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    Constitution Day 2021: हमारा संविधान देता समानता और स्वतंत्रता का अधिरकार ! पढ़ें-इसकी प्रस्तावना

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Fri, 26 Nov 2021 10:42 AM (IST)

    Constitution Day 2021 आजाद भारत के इतिहास में 26 नवंबर का दिन बहुत खास है। 15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद 26 नवंबर 1949 को ही भारत ने अपना संविधान अपनाया था। हालांकि यह लागू 26 जनवरी 1950 को हुआ।

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    26 नवंबर, 1949 को तैयार हुआ भारत का संविधान ( प्रतीकात्मक फोटो)।

    जागरण संवाददाता, धनबाद। भारत में आज संविधान दिवस ( Constitution ) मनाया जा रहा है। इस खास अवसर पर देश और प्रदेशों के साथ ही धनबाद में जिला स्तर पर भी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। आजाद भारत के इतिहास में 26 नवंबर का दिन बहुत खास है। हम सब जानते है कि 26 नवंबर संविधान दिवस है। भारत ने औपचारिक रूप से 26 नवंबर 1949 को ही संविधान को अपनाया था। हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इस कारण प्रत्येक साल हम 26 नवंबर को सविधान दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं। हमारा संविधान दुनिया के लोकतांत्रिक देशों में सबसे अच्छा कहा जा सकता है। यह समानता और स्वतंत्रता का समान अधिकार देता है। यह सब इसकी प्रस्तावना में ही स्पष्ट है।

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    भारतीय संविधान की प्रस्तावना

    ''हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढाने के लिए, दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949  को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।''

    दो साल 11 महीने और 18 दिन के मेहनत का परिणाम भारत का संविधान

    भारत में संविधान को तैयार करने में कुल दो साल 11 महीने और 18 दिन लगे। हमारा संविधान देश के हर नागरिक को आजाद भारत में रहने का समान अधिकार देता है। संविधान दिवस को मनाना का एक मात्र उद्देश्य वेस्टर्न कल्चर के दौर में देश के युवाओं के बीच में संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देना है। इसके अलावा हमारे देश के संविधान के निर्माण में डॉ. भीमराव अम्बेडकर का सबसे प्रमुख रोल था, इसलिए संविधाव दिवस उन्हें श्रद्धाजंलि देने के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है।

    इसलिए पड़ी भारतीय संविधान की जरूरत

    स्वतंत्रता आंदोलन के परिणास्वरूप जब देश से अंग्रेजों का शासनकाल खत्म होने वाला था तब भारत को एक ऐसे कानूनी किताब की जरूरत थी जिससे देश में रहने वाले सभी धर्म के लोगों के बीच एकता, समानता बनी रहे। इस किताब की जरूरत थी ताकि देश एकजुट हो और सभी लोगों को बिना किसी भेदभाव के सभी अधिकार मिले.। जिसे देखते हुए स्वतंत्रता सेनानियों के बीच संविधान बनाने की मांग उठने लगी थी। इसके मद्देनजर एक संविधान सभा बनाई गई। इस सभा की पहली बैठक साल 1946 में 9 दिसंबर के दिन हुई। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में हुई इस बैठक में 207 सदस्य मौजूद थे। यहां यह बताते चलें कि जब संविधान सभा का गठन हुआ तो उस वक्त इस सभा में 389 सदस्य थे लेकिन बाद में उनकी संख्या कम होकर 299 हो गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आजादी के बाद जब देश का विभाजन हुआ तो कुछ रियासतें इस सभा का हिस्सा नहीं रही और सदस्यों की संख्या घट गई। 

    बाबा साहब के नेतृत्व में ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन

    संविधान सभा की 29 अगस्त 1947 में हुई बैठक में बड़ा फैसला हुआ और डॉ भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन हुआ। इसके बाद 26 नवंबर 1949 को यानी आज ही के दिन इसको स्वीकार किया गया और बाद में 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। 

    संविधान निर्माताओं को सच्ची श्रद्धांजलि है संविधान दिवस

    भारत के संविधान ने भारत को एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया इसी कारण 26 नवंबर 2015 से भारत में हर 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। अवर न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार निताशा बारला ने कहा कि 26 नवंबर को भारत के संविधान के सम्मान करने के लिए संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे राष्ट्रीय कानून दिवस या संविधान दिवस भी कहा जाता है। 26 नवंबर को सिविल कोर्ट धनबाद में तमाम न्यायिक पदाधिकारी, सिविल कोर्ट कर्मचारी अधिवक्ता गण संविधान के प्रस्तावना को पढेंगे और उसे आत्मसात करने की शपथ ली लेंगे।

    दुनिया का सबसे बड़ा लिखिति संविधान

    वरीय अधिवक्ता पंकज प्रसाद ने कहा कि भारतीय संविधान में प्रत्येक भारतीय के लिए न्याय, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की घोषणा की गई है । भारत का संविधान दुनिया के किसी भी देश द्वारा लिखा जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा, लंबा संविधान है ।भारत का संविधान राजनीतिक संरचना के निर्माण और सरकार के कर्तव्यों का वर्णन करता है। अधिवक्ता श्रीयांस रिटोलिया ने कहा कि भारत का संविधान प्रत्येक भारतीयों को एक मानव के रूप में उनके मौलिक अधिकार देता है । भारत के संविधान का उत्सव मनाया जाना आज के परिप्रेक्ष्य में अति आवश्यक है। 

    भारतीय संविधान में लिखे गए हर शब्द समझने योग्य

    अधिवक्ता हुसैन हैकल ने कहा कि हमें भारतीय संविधान में लिखे गए हर शब्द को समझना चाहिए और उस पर कायम रहना चाहिए ,क्योंकि यह एक दिशा निर्देश प्रदान करता है कि हर भारतीयों को खुद को संविधान के प्रस्तावना के अनुकूल कायम कैसे रखना है। धनबाद बार एसोसिएशन के महासचिवअधिवक्ता जितेंद्र कुमार ने भारत के संविधान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब भारत के संविधान को अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक स्वराज और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था ।भारत का संविधान पूरे विश्व में सबसे अनोखा संविधान है जो हमारे अंदर ज्ञान के दीप को हमेशा प्रज्वलित रखता है । संविधान दिवस का मनाया जाना हमारे लिए इसलिए आवश्यक है कि हमारे देश के लोग उसका सम्मान कर सके और इनकी महत्ता को समझ सके।

    बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता अमरेंद्र सहाय ने भारतीय संविधान दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संविधान दिवस वह तरीका है जिसे हम मना कर अपने देश के संविधान निर्माताओं को सच्ची श्रद्धांजलि प्रदान कर सकते हैं । यह काफी आवश्यक है कि हम अपने आने वाली पीढ़ियों को अपने देश के स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्ष और संविधान की मूलभूत भावनाओं को समझा सकें। आज लोग जनतंत्र के महत्व को दिन प्रतिदिन भूलते जा रहे हैं यही वह तरीका है जिसके द्वारा हम संविधान निर्माताओं को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।