धनबाद के जलसंकट व कुआं-तालाब के जीर्णोद्धार पर CPCB ने मांगी रिपोर्ट, नहीं हो रहा कुएं-तालाबों का जीर्णोद्धार
धनबाद और झरिया में भूमिगत जल का भरपूर दोहन हो रहा है। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में अधिकतर कुएं या तो अतिक्रमण के शिकार हैं या बंद हो चुके हैं इसलिए कुआं और तालाबों का जीर्णोद्धार होना काफी जरूरी है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। धनबाद में वायु प्रदूषण के बाद जल प्रदूषण की मौजूदा स्थिति पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने संज्ञान लिया है। सीपीसीबी ने धनबाद में जल संकट का हवाला देते हुए तालाब एवं कुआं दोनों में प्रदूषण के स्तर और जीर्णोद्धार का ब्योरा मांगा है। इसको लेकर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को पत्र लिखकर धनबाद से मिली शिकायतों पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। निवर्तमान पार्षद निर्मल मुखर्जी ने सीपीसीबी से धनबाद में जल संकट, कुआं और तालाबों के जीर्णोद्धार न होने की शिकायत की थी। इसके न होने से तालाब एवं कुआं का पानी प्रदूषित हो रहा है। इस पर बोर्ड ने जांच कर जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा है।
शहर में तालाब और कुएं अतिक्रमण का हैं शिकार
धनबाद शहरी क्षेत्र में कुल 108 कुआं और 34 तालाब है। इनमें से अधिकतर कुएं या तो अतिक्रमण के शिकार हैं या बंद हो चुके हैं। तालाब की बात करें तो लगभग सभी तालाब अतिक्रमण के शिकार हैं। इनके जीर्णोद्धार का अभी तक प्लान ही बन रहा है। 28 मार्च के अंक में दैनिक जागरण ने भी तालाब एवं कुओं की जर्जर स्थिति पर कुआं-तालाब भरा तो जाएंगे जेल शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था।
यह भी बताया था कि इन सब कारणों से धनबाद का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। कई इलाके तो ऐसे भी हैं जहां अब 150 फीट में भी पानी मिलना मुश्किल हो गया है। तालाबों का अतिक्रमण और कुओं की भराई इसका एक बड़ा कारण है। इन दोनों चीजों से जलस्तर ठीक रहता है, लेकिन यही अब तेजी से खत्म होते जा रहे हैं।
सात वर्षों में साढ़े छह मीटर तक नीचे गया जलस्तर
पेयजल विभाग के अनुसार, पिछले छह वर्षाें में जिले के विभिन्न हिस्साें में भूगर्भ जल का स्तर 3.8 से 6.7 मीटर नीचे चला गया है। विशेषज्ञ इस स्थिति को खतरनाक बता रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार से अधिक चापाकल बेकार हो गए हैं। शहरी इलाकों के 400 चापाकल भी पानी नहीं दे रहे हैं। यही स्थिति रही ताे आने वाले वर्षाें में जलसंकट काफी गंभीर हाे जाएगा। धनबाद राज्य का दूसरा जिला है, जहां भूगर्भ जलस्तर सबसे कम है।
धनबाद और झरिया में हो रहा भूमिगत जल का भरपूर दोहन
धनबाद और झरिया में भूमिगत जल का काफी दोहन किया गया है। धनबाद में 107.5 फीसदी और झरिया में 127 फीसदी जल दोहन किया गया। पिछले वर्ष तक शहरी क्षेत्रों में 14 मीटर पर पानी मिल जाता था अब 17 मीटर पर मिल रहा है। कोलियरी क्षेत्रों 14 से 15 मीटर में पानी मिल जाता था, अब 17 से 18 मीटर पर मिल रहा है।