Reverse Migration:नंगे पैर पैदल घर लाैटे प्रवासियों के लिए अब कंपनियां भेज रहीं कार, लॉकडाउन अवधि का वेतन भी
तामिलनाडु में केइसी कंपनी बिजली टावर लगा रही है। बगोदर विष्णुगढ़ एवं गोमिया के 30 मजदूर वहां फंसे थे। सभी मजदूरों को लॉकडाउन की अवधि का वेतन बैंक खाते में डाल दिया गया है।
गिरिडीह [ दिलीप सिन्हा ]। लॉकडाउन में झारखंड के लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर लौट गए। अब रोजगार के लिए मजदूर परेशान हैं। इसबीच पूरे देश में बिजली ट्रांसमिशन लाइन का नेटवर्क खड़ा करनेवाली कंपनियां इन मजदूरों को काम पर वापस आने को तरह-तरह के ऑफर दे रही हैं। कई कंपनियों ने लॉकडाउन अवधि का वेतन मजदूरों के अकाउंट में डाल दिया है। नतीजा करीब तीन हजार प्रवासी मजदूर जो बाहर फंसे थे, घर वापसी के बजाय काम पर लौट गए हैं। ट्रांसमिशन कंपनियों के प्रस्ताव पर गिरिडीह, हजारीबाग एवं कोडरमा के 20 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर काम पर लौटने की तैयारी कर रहे हैं। रेल यातायात सामान्य होते ही ऐसे मजदूर काम पर लौट सकते हैं।
इन राज्यों में ट्रांसमिशन लाइन में काम कर रहे झारखंड के मजदूर
अडानी, एलएंडटी, बजाज समेत एक दर्जन से अधिक कंपनियां उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, तामिलनाडु, तेलांगना, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, ओडिशा में ट्रांसमिशन लाइन का काम कर रहीं हैं। ये बड़े टावर लगाती हैं। गिरिडीह, हजारीबाग, बोकारो एवं कोडरमा जिले के हजारों मजदूर इनमें काम करते हैं। कंपनियों के पेटी ठेकेदार झारखंड के हैं। ऐसे ही पेटी ठेकेदार महेंद्र ने बताया कि विभिन्न राज्यों में फंसे तीन हजार मजदूर जो लौट नहीं सके वे लॉकडाउन अवधि का वेतन मिलने के बाद काम पर वापस चले गए हैं।
कंपनियां दे रहीं तरह-तरह के ऑफर
केइसी कंपनी में मजदूरों को भेजनेवाले महेंद्र कुमार बताते हैं कि तामिलनाडु में कंपनी बिजली टावर लगा रही है। बगोदर, विष्णुगढ़ एवं गोमिया के 30 मजदूर वहां फंसे थे। सभी मजदूरों को लॉकडाउन की अवधि का वेतन दे दिया है। ये मजदूर घर नहीं लौटे बल्कि वहां काम पर चले गए हैं। केइसी कंपनी का तेलंगाना में काम चल रहा है। वहां के अधिकारी ने कहा है कि कंपनी बस भेज देगी, मजदूर वापस काम पर आएं। मजदूर बस से जाने से कतरा रहे हैं। रेल सेवा सामान्य होने परे वापस लौट जाएंगे। महेंद्र उत्तर प्रदेश के कानुपर के दिबियापुर से एलएंडटी में टावर लगाने के काम में लगे 30 मजदूरों को करीब एक लाख रुपये खर्च कर वापस बगोदर एवं विष्णुगढ़ लाए थे। मजदूरों को लाने में जो एक लाख रुपये खर्च किए उसका भुगतान करने को कंपनी तैयार है। वापसी में जो खर्च होगा, कंपनी देगी। बगोदर प्रखंड के ढिबरा के रहनेवाले सुरेश कुमार महतो समेत बगोदर एवं विष्णुगढ़ के 30 मजदूर अडानी कंपनी की गोड्डा ट्रांसमिशन लाइन में काम करते हैं। सुरेश ने बताया कि हम सभी मजदूर काम पर लौट आए हैं। हमें लॉकडाउन की अवधि का वेतन मिल गया है।
दस हजार रुपये हर माह भेजते घर
प्रवासी मजदूरों के लिए काम करनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने बताया कि ट्रांसमिशन लाइन में इस इलाके के 30 हजार से अधिक मजदूर काम करते हैं। इनको 12 से लेकर 15 हजार तक वेतन प्रति माह कंपनी देती है। मजदूर दस हजार रुपये हर माह अपने घर भेजते हैं। मजदूर काम पर लौटने को तैयार हैं। कारण, यहां रोजगार का विकल्प नहीं है।