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Dev Uthani Ekadashi 2020: आज देवोत्थान एकादशी और तुलसी विवाह, शादी-विवाह समेत सभी मंगल कार्य होंगे

Dev Uthani Ekadashi 2020 भुईफोड़ मंदिर के पुजारी सुबोध पांडे ने बताया कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से बाहर आते ही सृष्टि में तमाम सकारात्मक शक्तियों का संचार होने लगता है। भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार का दायित्व संभालते हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 09:24 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 09:24 AM (IST)
Dev Uthani Ekadashi 2020: आज देवोत्थान एकादशी और तुलसी विवाह, शादी-विवाह समेत सभी मंगल कार्य होंगे
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं (प्रतीकात्मक फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। Deo Uthani Ekadashi 2020  हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी आज बुधवार को देवोत्थान एकादशी है। कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी व देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पूरे वर्ष में चौबीस एकादशी होती हैं। लेकिन अगर किसी वर्ष मलमास है तो इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इन्हीं में से एक है देवउठनी एकादशी। देवउठनी एकादशी से विवाह समेत सभी मंगल कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी। 

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भगवान विष्णु के योग निद्रा से बाहर आते ही सकारात्मक शक्तियों का होता संचार 

देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी के साथ तुलसी पूजा करने का भी विधान है। महिलाएं एकादशी का व्रत रख परिवार के सुख, समृद्धि की कामना करेंगी।  भुईफोड़ मंदिर के पुजारी सुबोध पांडे ने बताया कि इस दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से बाहर आते ही सृष्टि में तमाम सकारात्मक शक्तियों का संचार होने लगता है। भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार का दायित्व संभालते हैं।  ज्ञात हो कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव-शयन एकादशी कहा जाता है,  इस दिन ही भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं।

देवउठनी एकादशी पर सजेगा गन्नों का मंडप

देवउठनी एकादशी पर भुईफोड़ मंदिरों, खड़ेश्वरी मंदिर आदि जगहों में गन्ने का मंडप सजाकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाएगी। एकादशी से शादी- विवाह समेत सभी मंगल कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी। भगवान विष्णु और लक्ष्मी के साथ तुलसी पूजा करने का भी विधान है।  

देवउठनी एकादशी पूजन का शुभ मुहूर्त

25 नवंबर को दोपहर 02:42 बजे से 26 नवंबर दोपहर 05:10 बजे तक।

तुलसी विवाह

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है। तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ कराया जाता है। आज के दिन तुलसी, शालिग्राम तथा गणेश जी की पूजा की जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह का आयोजन करने पर एक कन्या दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन सूर्यास्त से पहले तुलसी का पौधा दान करने से भी महा पुण्य मिलता है


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