Dhanbad Fire Accident: अस्पताल से एक साथ निकली तीन अर्थियां, माता-पिता से लिपट चीत्कार मार कर रोए बच्चे
Dhanbad Fire Accident जिस हाजरा मेमोरियल अस्पताल में डॉक्टर दंपती मरीजों का इलाज करते थे वहां से जब उनकी अर्थी निकली तो माहौल गमगीन हो गया। उनके बच्चों का रोना सुनकर वहां मौजूद सैंकड़ों लोगों की आंख छलक पड़ी।
आशीष अंबष्ठ, धनबाद। आरसी हाजरा मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टर विकास हाजरा और प्रेमा हाजरा की शनिवार रात आगजनी मौत हो गई। अंतिम दर्शन के लिए उनका शव अस्पताल परिसर में बने घर में रखा गया। परिजनों सहित पूरा धनबाद डॉक्टर दंपती को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा।
जिस हाजरा अस्पताल में दिन के 10.30 बजे कभी डॉक्टर से इलाज कराने के लिए मरीजों की भीड़ लगी रहती थी, वहां से रविवार को एक साथ तीन अर्थियां निकली तो माहौल गमगमीन हो गया। आगजनी में डॉक्टर दंपती के अलावा उनका भगने की भी मृत्यु हो गई है। डॉक्टर दंपती और उनके रिश्तेदार का अंतिम संस्कार बस्ती कोल के श्मशाम घाट में किया जाएगा।
डॉक्टर परिवार के तीन लोगों की अकाल मृत्यु से धनबाद वासी बेहद दुखी हैं। वहीं, जब बेटी प्रेरणा और बेटा आयुष अपनी मां और पिता से लिपट कर चित्कार मारकर रोने लगे तो वहां मौजूद सैंकड़ों लोगों की आंख छलक पड़ी।
डॉक्टर विकास हाजरा और प्रेमा हाजरा धनबाद के लिए एक डॉक्टर ही नहीं गरीब और समाज के लिए एक मसीहा के रूप में थे। वे हर सुख-दुख में सभी के साथ खड़े रहते थे। दोनों ही चिकित्सक दंपति के एक साथ इस तरह से चले जाने धनबाद ही नहीं झारखंड पश्चिम बंगाल उड़ीसा के लिए सबसे बड़ी क्षति है।
कोलियरी मालिक ने दी हाजरा परिवार को धनबाद में पहचान
धनबाद में हाजरा परिवार का आगमन 1958-59 में हुआ। डॉक्टर विकास हाजरा के पिता स्व. डॉक्टर सीसी हाजरा से कोलियारी मालिक इलाज करवाते थे। वे यहां के जान-माने स्त्री रोग विशेषज्ञ थे। इसके बाद से डॉ. सीसी हाजरा धनबाद में ही बस गए।
डॉ. विकास हाजरा के बचपन के दोस्त धनबाद के दवा व्यवसायी जेडी कुमार उर्फ बॉबी ने बताया कि 1959 में हाजरा परिवार धनबाद आया था। उन्होंने लंबे समय तक धनबाद के लक्ष्मी नारायण अस्पताल में सेवा दी। उसके बाद जब सरकार ने लक्ष्मीनारायण अस्पताल का टेकओवर किया तो डॉ. हाजरा ने लक्ष्मीनारायण अस्पताल के बगल में ही अपना निजी अस्पताल बना लिया। 1981 में यह अस्पताल बनना शुरू हुआ। 1983 में अस्पताल चालू हो गया। 1985-1986 में विकास हाजरा भी मुबंई से पढ़ाई कर लौट आए और पिता के साथ मिलकर ही लोगों को चिकित्सा सेवा में लग गए।
हाजरा परिवार को धनबाद में बसाने में गुजरात के कोलियरी मालिक का बड़ा योगदान था। कोलियारी मालिक धनबाद के कई कोलियरी के मालिक थे।
मां सरस्वती की विदाई का सपना रह गया अधूरा
डॉ. विकास हाजरा मां सरस्वती के अनन्य भक्त थे। वे परिजनों के साथ हर साल मां सरस्वती की अराधना करते थे। सरस्वती पूजा पर रिश्तेदार के साथ-साथ गांव के लोग विभिन्न शहरों से आकर डॉक्टर दंपती के यहां पूजा में शामिल होते थे। इस बार भी बड़े धूमधाम से प्रतिमा स्थापित की गई थी लेकिन पूजा के एक दिन बाद ही डॉक्टर दंपती की मौत हो गई। जिससे मां सरस्वती को विदाई देने का सपना अधूरा रह गया।