Durga Puja 2022: धनबाद का अनोखा पंडाल, जहां मुसलमानों के साथ मिलकर हिंदुओं ने शुरू की थी पूजा
अबतक धर्म के नाम पर लोगों को लड़ते तो खूब सुना होगा लेकिन यहां धर्म और आस्था ही लोगों को एक-दूसरे के करीब ले आई। श्रमिक नगरी भूली में दुर्गा पूजा की शुरुआत में भूली नगर प्रशासन के अधिकारी मोहम्मद फैज की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: अबतक धर्म के नाम पर लोगों को लड़ते तो खूब सुना होगा, लेकिन यहां धर्म और आस्था ही लोगों को एक-दूसरे के करीब ले आई। श्रमिक नगरी भूली की दुर्गा पूजा कौमी एकता की मिसाल रही है। दुर्गा पूजा की शुरुआत में भूली नगर प्रशासन के अधिकारी मोहम्मद फैज की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति भूली ए ब्लाॅक की दुर्गा पूजा भाईचारे का प्रतीक है। यहां 1949 में पहली बार पूजा की गई थी। पूजा की शुरुआत मोहम्मद फैज, स्व. सुनील कुमार मुखर्जी, स्व. अनुरुद्ध पांडेय, स्व. ललन सिंह, स्व. बाबूलाल पासवान और अन्य समाजसेवियों ने की थी। शुरुआती दौर में यहां मां दुर्गा की पूजा छोटे स्तर पर की जाती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे पूजा पाठ का स्वरूप भी बदलता गया। शुरुआती दौर में शेर पर सवार मां दुर्गा, भगवान गणेश, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, भगवान कार्तिक, महिषासुर सहित अन्य देवी देवता की प्रतिमा एक ही साथ बना करती थी,लेकिन अब यहां देवी-देवताओं की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं।
स्थानीय लोग बताते हैं कि धीरे-धीरे भूली में इस दुर्गा पूजा पंडाल की ख्याति बढ़ती गई। आज पूरे भूली क्षेत्र में 10 जगहों पर दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है। वर्तमान पूजा कमेटी में भी कई जगहों पर मुस्लिम धर्म के लोग सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं।
मुहर्रम में हिंदुओं ने की थी मदद
बताया जाता है कि 1949 में भूली में दुर्गा पूजा मनाने के बाद हिंदुओं ने मिलकर मुहर्रम का आयोजन किया था। पताका के लिए ध्वज हिंदुओं ने दिया था। इसके बाद भूली में मुहर्रम मनाया जाने लगा। कौमी एकता की मिसाल ही है कि अभी तक भूली में कभी भी सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए हैं। जब भी कोई ऐसी बात आती है तो सभी समुदाय के लोग बैठकर इसका हल निकाल लेते हैं। फिलहाल पूरी भूली में दुर्गा पूजा की उमंग और उत्साह है।
दो साल बाद पूजा पंडालों में खूब उमड़ रही भीड़
पिछले 2 वर्षों से कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से पूजा में सभी श्रद्धालुओं को सम्मिलित होने का अवसर नहीं मिल पाया था, लेकिन इस बार संक्रमण का असर कम होने के कारण पूजा और आरती में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। महाअष्टमी को लेकर सभी पूजा पंडालों में विशेष पूजा हो रही है। सुबह से ही पूजा पंडालों में भीड़ उमड़ रही है। पूजा समितियों की ओर से पंडालों में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है।