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गऊ तस्करों की हिम्मत, बड़े साहब और पुलिसिया सेवा Dhanbad News

गऊ तस्कर और पैरोकार कुल तीन लोग बड़े साहब की कोठी पर पहुंचे। राजनीतिक एप्रोच लगाकर पहुंचे थे। इसीलिए साहब ने आवासीय दफ्तर में मिलने के लिए बुलाया। चाय-पानी से स्वागत किया।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 09:50 AM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 09:50 AM (IST)
गऊ तस्करों की हिम्मत, बड़े साहब और पुलिसिया सेवा Dhanbad News
गऊ तस्करों की हिम्मत, बड़े साहब और पुलिसिया सेवा Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। गऊ तस्करी में कितनी कमाई है और किन-किन लोगों तक चढ़ावा चढ़ता है, अंदाजा लगाना मुश्किल है। इसीलिए गऊ भक्ति में शामिल सरकार में भी तस्करी उतार-चढ़ाव के साथ जारी है। इसीलिए तस्कर और इसकी पैरोकारी करने वालों की हिम्मत की पूछिए मत।

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गऊ तस्कर और पैरोकार कुल तीन लोग बड़े साहब की कोठी पर पहुंचे। राजनीतिक एप्रोच लगाकर पहुंचे थे। इसीलिए साहब ने आवासीय दफ्तर में मिलने के लिए बुलाया। चाय-पानी से स्वागत किया। बात शुरू हुई तो तस्करों का डर जाता रहा। खुलकर बात शुरू कर दी। फरमाया, पहले वाले साहब को इतना देते थे, आपको बढ़ा कर देंगे। किसलिए यह सब बात हो रही थी साहब समझ नहीं पा रहे थे। साहब ने पूछा तो जवाब मिला-गऊ तस्करी। इसके बाद तो पूछिए मत। साहब शुरू हो गए-दे दना दन। जमकर आवभगत भगत की। एक के मुंह से तो खून निकलना शुरू हो गया। इसे देख दो के मुंह की आवाज ही बंद हो गई। सेवा करते-करते साहब जब थक गए तो शांत हुए। फिर रुमाल निकाल कर दिया। खून पोछने का आदेश दिया। साफ सफाई के बाद कहा दफा हो जाओ। इसके बाद तस्कर गिरते पड़ते भागे।

दंग रह गए विधायकजीः विधायकजी को इसकी तनिक भी उम्मीद नहीं थी। उनकी आंखों के सामने ही कोई दावेदारी का खम ठोक दे। हुआ यूं कि राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री क्लास ले रहे थे। एक-एक विधानसभा की जमीनी हालात से रूबरू हो रहे थे। प्रदेश के नेताओं से लेकर विधानसभा क्षेत्र के छोटे बड़े सब नेता मौजूद थे। यह सब विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने के लिए हो रहा था। टिकट काटने और देने का आधार रिपोर्ट कार्ड बनना है। विधायकजी बेफिक्र थे। कुछ नहीं मिलता है तो विश्वविद्यालय को अपनी उपलब्धि गिनाते रहते हैं। बैठक में वह खूब बोले। लेकिन कोई हां में हां मिलाने वाला नहीं मिला। माहौल हल्का हुआ जो राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री ने पूछ लिया टिकट के कितने दावेदार हैं। जवाब मिला चार-पांच। विधायकजी का चेहरा देखने लायक था। उनके सामने ही टिकट के चार-पांच दावेदार खड़े थे। सामने खड़ा होकर, वो भी पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार के सामने कोई टिकट की दावेदारी करेगा यह विधायकजी ने सपने में भी नहीं सोचा था। यह सब खतरे की घंटी के समान हुआ। जो भी हुआ उसके पीछे विधायकजी को साजिश नजर आ रही है। इस साजिश के पीछे कौन है, पता लगवा रहे हैं।

झाजी छोड़ गए पुडिय़ाः झाजी जैसे आए थे चले गए। किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। हश्र क्या होगा, सबको मालूम था। लेकिन झा जी एक पुडिय़ा छोड़ गए। यह पुडिय़ा झाजी के प्रतिद्वंदी से जुड़ा है। सोशल नेटवर्क के माध्यम से राजनीतिक लोगों के बीच घूम रही है। खूब चर्चा हो रही है। इसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप भी चल रहा है। सत्ताधारी पार्टी के लोग एक-दूसरे को संदेह की नजर से देख रहे हैं। पुडिय़ा बता रही है कि पान की तरह विरोधियों को चबा जाने वाले सीधे-सादे नहीं हैं। कंबल ओढ़कर घी पीते हैं। मामला इंटरनेशनल है। हैदराबाद की बड़ी कंपनी, मोजांबिक में माइंस की लाईजनिंग और मोटी रकम हांगकांग ट्रांसफर का कनेक्शन है। सोशल नेटवर्क में पुडिय़ा सार्वजनिक होने के बाद फेसबुक से हांगकांग की तस्वीर डिलीट हो गई। तस्वीर का डिलीट होना भी संदेह को बल प्रदान कर रहा है।

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