मंदी की मार: माह भर में एक दर्जन हार्ड कोक उद्योग हो गए बंद, सैकड़ों मजदूर हुए बेरोजगार Dhanbad News
धनबाद में कभी कोयला आधारित हार्ड कोक का कारोबार पूरे उफान पर हुआ करता था और हजारों मजदूर उनमें काम करते थे।वर्तमान में लगातार हार्ड कोक उद्योग बंद हो रहे हैं।
धनबाद, जेएनएन। आर्थिक मंदी की मार से धनबाद के हार्डकोक उद्योग भी बेजार हो गए हैं। ना ही उन्हें कोयला मिल रहा है और ना ही हार्ड कोक बेचने के लिए बाजार। ऐसे में बीते एक माह के अंदर यहां के 12 हार्ड कोक उद्योगों पर ताला लटक गया है। इसमें प्रभु कोक, हिंदुस्तान, अलका, मुग्मा, रामाकृष्णा, पाटलीपुत्र हार्ड कोक आदि शामिल हैं। इसके कारण तीन हजार मजदूरों का रोजगार छीन गया।
धनबाद देश की कोयला राजधानी है। यहां भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) काम कर रही है। यही कारण है कि धनबाद में कोयला आधारित उद्योगों की संख्या अधिक है। कभी यहां हार्ड कोक का कारोबार पूरे उफान पर हुआ करता था और हजारों मजदूर उनमें काम करते थे। वर्तमान में लगातार हार्ड कोक उद्योग बंद हो रहे हैं। स्थिति यह आ गई है कि प्रतिदिन किसी ना किसी उद्योग के बंद होने की खबर सुर्खियों बनती है।
यह है कारण : प्रभु कोक के मालिक सज्जन अग्रवाल बताते हैं कि पहले हार्ड कोक उद्योग के लिए बीसीसीएल ने कोटा निर्धारित कर रखा था। कोटा के तहत उन्हें 4000 से 4500 रूपये प्रति टन कोयला मिल जाया करता था, लेकिन अब लिंकेज का कोयला मिलना मुश्किल हो गया है। जो कोयला मिल रहा है उसकी कीमत आठ से नौ हजार रूपये प्रति टन है। इस दर पर कोयला खरीदने के बाद बनने वाले हार्ड कोक की कीमत 12 हजार रुपये टन के आसपास होती है। इस दर पर हार्ड कोक खरीदने के लिए कोई तैयार नहीं है। ऐसे में एक ओर जहां स्टॉक भरा पड़ा हुआ है, वहीं दूसरी ओर कोयला नहीं मिलने से भट्ठियों को बंद कर दिया गया है। मजदूरों को भी काम नहीं मिल पा रहा।
बाजार में मांग नहीं : हार्ड कोक संचालक अनिल सांवरिया की मानें तो मंगलवार को ही उन्होंने अपने हार्ड कोक उद्योग में ताला लगा दिया। कारण महंगे दर पर उपलब्ध कोयला है। जिसकी खरीदारी करना उनके बस में नहीं। उन्होंने बताया कि बाजार में हार्ड कोक की मांग कम है और कच्चा कोयला अधिक दामों पर मिल रहा है। तो ऐसे में उद्योग चलाना संभव नहीं।
रंगदारी भी बनी समस्या : धनबाद हार्डकोक उद्योगों का कब्रगाह बन रहा है। इसके पीछे जहां आर्थिक मंदी है तो वहीं दूसरी ओर रंगदारी को भी कारण माना जा रहा है। उद्योगपति मानते हैं कि बाघमारा क्षेत्र में कोयला उठाव करने में उनकी कोई रूचि नहीं। कारण साफ है कि इस क्षेत्र में रंगदारी जबदस्त है। जिस क्षेत्र में रंगदारों का वर्चस्व नहीं, वहां का कोयला काफी मंहगा बिक रहा है। इस कारण धनबाद के हार्डकोक उद्यमी दोहरी मार का सामना कर रहे हैं।