Dhanbad: यूनियनों में विवाद के कारण बस्ताकोला कोल डंप में मजदूरों को नहीं मिल रहा रोजगार
बस्ताकोला कोल डंप में कुछ माह पूर्व कोयला डंपिंग शुरू होते ही स्थानीय सैकड़ों असंगठित मजदूरों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। मजदूरों को विश्वास था कि उन्हें ट्रक लोडिंग का कार्य मिलेगा।उन्हें काम के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
जासं, झरिया-धनसार: बस्ताकोला कोल डंप में कुछ माह पूर्व कोयला डंपिंग शुरू होते ही स्थानीय सैकड़ों असंगठित मजदूरों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। मजदूरों को विश्वास था कि उन्हें ट्रक लोडिंग का कार्य मिलेगा।उन्हें काम के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। लेकिन इन मजदूरों की उम्मीद पर पूरी तरह से पानी फिर गया। कुछ यूनियन नेताओं के चलते सैकड़ों मजदूर ट्रक लोडिंग के कार्य से वंचित रह गए। जबकि बस्ताकोला कोलियरी प्रबंधन ने स्थानीय लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से यहां दो बार ट्रक लोडिंग के लिए पांच-पांच हजार टन कोयले का अलाटमेंट कराया। दो बार ट्रक लोडिंग कार्य शुरू हुआ। यहां पर अपनी-अपनी दावेदारी के लिए कई यूनियन और स्थानीय लोग मैदान में कूद गए। इसमे चांदमारी मांझी बस्ती गुट, जमसं, बच्चा गुट, मासस,
झामुमो, आर्टिकल19, राकोमयू, युवा बेरोजगार मंच धनसार, असंगठित मजदूर मंच विक्ट्री ने अपनी भागीदारी दिखाई। सभी लोगों ने अपने से जुड़े असंगठित मजदूरों को ट्रक लोडिंग दिलाने के लिए आंदोलन भी किया। पर यहां से ट्रांसपोर्टिंग कार्य शुरू होते ही मजदूरों की अगुवाई कर रहे सभी यूनियन नेता अंतर्ध्यान हो गए। अब असंगठित मजदूरों के रोजगार दिलाने वाले नेता सामने नहीं आ रहे है। इन नेताओं को ट्रांसपोर्टिंग कर रहे ट्रांसपोर्टर से अलग किस्म का लगाव हो गया है। अब स्थानीय असंगठित मजदूर स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं। वहीं कुछ नेता ट्रांसपोर्टर से मिलकर अपनी जेब भर रहे हैं।यूनियन में आपसी मतभेद होने के कारण प्रबंधन भी अब कोयला का डीओ आफर नहीं भेज रहा है। इससे मजदूरों में आक्रोश है।
विवाद के कारण बंद है यहां ट्रक लोडिंग कार्य
दो बार यहां कोयले का एलाटमेंट हुआ। मजदूरों की सहमति से ट्रक के माध्यम से डीओ धारकों ने कोयला का उठाव किया। लेकिन यूनियन के आपसी विवाद के कारण लोगों के रोजगार पर ग्रहण लग गया। चांदमारी मांझी बस्ती के आदिवासी सहित अन्य मजदूरों ने यहां ट्रक लोडिंग मे अपनी मजबूत दावेदारी पेश की। इन मजदूरों का कहना है कि यहां पूर्व मे बीसीसीएल की इंकलाइन चलती थी।तब मजदूर यहां के ट्रक लोडिंग में कार्य करते थे। इसलिए उन्हें 50 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।वहीं जमसं ने 25, बच्चा गुट 25, मासस ने 15 सहित युवा बेरोजगार मंच, असंगठित मजदूर मंच विक्ट्री, राकोमयू, झामुमो, आर्टिकल 19 ने भी स्थानीय होने का दावा करते हुए अपनी हिस्सेदारी के लिए मजबूत दावेदारी पेश की। अधिक हिस्सेदारी के चलते यहां ट्रक लोडिंग के कार्य में ग्रहण लग गया। तब से यहां ट्रक लोडिंग का कार्य बंद है। जबकि यहां खनन कर रहे देव प्रभा के लगभग तीन साल बीत गए। इस आउटसोर्सिंग के शुरू होते ही मजदूरों मे इस बात की खुशी थी कि उन्हें रोजगार मिलेगा। लेकिन यूनियन नेताओं के चलते उनका रोजगार भी छीनता जा रहा है।
वर्जन
ट्रक लोडिंग शुरू करने के लिए पूर्व में कोयला का एलाटमेंट हुआ। दो बार ट्रक लोडिंग कार्य शुरु हुआ। पर यहां कई यूनियन और गुट अपनी दावेदारी पेश कर दी। इसके चलते यहां विवाद हो गया। ट्रक लोडिंग कार्य बंद है।अगर सभी लोग विवाद खत्म कर सहमति बनाई तो डीओ आफर भेजने पर फिर विचार किया जाएगा।
- एके शर्मा, पीओ बस्ताकोला कोलियरी।