Move to Jagran APP

Diwali 2021: देवघर में देसी गाय के गोबर से बन रहे दीये से महानगरों में दिपावली पर जलेंगे दीप, दुबई भी भेजा जाएगा दीया का नमूना

संस्था द शिवा फाउंडेशन व मर्ल रिबर्थ फाउंडेशन ने दीया बनाने का प्रशिक्षण गांव मेदनीडीह और तरडिया की एक दर्जन महिलाओं को दिया है। प्रशिक्षण ले चुकी महिलाओं ने अन्य को भी यह हुनर सिखाया है। दीयों की बिक्री से हम स्वावलंबी बन सकेंगे।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 03:05 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 03:05 PM (IST)
Diwali 2021: देवघर में देसी गाय के गोबर से बन रहे दीये से महानगरों में दिपावली पर जलेंगे दीप, दुबई भी भेजा जाएगा दीया का नमूना
देसी गाय के गोबर से बने दीये ( फोटो जागरण)।

अमित सोनी, देवघर। देसी गाय के संरक्षण को देवघर में बड़ी पहल हुई है। दीप पर्व को लेकर यहां की महिलाएं देसी गाय के दीये बना रही हैं। इनकी मुहिम को लगातार ताकत भी मिल रही है। महाराष्ट्र के मुंबई व मध्य प्रदेश के इंदौर से इनको 53 हजार दीया का आर्डर मिला है। इस काम में जुटी रानी देवी, चिंता देवी, ऊषा व सोनी ने बताया कि आधुनिकता के इस दौर में लोग दीया को भूल रहे हैं। विद्युत झालरों का प्रयोग करने लगे हैं। हमने नया प्रयोग किया है, इसलिए इनकी मांग खूब होगी, इसका भरोसा है। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी यह अच्छी पहल है, क्योंकि मिट्टी की इससे बचत होगी, गोमाता की रक्षा होगी, क्योंकि उनके गोबर का सदुपयोग होगा।

loksabha election banner

सिर्फ देसी गाय के गोबर का उपयोग

खास बात ये कि दीया बनाने में सिर्फ देसी गाय का गोबर इस्तेमाल किया जा रहा है। भैंस या जर्सी गाय के गोबर का इस्तेमाल नहीं कर रहे। हमारा मकसद देसी गायों की प्रजाति को संरक्षण देना भी है। संस्था द शिवा फाउंडेशन व मर्ल रिबर्थ फाउंडेशन ने दीया बनाने का प्रशिक्षण गांव मेदनीडीह और तरडिया की एक दर्जन महिलाओं को दिया है। प्रशिक्षण ले चुकी महिलाओं ने अन्य को भी यह हुनर सिखाया है। दीयों की बिक्री से हम स्वावलंबी बन सकेंगे।

खुशबू के लिए हवन सामग्री का इस्तेमाल

दीया बनाने के लिए हम देसी गाय का गोबर इकट्ठा करते हैं। उसमें मिट्टी, हवन सामग्री, थोड़ा सा चंदन पाउडर, ग्वार गम मिलाते हैं। फिर इसे दीया का रूप देते हैं। प्रशिक्षण ले चुकी महिला एक दिन में एक हजार दीया बना लेती हैं। एक दीया की कीमत चार रुपये तक है। इसकी खासियत है कि इससे तेल बाहर नहीं गिरता है। दीया पूरी तरह जल जाता है। दीया की खूब डिमांड हो रही। मुंबई और इंदौर से 53 हजार दीया का आर्डर मिला है। भुवनेश्वर, कोलकाता व बेंगलुरु में भी बात चल रही है। स्थानीय स्तर पर तो अच्छी बिक्री हो ही रही है। जबलपुर की संस्था मातृभूमि से बात हुई है। वह हमारे दीया का सैंपल सउदी अरब भी भेजेगी। दीया बनाने में लगी सीता देवी, राधिका देवी, जीरा देवी, अनीता व रिंकी कहती हैं कि दीया बनाने के अलावा मिट््टी के बर्तन, गमला, पेंट, और वैदिक प्लास्टर बनाना भी सीखा है। ताकि दीया के बाद इसे बनाकर लगातार रोजगार पाते रहें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.