मायका शब्द मां से नहीं पिता से बना : प्रदीप भैया
पंचेत चिरकुंडा के जूनकुदर में चल रहे हनुमंत कथा के तीसरे दिन कथावाचक प्रदीप भैया ने कहा कि अत्याचारी व लूटने वाले का विरोध नहीं करना अन्याय है।
पंचेत : चिरकुंडा के जूनकुदर में चल रहे हनुमंत कथा के तीसरे दिन कथावाचक प्रदीप भैया ने कहा कि अत्याचारी व लूटने वाले का विरोध नहीं करना अन्याय है। न्याय प्रिय भाई को दंडित करना गलत है। इसी कारण मुगलों ने हमला कर हिदू धर्म का नुकसान किया। हिदू समाज की कुरीतियों के कारण मुगल घोड़े के आगे गाय बांध देते थे। जिससे हिदू हमला नहीं कर पाते थे। मायका शब्द का वर्णन करते हुए बताया कि मायका शब्द मां से नहीं बल्कि पिता से बना है। जब बिटिया को पता चलता है कि पिता नहीं रहे तो वह दहाड़ मार कर रोती है। उसे पता है कि अब भाई-भाभी के चाहने पर ही मायके आना होगा। जैसे ही सीता जी ने हनुमान को पुत्र मान लिया। उसी समय हनुमान ने माता सीता के सामने भूख लगने की बात कही। उन्होंने माता सीता से अशोक वाटिका का फल खाने की इजाजत मांगी। जहां जहां कीर्तन होता सिया राम नाम का लगता है और सेहरा वीर हनुमाना का। हनुमान जी राम के दूत थे। फिर भी रावण ने हनुमानजी के प्यारे पूंछ में आग लगाने को कहा। विभीषण का घर नहीं जला। हनुमंत कथा सुनने बड़ी संख्या में महिला-पुरुष पहुंचे थे। पूर्व बियाडा अध्यक्ष विजय झा, बिनय सिंह, कृष्ण लाल रूंगटा, रवि गड्यान, उपेंद्र नाथ पाठक, गौतम मंडल, धीरज सिंह, स्वरूप सरकार, रिटू पाठक, रंजीत पासवान आदि ने हनुमंत कथा का आनंद उठाया।