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Weekly News Roundup Dhanbad: डीआरएम साहब! आप ही बताएं, हम कहां चलें

रेलवे के अधिकारियों की चलती का क्या कहना। हर विभाग के प्रमुख जब चैंबर छोड़ते हैैं तो उनके विभागीय अधीनस्थ खड़े हो उठते हैं। यह रौब देखकर एक कनीय अधिकारी को चुभन हो रही है।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 02:12 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 02:12 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad:  डीआरएम साहब! आप ही बताएं, हम कहां चलें
Weekly News Roundup Dhanbad: डीआरएम साहब! आप ही बताएं, हम कहां चलें

धनबाद [ तापस बनर्जी ]। धनबाद स्टेशन को सुंदर बनाया जा रहा है। इससे इतर स्टेशन के बाहर की बात करें तो चलना मुहाल हो गया है। डीआरएम ऑफिस से रेलवे स्टेशन के लिए थोड़ा आगे बढ़ते हैं तो सड़क का बुरा हाल है। 40 फीट की सड़क सिकुड़ कर महज 15 फीट रह गई है। दो साल पहले अपनी जमीन को अतिक्रमण से बचाने के लिए रेलवे ने चहारदीवारी बनवाई थी लेकिन हो गया उल्टा। अधिकारियों की नाक के नीचे ही दुकानदारों ने सड़क पर फुटपाथ सजा डाला। उसी रास्ते लंबी दूरी की बसें भी गुजरती हैं। हर दिन हजारों लोग स्टेशन आना-जाना करते ही हैैं। ऐसे में संकीर्ण सड़क पर वाहनों का बोझ बढऩे से दिनभर लोगों को जाम से तो जूझना पड़ता ही है, पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में लोग चलते फिरते अक्सर यह फिकरा रेलवे अधिकारियों पर कसते हैैं कि साहब कहां चलें।

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रुतबा दिखा रहे जूनियर

रेलवे के अधिकारियों की चलती का क्या कहना। हर विभाग के प्रमुख जब चैंबर छोड़ते हैैं तो उनके विभागीय अधीनस्थ खड़े हो उठते हैैं। ऐसे अधिकारियों का रौब देखकर एक कनीय अधिकारी को चुभन हो रही है। फिर क्या, वह भी अपना जलवा दिखाने में एक हाथ आगे निकलने की कोशिश में लगे हैैं। डीआरएम ऑफिस से निकलकर वे रेलवे के किसी भी क्षेत्र में धमक जाते हैैं, छोटे कर्मचारियों पर रौब झाडऩा शुरू कर देते हैैं। इस जूनियर अधिकारी की चर्चा पूरे रेल महकमे में इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। कर्मचारियों को डांट-फटकार उनकी आदत में शुमार हो गया है। उन्हें दूर से आता देख कर्मचारी खिसकने लगते हैैं। बात धनबाद स्टेशन की है। वे वाणिज्य विभाग के एक कार्यालय में पहुंचते हैैं और कर्मचारियों को झाड़ पिलाने लगे। साफ-साफ कह भी डाला, मुझे देखकर खड़े नहीं हुए तो जंगल भेजवा दूंगा।

आज निर्माण, कल टूटेगा

पूरे ढाई करोड़ खर्च कर धनबाद जंक्शन का मुखौटा बदला जा रहा है। बड़े रेलवे स्टेशन सरीखी सुविधाएं विकसित करने के दावे भी हो रहे हैं। अफसर खुश हैं कि मुखौटा बदलते ही रौनक बढ़ जाएगी मगर पब्लिक उलझन में है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के कारण स्टेशन बिल्डिंग के ऊपर शिफ्ट होने और नीचे डबल लाइन बिछाने की योजना बन चुकी है। स्टेशन रोड के पेट्रोल पंप से होकर फ्लाईओवर निर्माण की योजना है। इससे कार लेकर ऊपर तक पहुंचने की सुविधा मिलेगी। फ्लाईओवर श्रमिक चौक तक पहुंचने की राह आसान बनाएगा। मौजूदा स्टेशन बिल्डिंग अतीत बन जाएगा और हाईटेक स्टेशन बनकर तैयार होगा। वाकई ऐसा है तो भला अभी इसे नए कलेवर में ढालने की कहां और क्यों जरूरत थी। पब्लिक कहती है, आज बनेगा और कल टूटेगा, तभी आमदनी का जुगाड़ बनता रहेगा। वैसे भी साहब बदलते ही स्टेशन की फर्श बदलने लगती है।


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