Move to Jagran APP

Durga Puja 2022: कतरास के भगत मोहल्ला में 107 वर्षों से हो रही मां की आराधना, मशहूर है यहां का रास गरबा

एक समय था जब झांझर मृदंग व अन्य वाद्य यंत्रों की धुन पर महिलाएं व पुरुषों के पांव पूर रात थिरकते थे। आयोजन का गवाह गुजराती समाज तथा आसपास के समाज के लोग होते थे। लोग पूजा की उमंग और उत्साह का आनंद लेते थे।

By JagranEdited By: Deepak Kumar PandeyPublished: Thu, 29 Sep 2022 01:28 PM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 01:28 PM (IST)
आज भी लोग निष्ठा और समर्पण भाव से गरबी चौक पर रास गरबा कार्यक्रम में भाग लेते हैं।

संवाद सहयोगी, कतरास (धनबाद): एक समय था, जब झांझर, मृदंग व अन्य वाद्य यंत्रों की धुन पर महिलाएं व पुरुषों के पांव पूर रात थिरकते थे। आयोजन का गवाह गुजराती समाज तथा आसपास के समाज के लोग होते थे। लोग पूजा की उमंग और उत्साह का आनंद लेते थे। करीब 10 दिन तक गुजराती समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में डांडिया व गरबा में भाग लेते थे। ऐसा लगता था मानो कतरास में पूरा गुजरात समा गया हो।

loksabha election banner

धनबाद, झरिया, सिजुआ, महुदा सहित आसपास के इलाकों से भी बड़ी संख्‍या में लोग कार्यक्रम में भाग लेने आते थे। समय के साथ समाज के लोग धीरे-धीरे गुजरात चले लगे। एक बड़ी आबादी के चले जाने से रास गरबा पर इसका बहुत बड़ा असर पड़ा। समय ने करवट ली और वाद्य यंत्रों में भी बदलाव आया। हालांकि आज भी लोग निष्ठा और समर्पण भाव से गरबी चौक पर आकर पूजा अर्चना तथा रास गरबा कार्यक्रम में भाग लेते हैं। आयोजन के सौ वर्ष पूरे होने पर समाज के लोगों ने भव्य तरीके से व पूरे धूमधाम के साथ रास गरबा कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें पूरे जिले के लोगों ने भाग लिया था। इस बार यह कार्यक्रम का 107वां वर्ष है। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार भले आयोजक दल में शामिल लाेगों की संख्‍या घटी है, लेकिन इसके बावजूद लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है।

इस वर्ष भी गुजराती समाज के लोग पारंपरिक तरीके से निष्ठा भाव के साथ पूजा अर्चना कर‌ रहे हैं। चौक को पंडाल से सजाया गया है। पूजा को लेकर समाज के लोग सक्रिय हैं। आयोजन समिति में शामिल सदस्‍यों ने कहा कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार भी सरकार की गाइडलाइन का ध्‍यान रखा जाएगा।

पहले एक हजार परिवार मिल कर करते थे आयोजन, अब बचे महज डेढ़ सौ

इस आयोजन में पहले जहां करीब एक हजार से अधिक परिवार हिस्‍सा लेते थे, वहीं अब यहां महज डेढ़ सौ परिवार रह गए हैं। इसके बावजूद लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। कतरास शहर के भगत मोहल्ला स्थित मुरजी भाई मांडल भाई के गरबी में 1919 से लगातार दस दिनों तक परंपरागत तरीके से मां अंबे की पूजा आराधना की जाती है। इस वर्ष तीन अक्टूबर को अष्टमी के हवन पूजन के बाद पांच अक्टूबर को विजयादशमी के दिन माता को विदाई दी जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.