Dhanbad: राम कृष्ण को सुमिरे जाएं, आओ गोमय दीप जलाएं हिन्दी साहित्य भारती धनबाद के तत्वावधान में कवि सम्मेलन
प्रियदर्शिनी पुष्पा ने जब काज करे जग मानस का सहयोग समाज प्रधान हुआ तो पूजा रत्नाकर ने शहर बड़ा मौन है शहर बड़ा उदास है। शहरी विकास की व्यवस्था पर प्रहार किया। मंजू शरण मंजूल ने जीते जी या मरकर भी मोल चुकाना पड़ता है कर्ज चुकाना पड़ता है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: हिन्दी साहित्य भारती धनबाद की ओर से कवि सम्मेलन का आयोजन नेचर एक्वेरियम में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ गाय के गोबर से निर्मित एकल गोमय दीप जलाकर किया गया। दीप का प्रजवलन अध्यक्ष विश्वजीत कुमार विश्वकिरण तथा संरक्षक स्नेह प्रभा पाण्डेय की ओर से किया गया। मंजू शरण मंजूल ने सरस्वती वंदना के साथ कवियों ने कविता पाठ शुरू किया। मंच का संचालन युवा कवि अनंत महेंद्र ने किया। डॉ स्नेह लता ने प्रश्न चिन्ह मानवता पर कविता सुनाकर मानव पर ही मानवता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। तुषार कश्यप ने राम कृष्ण को सुमिरे जाएं, आओ गोमय दीप जलाएं, वहीं रिषभदेव ने रग-रग मेंं होता प्रभु का वास सुनाकर पूरे कवि सम्मेलन को भक्ति मय कर दिया।
प्रियदर्शिनी पुष्पा ने जब काज करे जग मानस का सहयोग समाज प्रधान हुआ तो पूजा रत्नाकर ने शहर बड़ा मौन है, शहर बड़ा उदास है। शहरी विकास की व्यवस्था पर प्रहार किया। मंजू शरण मंजूल ने जीते जी या मरकर भी मोल चुकाना पड़ता है, कर्ज चुकाना पड़ता है। जबकि वरिष्ठ कवित्री स्नेह प्रभा पाण्डेय ने पुस्तक जिसके घर रहे, वो घर है धनवान। पढ़ने की चाहत रहे, मिटे सभी अभियान सुनाकर पढ़ने की लालसा को बढ़ाया। अनंत महेंद्र ने विरह गीत गाकर जुदाई की वेदना को प्रकट किया।
विश्वजीत कुमार विश्वकिरण ने ऐ फूल ये बता कांटों में तू खिला कैसे, कंटीली माहौल में सुकून मिला कैसे तथा खोरठा गीत चाल गे सजनी मेला देखे झारखंडी बाजार गे सुनाकर कवि सम्मेलन को झारखंड के रंग में रंग दिया। विश्वकीरण के अध्यक्षीय भाषण के उपरांत स्नेह प्रभा पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन कर कवि सम्मेलन को विराम दिया। मंजू शरण ने बताया कि इस तरह के कई और आयोजन निकट भविष्य में किए जाएंगे। इसमें धनबाद झारखंड के विभिन्न जिलों और राज्य से बाहर के भी कवि शिरकत कर कविता पाठ करेंगे। हिंदी साहित्य के विकास को लेकर विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है। इसका अनुपालन होगा।