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फर्जी डीड पर कुंभनाथ सिंह की पत्‍नी के नाम पर गोविंदपुर में छह डिसमिल जमीन का कर दिया दाखिल खारिज

एटी देवप्रभा आउटसोर्सिंग कंपनी के संचालक एलबी सिंह के भाई कुंभनाथ सिंह की पत्‍नी जया देवी के नाम पर गोविंदपुर अंचल कार्यालय में फर्जी डीड तैयार कर छह डिसमिल जमीन का दाखिल खारिज करा दिया गया। यह जमीन साहिबगंज रोड स्थित पाथुरिया मौजा में है।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2022 07:05 AM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 07:05 AM (IST)
ठेकेदार एलबी सिंह का भाई कुंभनाथ सिंह (दाएं)।

जागरण संवाददाता, गोविंदपुर (धनबाद): एटी देवप्रभा आउटसोर्सिंग कंपनी के संचालक एलबी सिंह के भाई कुंभनाथ सिंह की पत्‍नी जया देवी के नाम पर गोविंदपुर अंचल कार्यालय में फर्जी डीड तैयार कर छह डिसमिल जमीन का दाखिल खारिज करा दिया गया। यह जमीन साहिबगंज रोड स्थित पाथुरिया मौजा में है। अंचल कार्यालय का गड़बड़झाला देखिए, जिस डीड (दलील) का उल्लेख करते हुए दाखिल खारिज की प्रक्रिया अपनाई गई, यह न तो गोविंदपुर निबंधन कार्यालय से बना है और ना ही धनबाद निबंधन कार्यालय से। इसके बाद भी मात्र 32 दिनों के अंदर जया देवी के नाम से जमीन का दाखिल खारिज कर दिया गया है।

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यह है मामला

कुंभनाथ सिंह की पत्‍नी जया देवी के नाम से 9 फरवरी 2022 को डीड संख्या 1482 के तहत गोविंदपुर अंचल कार्यालय के पाथुरिया मौजा के खाता संख्या 89, प्लाट संख्या-371 में छह डिसमिल जमीन की खरीद दिखाई गई है। इस डीड में जया देवी का पता आदर्श नगर, सिमलाबहाल कोलियरी, धनबाद दिखाया गया है। उसके पति का नाम कुंभनाथ सिंह दर्ज है। जमीन बेचने वालों का नाम फिरोज असारी, राजेश कुमार सिंह व दीपक कुमार सिंह बताया गया है, जबकि धनबाद व गोविंदपुर के निबंधन कार्यालय से यह जमीन बिकी ही नहीं है।

इधर, जया देवी के नाम से 15 जून 2022 को दाखिल खारिज केस नंबर 2141 (2022-23) के तहत गोविंदपुर अंचल कार्यालय में उक्त छह डिसमिल जमीन के दाखिल खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। 27 जून को डीलिंग अस्सिटेंट परमानंद प्रसाद के लॉगिन में आवेदन जाता है। 30 जून को राजस्व कर्मचारी दिव्या सिंह आवेदन को दाखिल खारिज के लिए पास करती हैं। दो जुलाई 2022 को अंचल निरीक्षक यशवंत कुमार सिन्हा भी आवेदन को पास कर देते हैं और 14 जुलाई 2022 को अंचल अधिकारी रामजी वर्मा उक्त जमीन का दाखिल खारिज कर देते हैं। 17 जुलाई 2022 को शुद्धि पत्र निर्गत होता है और 32 दिनों के अंदर दाखिल खारिज का निष्पादन कर दिया जाता है।

इधर, जांच पड़ताल में पता चला है कि सादे कागज में क्रेता-विक्रेता का नाम अंकित कर उक्त जमीन का दाखिल खारिज करा लिया गया है। इसमें न तो रजिस्ट्री कार्यालय का सीरियल नंबर है और न ही दलील संख्या। न तो रजिस्ट्रार का हस्ताक्षर है और न ही रजिस्ट्री कार्यालय का मुहर। फिर भी इस जमीन का कैसे दाखिल खारिज कर दिया गया, यह जांच का विषय है। कुंभनाथ सिंह की पत्‍नी के नाम पर जो पंजी टू बनी है, उसमें जमीन मालिकों से जमीन कटकर उसका भाग वर्तमान में 10 एवं पृष्ठ संख्या- 68 है।

यह है नियम

किसी भी जमीन के दाखिल खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। तब वह सीओ के लॉगिन में दिखता है। उनके स्तर से अग्रसारित होने के बाद ऑपरेटर के लॉगिन व डीलिंग अस्सिटेंट के लॉगिन से होते हुए राजस्व कर्मचारी के लॉगिन में जाता है। इसके बाद दाखिल खारिज करने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। राजस्व कर्मचारी के पास से आवेदन अग्रसारित होने के बाद अंचल निरीक्षक के लॉगिन में फॉरवर्ड होता है। अंचल निरीक्षक की ओर से आवेदन को अग्रसारित करने बाद उस जमीन का सीओ दाखिल खारिज करते हैं, लेकिन कुंभनाथ सिंह की पत्‍नी जया देवी के नाम से दिए गए कागजात की बिना जांच किए ही एक दूसरे के लॉगिन में आवेदन को अग्रसारित कर जमीन का दाखिल खारिज कर देना गोविंदपुर अंचल कार्यालय के गड़बड़झाला को उजागर करता है।

सीओ बोले, जांच के बाद ही कहा जा सकता है कुछ भी...

मामले में पूछे जाने पर गोविंदपुर के अंचल अधिकारी रामजी वर्मा ने कहा कि कुंभनाथ सिंह की पत्‍नी जया देवी के नाम पर जमीन का दाखिल खारिज कैसे हुआ है, इस बारे में पंजी की जांच करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।


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