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जुटता नहीं था दो वक्‍त का खाना, युवक ने खोल ल‍िया दस करोड़ की लागत से बना कारखाना

धनबाद का तिसरा इलाका। यहां का युवक कुंदन पांडेय आज राेल मॉडल बन गया है। बुलंद हौसले से उसने गरीबी को परास्‍त कर दिया। इसमें पत्‍नी नीतू ने भी पूरा साथ दिया। 2018 में उसने नोएडा में ऑप्टिकल फाइबर केबल बनाने का काम शुरू किया।

By Atul SinghEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 02:34 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 07:20 PM (IST)
जुटता नहीं था दो वक्‍त का खाना,  युवक ने खोल ल‍िया दस करोड़ की लागत से बना कारखाना
धनबाद का तिसरा इलाका। यहां का युवक कुंदन पांडेय आज राेल मॉडल बन गया है। (जागरण)

 धनबाद [ राजीव शुक्ला ]। गरीब के घर में पैदा होना अभि‍शाप नहीं है। इसे साब‍ित क‍िया है धनबाद के तिसरा इलाका के युवक  कुंदन पांडेय ने। कुंदन आज राेल मॉडल बन गया है। बुलंद हौसले से उसने गरीबी को परास्‍त कर दिया। इसमें पत्‍नी नीतू ने भी पूरा साथ दिया। 2018 में उसने नोएडा में ऑप्टिकल फाइबर केबल बनाने का काम शुरू किया। पहले ही साल 30 लाख का कारोबार हुआ तो हिम्‍मत बढ़ी। 2019 में कारोबार दो करोड़ तक पहुंच गया। 2020 तो अवसर बनकर आया। कोरोना काल के कारण इंटरनेट का प्रयोग बढ़ने से केबल की मांग बढ़ी। बस इस दंपती ने दिन रात एक कर दिया। नतीजा अब तक 10 करोड़ का कारोबार हो चुका है। 10 लोगों को उसने नौकरी भी दी है। रेलवे, बीएसएनएल, इंडियन ऑयल समेत कई नामी गिरामी संस्‍थानों में उसका केबल हाथाें हाथ लिया जा रहा है। इस दंपती को हर माह करीब दो लाख से अधिक की आमदनी हो रही है।

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 बचपन में देखी गरीबी

अपने बारे में बताते समय कुंदन की आंखें अतीत में खो गईं। उसने बताया कि झरिया के भूमिगत आग प्रभावित डीपू धौड़ा इलाके में परिवार रहता था। बचपन से गरीबी देखी, घर के चारों ओर धुआं और गैस रिसाव होता था। पिता उमाशंकर कंपाउंडर थे। दो वक्‍त की रोटी जुटाना भी उनके लिए कठिन था। तब अहसास हुआ कि तालीम ही आगे बढ़ाएगी। सरकारी स्‍कूल में दाखिला लिया। मनोयोग से पढ़ाई कर 12 वीं की परीक्षा पास की। पश्चिम बंगाल प्रौद्योगिकी वि‍श्‍वव‍िद्यालय से बीटेक व एमटेक किया। बच्‍चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकाला। एमटेक के बाद दिल्‍ली जाकर एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्‍थान में पढ़ाने लगा।

 लीज पर लिया बंद कारखाना, लोन से मिली ताकत

अंतर्मन में नौकरी नहीं युवाओं को रोजगार देने की ललक थी। सो नौकरी छोड़ दी। पास में तकनीकी ज्ञान था, बस ऑप्‍ट‍िकल फाइबर केबल बनाने का विचार आया। नीतू भी एमटेक है। हम दोनों ने मिलकर इसे अमलीजामा पहना दिया। ड्रोन एज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की आधारशिला रखी। दस लाख रुपये लोन के रूप में बैंक से बड़ी मदद मिल गई। नोएडा के एक बंद केबल कारखाने को मशीन समेत सात वर्ष के लिए लीज पर ले लिया। यहां केबल के अलावा ओएफसी पैच कोड, ऑप्टिकल लाइन टर्मिनल, राउटर का निर्माण कर रहे हैं। लगन और इमानदारी से काम को आगे बढ़ाया तो लोगों का भरोसा जमता गया और कारोबार ने तेजी से गति पकड़ ली।

चीन से मंगाते कच्‍चा माल, देश में ही बनाएंगे

कुंदन व नीतू का कहना है कि हम कारखाने के लिए कच्‍चा माल चीन से मंगाते हैं। इससे मन कलप जाता है। तमन्‍ना है कि कच्‍चा माल भी हमारे देश में बने। हम चीन पर निर्भर न रहें। जल्‍द ही इस सपने को भी पूरा करेंगे। इसके लिए ब्‍लू प्रिंट तैयार है। कंपनी में अभी दस लोगों को रोजगार दिया है। सभी को 15 से 25 हजार रुपये के बीच वेतन देते हैं। काम बढ़ने के साथ उनकी संख्‍या में भी इजाफा करेंगे।


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