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माता का एक रूप यह भी, यहां डेढ़ साै वर्षों से हो रही अराधना Dhanbad News

पुजारी महांदी महतो बताते हैं कि सबसे पहले यहां मां काली की पूजा होती थी। इसके बाद हरिबोल कीर्तन शुरू हुआ जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा होने लगी।

By Edited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 02:55 AM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 08:00 AM (IST)
माता का एक रूप यह भी, यहां डेढ़ साै वर्षों से हो रही अराधना Dhanbad News
माता का एक रूप यह भी, यहां डेढ़ साै वर्षों से हो रही अराधना Dhanbad News

धनबाद[ मोहन गोप ]। धनबाद मुख्यालय से महज कुछ किमी दूर पर स्थित ढांगी डंगवाडीह में डेढ़ सौ वर्षो से मां की आराधना हो रही है। सबसे खास बात यह है कि यहां मां दुर्गा की प्रतिमा नहीं, बल्कि यहां सियार के रूप में मां की पूजा की जाती है।

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मुखिया प्रतिनिधि जंगबहादुर महतो और पुजारी महांदी महतो बताते हैं कि सबसे पहले यहां मां काली की पूजा होती थी। इसके बाद हरिबोल कीर्तन शुरू हुआ, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा होने लगी। इसके बाद फिर मां दुर्गा की पूजा सियार रूप में शुरू हुई। इस अनोखी पूजा की शुरूआत कब हुई, इसकी कोई जानकारी ग्रामीणों के पास नहीं है। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि उनकी सात पीढियां यहां पूजा कराती आ रही हैं। यहां के पुजारी महांदी महतो व उनके परिजन हैं, इनकी भी सात पीढि़यां यहां पूजा कर रही हैं। पहाड़ के नीचे अति प्राचीन बरगद की छाया में मंदिर मंदिर के आसपास की छटा भी देखते बनती है।

धनबाद से स्टील गेट होते हुए करमाटांड़ तक पहुंचा जा सकता है। यहां से एक सीधी सड़क पहाड़ की तलहटी तक जाती है। यहां पर एक अति प्राचीन बरगद का पेड़ है। एक नजर में ही बरगद लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। इसी बरगद की छाया में मां दुर्गा की प्रतिमा सियार के रूप में स्थापित है। बगल में काली मां व हरि बोल मंदिर है। भगवान कृष्ण की जन्म से जुड़ी है कथा गांव के मुखिया प्रतिनिधि जंग बहादुर महतो कहते हैं कि मां के सियार रूप की प्रतिमा के पीछे की कथा यह है कि भगवान कृष्ण का जब जन्म हुआ था, तब वसुदेव को मां दुर्गा ने सियार बन कर मथुरा से गोकुल तक रास्ता दिखाया था। इसी कारण यहां सियार के रुप में मां दुर्गा विराजमान हैं।

कार्तिक अमावस्या व जनवरी में यहां मेला भी लगता है। सैकड़ों बकरों की बलि दी जाती है। मंदिर में हैं दर्जनों गांवों की आस्था इस मंदिर में दर्जनों गांवों की आस्था है। पुजारी महांदी महतो कहते हैं कि मां सबके कष्टों को दूर करती हैं। पूजा के कारण गांवों में खुशहाली है, सभी रोग-बला व गांव में आने वाले संकट से मां बचाती हैं। गांव देवता की भी लोग यहां पूजते हैं। आसपास के एक दर्जन गांव के लोग पूजा में यहां आते हैं।


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