Move to Jagran APP

Baba Baidyanath Worship Dispute: सनातन धर्म में विधायक इरफान का स्वागत, तीर्थपुरोहित के बोल-अंसारी पहले हिंदू थे

Baba Baidyanath Worship Dispute आचार्य कृष्णधन मिश्र ने कहा सनातन धर्म में किसी को मनाही नहीं है। सनातन धर्म को मनाना तो पूरी दुनियां की बाध्यता है। मुसलमान ईसाई लोगों ने ही खुद मंदिर आने से अपने को रोका है। उनको रोका नहीं गया। हमने उनको अलग नहीं किया है।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 07:09 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 07:09 PM (IST)
बाबा बैद्यनाथ मंदिर देवघर में भगवान भोले शंकर की पूजा करते कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ( फाइल फोटो)।

देवघर, जेएनएन। रमजान महीने के पहले दिन बुधवार को जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी ने बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पहुंच कर पूजा अर्चना की। उन्होंने खुद को शिवभक्त बताया। इसके बाद विवाद छिड़ गया है। गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने अंसारी पर हिंदुओं की भावना से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए सरकार से रासुका लगाने की मांग कर डाली है। दूसरी तरफ कई लोगोंं ने अंसारी की शिवभक्ति का स्वागत किया है। तीर्थपुरोहित दुर्लभ मिश्र ने कहा है-अगर कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति सनातम धर्म मानता है तो उसका स्वागत है।

loksabha election banner

धोखे से पूजा नहीं करना चाहिए

जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी ने बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना किया। इसके बाद यह बहस छिड़ गया है कि इस्लाम को मानने वाले शिव की पूजा कर सकते हैं या नहीं....। इस पर एक राय यह आयी है कि सनातन धर्म को मानने वाले हिंदू रीत से आकर शिव की आराधना करते हैं तो उनका स्वागत है। धोखे से आकर पूजा नहीं करना चाहिए। शिव को मानते हैं, शिव के प्रति आस्था रखते हैं तो वह अपनी निष्ठा निभा सकते हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक बाबा बैद्यनाथ का मंदिर कभी वीरभूम नवाब के अधीन हुआ करता था। 1564 में वीरभूम के नवाब अली वर्दी खान ने ताम्र पत्र में इस मंदिर की रियासत दिया था। मंदिर के पुरोहित यहां के चढ़ावा का 60 फीसद राशि चौथ (टैक्स) के रूप में 1772 तक वीरभूम नवाब को भेजते थे। ब्रिटिश शासनकाल में 1972 में बाबा मंदिर तात्कालीन सरदार पंडा रामदत्त ओझा को सौंप दिया था। उसके बाद से नवाब को चौथ जाना बंद हो गया।

डीएनए जांच करा लें सभी पहले हिंदू ही थे

तीर्थपुरोहित दुर्लभ मिश्र ने कहा कि यहां जितने अंसारी लोग हैं, उनका डीएनए करा लिया जाए तो यह पता चल जाएगा कि वह पहले हिंदू ही थे। ब्राह्मणों के अभिमान के कारण कुछ लोग अपने को अकेला समझने लगे और इसका फायदा मुसलमानों ने उठा लिया और धर्म परिवर्तन हो गया। आज कश्मीर में भी राजा गुलाब सिंह ने बैठक कर ब्राह्मणों से कहा था कि जो मुसलमान बन गए हैं उनको वापस हिंदू बना दें। लेकिन नहीं हुआ, आज उसका परिणाम सामने है। तो कोई यदि सनातन धर्म को मानना चाहता है, तो उसका स्वागत है। रही बात विधायक इरफान अंसारी की तो उसे पहले आकर पूछना चाहिए था। बात करते तो उनको भी रोक दिया जाता। उनको कहा जाता कि वह पहले हिंदू रीत को निभाएं, गंगा में स्नान करें। मुंडन कराएं, हम पुरोहित ले जाकर पूजा कराएंगे।

इरफान को हिंदू रीत मानना चाहिए

मिश्र ने एक प्रसंग को जोड़ते हुए कहा कि राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद पूजा करना चाहते थे, उनके समक्ष हिंदू धार्मिक रीत का प्रस्ताव रखा गया। क्योंकि वह इस्लामिक धर्म को मानने वाले थे। जब यह चर्चा उनके पास भेजा गया तो देवघर आने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। इसी तरह केंद्रीय मंत्री फारूख अबदुल्ला देवघर आए थे, तो मंदिर प्रांगण आए और बाबा का पंचशूल का दर्शन कर लौट गए। इरफान के बाबत कहा कि यदि उन्होंने सनातन धर्म को मानकर पूजा अर्चना कर लिया है तो उनको हिंदू रीत मानना चाहिए। यदि केवल राजनीति किए हैं तो यह ठीक नहीं है। 

यह भी पढ़ें: अक्सर विवादों में रहने वाले Congress MLA Irfan Ansari पहुंचे बाबा बैद्यनाथ मंदिर, खुद को बताया शिवभक्त

सनातन धर्म में किसी को मनाही नहीं: कृष्णधन

आचार्य कृष्णधन मिश्र ने कहा सनातन धर्म में किसी को मनाही नहीं है। सनातन धर्म को मनाना तो पूरी दुनियां की बाध्यता है। मुसलमान, ईसाई लोगों ने ही खुद मंदिर आने से अपने को रोका है। उनको रोका नहीं गया है। हमने उनको अलग नहीं किया है। यदि कोई मुसलमान सनातन धर्म मानता है और पूजा करना चाहता है, तो उसे नहीं रोक सकते हैं। हमारे धर्म में ना तो मनाही है और ना ही बाध्यता। देखा जाए तो वह किसी ना किसी रूप में भगवान की ही पूजा करते हैं।

हर जीव में शिव हैं

आचार्य मिथिलेश झा ने कहा कि सनातन धर्म तो आदिकाल से है। सनातन धर्म को काई मानना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। हर जीव में शिव हैं। बाबा भोलेनाथ तो उदार हैं। यदि मंदिर की चर्चा की जाए तो यहां कांवर लेकर आने की परंपरा है। बहुत मुस्लिम हैं जो गंगा में स्नान करने के बाद कांवर लेकर आते हैं। पूजा करने के बाद आर्शीवाद लेकर जाते हैं। तो यह निष्ठा की बात है।

चोरी छिपे नहीं करनी थी पूजा

विद्वान प्रमोद श्रृंगारी ने कहा कि यदि कोई सनातन धर्म को मानता है तो उसे सामने आना चाहिए। हिंदू रीत पर आस्था जताते हुए पूजा करना चाहिए। चोरी छिपे पूजा नहीं करनी चाहिए। कांवर लेकर कई मुसलमान आते हैं, बहुत लोग यह कह देते हैं कि वह अंदर नहीं जाएंगे, हमारा जल अर्पण कर दीजिए। तो यह उसकी श्रद्धा है। लेकिन जिस तरह से विधायक ने चोरी छिपे पूजा किया है, वह गलत है। इस तरह नहीं करना चाहिए था। उनको बता कर हिंदू नियमों को पूरा कर जलार्पण करना चाहिए था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.