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धनबाद में अभी से सुनाई देने लगी है धनतेरस की धुन इस बार बाजार में उछाल की पूरी संभावना

धनबाद में अभी से ही धनतेरस की धुन सुनाई देने लगी है बाजार में लोगों की भीड़ भाड़ यह बताने के लिए काफी हो गई है कि इस बार उनका उत्साह पिछले साल की अपेक्षा काफी ज्यादा है इसलिए बस करो ना के कारण धनतेरस बिल्कुल भी फीकी थी।

By Atul SinghEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 05:21 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 05:21 PM (IST)
धनतेरस में धनबाद में होगी धूम इस बार के।

जासं, धनबादः दीपावली निकट आते ही काफी ऐसे लोग हैं, जो खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त का इंतजार करते हैं। इस बार 2 काे धनतेरस व 4 नवंबर काे दीपावली का त्याेहार मनाया जाएगा। दीपावली की खरीदारी के लिए इस बार शुभ मुहूर्त 6:18 मिनट से 8:11 मिनट तक का मुहूर्त है। इस वक्त ज्वैलरी, वाहन, इलेक्ट्रानिक्स सामान व घर की जरूरी सामान की खरीदारी की जा सकती है। ज्योतिषाचार्याें के अनुसार इस बार 2 नवंबर को त्रिपुष्कर योग सुबह करीबन 11:30 बजे तक रहेगा। और उस दौरान अमृत योग का भी आरंभ हो जाएगा जो 1: 30 मिनट तक रहेगा। इसके बाद विजय मुहूर्त 1:33 से 2:18 बजे तक रहेगा। इसके बाद संध्या 6:18 से 8:11 तक वृषभ काल रहेगा जो धनतेरस में खरीदारी के लिए उचित समय है। जाे एक बड़ा ही मंगलकारी योग है। यह योग व्यापार के लिए लाभकारी एवं जनता के लिए शुभ फलदाई रहेगी।

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कई लोग मनाते हैं पांच दिवसीय दिवालीः

कई लोग दिवाली को पांच दिवसीय दिवाली मनाते हैं। दिवाली का पर्व धनतेरस के दिन से आरंभ व भैयादूज पर खत्म होता है। पांच दिवसीय इस महापर्व में सब

से पहले धनतेरस, दिवाली, नरक चतुर्थी, गोवर्धन पूजा व भैयादूज मनाते हैं। 

*-कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली अमावस्या कहते हैंः*

इस दिन रात सबसे घनी होती है। यह अमावस्या अन्य अमावस्याओं की अपेक्षा अधिक घनेरी होती है। इसीलिए इस अमावस्या के समय दीपोत्सव मनाया जाता है। मूल रूप से यह अमावस्या माता काली से जुड़ी हुई है। इसीलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा का महत्व भी है।

*-धनतेरस के लिए शुभ मुहूर्तः*

दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है। इस दिन नई चीजों की शुभ खरीदारी की जाती है। इस वर्ष धनतरेस का शुभ 6:18 मिनट से 8:11 मिनट तक का मुहूर्त है।

*-लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्तः*

लक्ष्मी पूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिर लग्न व स्थिर नवांश में किया जाना श्रेष्ठ माना गया है।

अमावस्या तिथि प्रारम्भ 4 नवंबर प्रात 6:03 बजे से समाप्त 5 नवंबर प्रात 2:44 बजे तक।

ऐसे में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त शाम 6:09 मिनट से रात्रि 8:20 मिनट तक। कुल अवधि 1 घंटा 55 मिनट।


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