मोदी मूंछ तो राहुल पूंछ के बाल... विवादित बोल पर कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर को किया तलब
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में धनबाद की अदालत ने केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के विरुद्ध सुनवाई पर लगी रोक को हटाते हुए उन्हें तीन मई को हाजिर होने का आदेश दिया है।
धनबाद, जेएनएन। केंद्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर दर्ज मामले की सुनवाई मंगलवार को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में हुई। सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता मो. कलाम के अधिवक्ता एचएन सिंह ने अदालत में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इम्तियाज बनाम उत्तर प्रदेश के मामले में 23 मार्च 2018 को पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने छह माह से स्थगन आदेश लगे मामलों की सुनवाई करने की बात कही है। लिहाजा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में इस मामले की भी सुनवाई शुरू की जाए। शिकायतकर्ता की इस दलील का मंत्री श्री तोमर के अधिवक्ता नरेन्द्र कुमार त्रिवेदी ने विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में धनबाद की अदालत ने केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के विरुद्ध सुनवाई पर लगी रोक को हटाते हुए उन्हें तीन मई को हाजिर होने का आदेश दिया है।
राहुल गांधी पर विवाद बोल पर की गई थी शिकायत : धनबाद के भिस्तीपाड़ा निवासी कांग्रेस नेता मो. कलाम आजाद ने अदालत में शिकायतवाद कर आरोप लगाया था कि 19 जनवरी 2016 को धनबाद के टाउन हॉल में भाजपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में मंत्री तोमर ने बयान देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तुलना पूंछ के बाल एवं प्रधानमंत्री मोदी की तुलना मूंछ के बाल से की थी। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी प्रताप चंद्रा की अदालत ने 5 सितंबर 2016 को आजाद द्वारा दायर किए गए इस शिकायतवाद को खारिज कर दिया था। इस आदेश को आजाद ने सत्र न्यायालय में रिवीजन दायर कर चुनौती दी थी। सत्र न्यायालय ने कलाम की याचिका को स्वीकार करते हुए निचली अदालत को फि र से आदेश पारित करने का आदेश दिया था। सत्र न्यायालय के आदेश के आलोक में प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी शिखा अग्रवाल की अदालत ने मंत्री के विरुद्ध भादवि की धारा 506 (आपराधिक अभित्रास) के तहत संज्ञान लेते हुए उन्हें हाजिर होने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट ने लगायी थी सुनवाई पर रोक : मंत्री श्री तोमर ने निचली अदालत द्वारा पारित संज्ञान के इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए 10 अप्रैल 2017 को निचली अदालत में सुनवाई पर अगले आदेश तक रोक लगा रखी थी।