झरिया के देशबंधु सिनेमाघर में आए थे देशबंधु चित्तरंजन दास... 1928 में बना देशबंधु सिनेमाघर 94 वर्षों से आज भी चल रहा है
सिनेमाघर के मालिक गोपाल अग्रवाल ने कहा कि दादा प्रहलाद राय अग्रवाल स्वतंत्रता सेनानी थे। देशबंधु चित्तरंजन दास महात्मा गांधी के साथ झरिया के सेठ समाजसेवी रामजस अग्रवाल के महल में 1922 को आए थे। रामजस ने उन्हें ब्लैंक चेक दिया था।
गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया: काले हीरे की ऐतिहासिक नगरी झरिया भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के समय की कई यादों को अपने अंदर में समेटे हुए है। इनमें से एक यहां का 94 वर्ष पुराना देशबंधु सिनेमाघर भी है। देश में फिरंगियों के शासनकाल में झरिया में बना सिनेमाघर देशबंधु 94 वर्षों से आज भी चल रहा है। देशबंधु सिनेमाघर 1928 में स्थापित हुआ था। उस समय सिनेमाघर के मालिक व स्वतंत्रता सेनानी प्रहलाद राय अग्रवाल ने सिनेमाघर की नींव रखी थी। राजा हरिश्चंद्र मूक फिल्म सिनेमाघर में सबसे पहले लगी थी। इसके बाद स्व प्रहलाद राय अग्रवाल के पुत्र स्वतंत्रता सेनानी माली राम अग्रवाल ने भी सिनेमाघर का वर्षों तक संचालन किया। अभी स्व माली राम अग्रवाल के 79 वर्षीय पुत्र गोपाल अग्रवाल सिनेमाघर का संचालन कर रहे हैं। देशबंधु सिनेमाघर पूर्वोत्तर भारत के सबसे पुराने सिनेमाघरों में एक है।
देशबंधु चित्तरंजन दास की स्मृति में रखा देशबंधु
सिनेमाघर के मालिक गोपाल अग्रवाल ने कहा कि दादा प्रहलाद राय अग्रवाल स्वतंत्रता सेनानी थे। देशबंधु चित्तरंजन दास महात्मा गांधी के साथ झरिया के सेठ समाजसेवी रामजस अग्रवाल के महल में 1922 को आए थे। रामजस ने उन्हें ब्लैंक चेक दिया था। उसी समय देशबंधु चित्तरंजन दास दादा प्रहलाद से भी मिले। उस समय सिनेमाघर का निर्माण चल रहा था। गोपाल ने कहा कि कलकत्ता के बड़े घराने से ताल्लुक रखनेवाले प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी व वकील देशबंधु चित्तरंजन दास से प्रभावित होकर 1928 में सिनेमाघर का नाम उनकी स्मृति को हमेशा ताजा रखने के लिए देशबंधु रख दिया।
स्वतंत्रता सेनानी पिता व पुत्र दोनों को मिला प्रमाण पत्र
गोपाल अग्रवाल ने कहा कि दादा प्रहलाद राय अग्रवाल और पिता माली राम अग्रवाल दोनों ने स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी निभाई थी। देशबंधु चित्तरंजन दास को स्वतंत्रता आंदोलन में आर्थिक मदद भी की थी। इस बाबत दादा प्रहलाद को 1936 और पिता माली राम को 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी को देखते हुए उन्हें 1948 में प्रशस्ति पत्र भी दिया गया था। यह मेरे और परिवार के लिए बहुत गौरव की बात है। इसे कभी भुला नहीं सकते हैं। हम चाहते हैं कि पूर्वी भारत का देशबंधु सिनेमाघर एक सौ तक चले। सिनेमाघर के एक शताब्दी होने पर वर्ष 2028 में भव्य कार्यक्रम करने की इच्छा है।