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Dhanbad Municipal Corporation: प्राक्कलन घोटाले में पीई के बाद एसीबी की तफ्तीश शुरू, नगर आयुक्त ने दिया जांच में सहयोग का आश्वासन

धनबाद नगर निगम से घोटाले की जांच कर रही टीम ने संविदा के संबंध में कुछ कागजात मांगे हैं। ऐसे कागजात की मांग की गई है जो टेंडर आवंटन के दौरान दिए गए थे। किसे टेंडर मिला कितने लोग टेंडर में शामिल हुए प्रकिया क्या अपनाई गई।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 09:39 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 09:39 AM (IST)
Dhanbad Municipal Corporation: प्राक्कलन घोटाले में पीई के बाद एसीबी की तफ्तीश शुरू, नगर आयुक्त ने दिया जांच में सहयोग का आश्वासन
धनबाद नगर निगम में कथित रूप से 200 करोड़ रुपये का प्राक्कलन घोटाला हुआ है।

धनबाद, जेएनएन। धनबाद नगर निगम में कथित 200 करोड़ रुपये के प्राक्कलन घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने जांच शुरू कर दी है। झारखंड सरकार के निर्देश पर जांच के लिए पहले पीआई दर्ज की गई थी। अब पीई के आधार पर जांच की जा रही है कि शिकायत सही है या नहीं? शिकायत सही पाए जाने के बाद एसीबी मामले में प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई करेगी। जांच के दाैरान अभी तक शिकायतकर्ता सामने नहीं आया है। एसीबी को शिकायतकर्ता की तलाश है।

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धनबाद नगर निगम में 14वें वित्त आयोग की योजना मद में लगभग 200 करोड़ रुपये के प्राक्कलन घोटाले की जांच करने सोमवार को एसीबी के डीएसपी अशोक कुमार पहुंचे। उन्होंने नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार से मुलाकात की। घोटाले से जुड़े कागजातों के बारे में विस्तार से बात की। एसीबी के डीएसपी मामले का अनुसंधान कर रहे हैं। तत्कालीन नगर आयुक्त चंद्रमोहन कश्यप और पूर्व मेयर इस मामले में आरोपित बनाए गए हैं। नगर निगम से घोटाले की जांच कर रही टीम ने निगम से संविदा के संबंध में कुछ कागजात मांगे हैं। ऐसे कागजात की मांग की गई है जो टेंडर आवंटन के दौरान दिए गए थे। किसे टेंडर मिला, कितने लोग टेंडर में शामिल हुए, प्रकिया क्या अपनाई गई और अन्य जानकारियां मांगी है।

यहां बता दें कि 13 सड़कों के डीपीआर के लिए 156.33 करोड़ प्राक्कलित राशि थी। इन 40 सड़कों में से 27 सड़कों का प्राक्कलन नगर निगम के ही तकनीकी पदधिकारियों ने बनाया। डीपीआर बनाने के एवज में किसी भी परामर्शी एजेंसी को भुगतान नहीं किया गया, लेकिन 13 सड़कों के निर्माण के लिए एजेंसी मेसर्स मास एडं वॉयड को भुगतान किया गया। यह भुगतान सड़क के साथ नाली, एलईडी लाइट, पेवर ब्लॉक आदि का प्रावधान होने की वजह से किया गया। इसकी कुल प्राक्कलित राशि 156.33 करोड़ रुपये थी, लेकिन इन सड़कों के डीपीआर की जांच से पता चला कि किसी भी डीपीआर में डिजाइन संलग्न नहीं है। इसके अलावा डीपीआर में तकनीकी रिपोर्ट भी नहीं है। जबकि यह अनिवार्य रूप से होना चाहिए था। साथ ही सड़कों के निर्माण में कई खामियों और तकनीकी प्रावधानों के उल्लंघन की शिकायत की गई है। मुख्यमंत्री ने घोटाले की जांच जिम्मा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को सौंपा है।


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