकंप आया। देर रात एक बजकर 57 मिनट पर यह भूकंप आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मैग्नीट्यूड दर्ज हुई। इसका असर हमारे देश पर भी पड़ा। दिल्‍ली और आसपास के इलाकों में इस भूकंप से भारी क्षति हुई। जानकर हैरानी होगी कि नेपाल में आए इस बड़े भूकंप से ठीक पहले लगातार चार छोटे भूकंप आए। आइआइटी आइएसएम के सिस्मोलाजिकल आब्जर्वेटरी में रिक्टर स्केल पर तीव्रता तीन से चार मैग्नीट्यूड दर्ज की गई।

नेपाल में पिछले माह भी भूकंप आया था। आइएसएम के ऑब्जर्वेटरी सेंटर के अनुसार, इसकी तीव्रता 5.1 मैग्नीट्यूड दर्ज की गई थी। आइआइटी आइएसएम के सिस्मोलाॅजिकल ऑब्जर्वेटरी के अनुसार हर दिन भूकंप आता है। इसकी तीव्रता दो से तीन या कभी-कभी इससे भी कम होती है, इसलिए असर नहीं पड़ता है। धनबाद में इस वर्ष दो बार बड़े भूकंप आए। 10 जनवरी को बलियापुर तो 30 अक्टूबर को धनबाद से 39 किमी दूर गिरिडीह में भूकंप का केंद्र था। बलियापुर केंद्र में रिक्टर स्केल 3.6 मैग्नीट्यूड दर्ज किया गया था। गिरिडीह का भूकंप भी इसी के आसपास था। रिएक्टर स्केल पर पर 6.0 या अधिक तीव्रता वाले भूकंप को खतरनाक माना जाता है। इससे जानमाल के नुकसान की आशंका रहती है। झारखंड ईस्टर्न इंडिया शील्ड में है और यह क्षेत्र भूकंप को लेकर संवेदनशील जरूर माना गया है, लेकिन जानमाल के नुकसान की संभावना कम है।

भूकंप आने के कारण

पृथ्वी के अंदर सात टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। यह प्लेट्स लगातार घूमते रहते हैं। जिस जगह पर प्लेट्स टकराते हैं, उसे फाॅल्ट लाइन कहते हैं। टकराव के कारण इसके कोने मुड़ने लगते हैं। अधिक दवाब के चलते ये प्लेट्स टूटने भी लगती है। प्लेट्स टूटने के कारण पैदा हुई ऊर्जा बाहर निकलती है। इस वजह से उत्पन्‍न अतिरिक्त दबाव एवं एनर्जी की वजह से भूकंप आता है। छोटे भूकंप के झटके बड़े भूकंप की आहट होते हैं। यह रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल के तहत मापा जाता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल एक से नौ तक के आधार पर मापा जाता है।

यह हैं भूकंपीय जोन

प्रो. मोहित अग्रवाल के अनुसार भारतीय मानक ब्यूरो ने पूरे भारत को पांच भूकंपीय जोन में बांटा है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक जोन-5 है। इस क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर नौ तीव्रता का भूकंप आ सकता है। जोन-5 में पूरा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड गुजरात में कच्छ, उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल है। जोन-4 में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग, बिहार और पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से, पश्चिमी तट के समीप महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और राजस्थान शामिल है।

जोन-3 में केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीपसमूह, उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्से, गुजरात और पश्चिम बंगाल, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक है। जोन-2 भूकंप की दृष्टि से सबसे कम सक्रिय क्षेत्र है। इसे सबसे कम तबाही के खतरे वाले क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है। जोन-2 में देश का बाकी हिस्से शामिल हैं। पांचवां जोन सबसे खतरनाक माना जाता है। इसी जोन में सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं। इसके नीचे के टेक्टोनिक प्लेटों में सबसे अधिक हलचल होती है। इसके आधार पर उत्तरकाशी एरिया और दिल्ली हरिद्वार एरिया काफी संवेदनशील है।

आइआइटी आइएसएम की सिस्मोलाॅजिकल ऑब्जर्वेटरी कोऑर्डिनेटर प्रो. मोहित अग्रवाल के अनुसार, पृथ्वी की सतह पर बहुत सारी टेक्टाेनिक प्लेट्स हैं। यह सतह पर तैरती रहती हैं। बीच-बीच में इनकी इंटरलाकिंग होती है। इसी घर्षण से ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसे निकलने का रास्ता चाहिए होता है। इसी दौरान प्लेट्स की हलचल होती है। इसे ही भूकंप कहते हैं।

उन्‍होंने बताया कि आइआइटी आइएसएम ने अपने परिसर के साथ ही गिरिडीह, पेटरवार, निरसा और देवघर में भी सिस्मालाॅजिकल ऑब्जर्वेटरी स्थापित किया है। इससे भूकंप की तीव्रता मापने में मदद मिल रही है। इस वर्ष बलियापुर और गिरिडीह में दो बड़े भूकंप आए। झारखंड छोटानागपुर प्लेट्स के अंतर्गत आता है। यह सिस्मिक जोन-3 में है। इसलिए यहां भूकंप का बहुत अधिक असर नहीं होने वाला है।


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