CMPF: सीसीएल के 38 मृत सेवानिवृत्त कर्मचारियों के नाम पर 1.88 करोड़ का गबन
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि जितना भी पैसा उठाया गया सभी मृत कर्मियों के हैं। दावेदार एक ही लेकिन कई कर्मचारी के लिए बेटा-बेटी बन गए। एक ही बेटी तीन-तीन जगह दावा कर रही है।
धनबाद, आशीष अंबष्ठ। कोल माइंस भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफ) में पीएफ भुगतान में बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है। कोल इंडिया की सहयोगी इकाई सीसीएल की नॉर्थ कर्णपुरा एरिया की पूरनाडीह, केडीएच, चुरी, बड़का सियाल परियोजना के 38 मृत कोलकर्मियों के 1 करोड़ 88 लाख 32 हजार 486 रुपये गलत दस्तावेज के सहारे उठा लिए गए।
सीबीआइ जांच की सिफारिशः निकासी की सारी राशि कॉरपोरेशन बैंक रामगढ़ ब्रांच भेजी गई। सारा खेल सीएमपीएफ की रांची रीजनल (वन) से संबंधित है। सबसे बड़ी बात यह कि कई मृत कर्मियों के दावेदार एक ही पुत्र व पुत्री बनकर दावा कर पैसे उठा लिए। कागजात की जांच के बाद धनबाद मुख्यालय में अधिकारियों की नींद हराम हो गई है। सीएमपीएफ मुख्यालय ने पूरे मामले की जांच सीबीआइ को चार अप्रैल को दे दी।
क्या है मामला : सेंट्रल कोल फील्ड लिमिटेड में कार्यरत कर्मियों के पीएफ अकाउंट में पांच से बीस साल के बीच उनका अंशदान आना बंद हो जाता है। लंबे समय तक अंशदान व दावेदारी पेश नहीं किए जाने के बाद इस एकाउंट को नॉन अफेक्टिव लेजर पर डालने का प्रावधान है, लेकिन कुछ साल के बाद अचानक उस एकाउंट से गलत तरीके से गलत मृत्यु प्रमाण पत्र व पारिवारिक विवरण बनाकर दावेदारी पेश कर राशि उठा ली गई।
दो लोग ही बने 38 दावेदारों के पहचान करने वाले : सबसे बड़ी बात यह है कि तमाम सीपीएमएफ सदस्यों की पहचान करने वाले दो ही व्यक्ति हैं। मृत कोल कर्मियों के दावेदार सदस्यों के अकाउंट में पैसा जाने के बाद हर दूसरे-तीसरे दिन आरटीजीएस और एनईएफटी से पैसे पहचान करने वाले के एकाउंट में ट्रांसफर हुए। तमाम पैसे कॉरपोरेशन बैंक रामगढ़ ब्रांच में ट्रांसफर किए गए जो संदेह के घेरे में हैं।
जाली कागजात तैयार कर खेल : प्रारंभिक जांच में पता चला है कि जितना भी पैसा उठाया गया, सभी मृत कर्मियों के हैं। दावेदार एक ही लेकिन कई कर्मचारी के लिए बेटा-बेटी बन गए। एक ही बेटी तीन-तीन जगह दावा कर रही है जो गड़बड़ी को और पुख्ता करती है। जांच के क्रम में पता चला है कि जो मृत्यु प्रमाण पत्र और पारिवारिक सूची सीएमपीएफ में उपलब्ध कराई गई है वह एक ही हैंड राइटिंग और हस्ताक्षर की है। प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि पहचान करने वाले त्रिपुरारी कुमार और उसकी पत्नी नूतन देवी के खाते में 90 फीसद राशि आरटीजीएस और एनईएफटी के माध्यम से गई है। कुछ राशि विनोद कुमार, लवली ब्यूटी पार्लर, रामगढ़ के खाते में भी गई है।
तीन साल में हुआ सारा खेल : गुप्त सूचना के आधार पर विजिलेंस ने जब जांच शुरू की तो पता चला कि एक ही बैंक में खाते खुले हैं। दावा करने के एक या दो महीने पहले खाता खुला और सारा पैसा ट्रांसफर किया गया। मामला 2016 से लेकर 2018 के बीच जांच के दायरे में आया।
विजिलेंस जांच में गड़बड़ी मिली है। राशि का भुगतान हुआ है। सीसीएल की केडीएच व पुरनाडीह परियोजना क्षेत्र का मामला है, जो रांची सीएमपीएफ वन का है। मुख्यालय की टीम इस पर विभागीय जांच कर रही है। सीबीआइ से जांच के लिए अनुशंसा कर दी गई है।
- अनिमेष भारती, प्रभारी आयुक्त व कोल मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार