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Jharia Fire Area: जामा मस्जिद के जमींदोज होने से आश्चर्यचकित नहीं सिजुआ, इस कारण पहले ही मिट चुका छोटी मस्जिद का अस्तित्व

तेतुलमुड़ी 22- 12 बस्ती में भू-धसान व घर की दीवारों में दरार पडऩे की घटना नïई नहीं है। इसके पूर्व आधे दर्जन से अधिक घर धराशायी हो चुके हैं। छोटी मस्जिद का अस्तित्व तो पहले ही खत्म हो चुका था।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 09:52 AM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 09:52 AM (IST)
भूमिगत आग और धंसान से प्रभावित सिजुआ क्षेत्र का जामा मस्जिद ( फोटो जागरण)।

संवाद सहयोगी, सिजुआ। बीसीसीएल के सिजुआ क्षेत्र की मोदीडीह कोलियरी के अग्नि व भूधंसान प्रभावित तेतुलमुड़ी 22-12 बस्ती स्थित जामा मस्जिद का बड़ा हिस्सा बुधवार की शाम करीब पौने सात बजे तेज आवाज के साथ जमींदोज हो गया। इससे बस्ती में हड़कंप मच गया। गनीमत रही कि उस समय मस्जिद में कोई नहीं था। इस मस्जिद में सौ से अधिक नमाजी पांचों वक्त की नमाज अदा करते हैं। घटना से कुछ देर पहले ही मगरिब की नमाज अदा कर मस्जिद से लोग बाहर निकले थे। हालांकि लोग इस घटना से बहुत आश्चर्यचकित नहीं हैं। क्योंकि इस तरह की घटनाएं झरिया फायर एरिया में होती रहती हैं।

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वर्ष 2018 में जामा मस्जिद के परिसर की जमीन में हुआ था विस्फोट

तेतुलमुड़ी 22- 12 बस्ती में भू-धसान व घर की दीवारों में दरार पडऩे की घटना नïई नहीं है। इसके पूर्व आधे दर्जन से अधिक घर धराशायी हो चुके हैं। छोटी मस्जिद का अस्तित्व तो पहले ही खत्म हो चुका था, लेकिन पूर्व की घटनाओं पर ना तंत्र और ना ही प्रबंधन कभी गंभीरता से लिया। आज धराशायी हुए जामा मस्जिद की दीवारों में भी पहले ही दरार पड़ चुकी थी। वर्ष 2018 में जामा मस्जिद के परिसर की जमीन में विस्फोट हुआ था।

हाल की घटनाओं पर गौर करें तो 31 जुलाई की रात मो. अनसारुल हक का दो मंजिला मकान ढह गया था। उस समय लगातार बारिश हो रही थी। परिणाम स्वरूप अनसारुल के घर के पास ही करीब 15 फीट चौड़ाई व 20 फीट गहराई का गोफ बन गया था। अनसारुल मकान ढहने से काफी पहले ही वे लोग दूसरे मकान में शिफ्ट हो गए थे।

कई टीम आई-गई, नहीं निकला परिणाम

11 सितंबर को कोयला मंत्रालय की तकनीकी टीम ने तेतुलमुड़ी 22- 12 बस्ती का दौरा किया था। प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर भू-धसान क्षेत्र में रहनेवाले रैयत व गैर रैयतों को सुरक्षित जगह पर बसाने व इसमें आ रही अड़चनों के बाबत जानकारी हासिल करने टीम आई थी। टीम ने धराशायी हुए मकानों, छोटी मस्जिद, क्षतिग्रस्त घरों, गांव के मौजूदा स्थिति को अपने मोबाइल में कैद किया था। गांव में रहने वाले कोल कर्मी गैर कोल कर्मी तथा रैयतों के बारे में भी जानकारी हासिल की थी। तत्कालीन सिजुआ क्षेत्रीय कार्यालय के समक्ष पूर्व मंत्री स्व. ओपी लाल की अगुवाई में चले ग्रामीणों के आंदोलन के बाद इसरो की टीम गांव आई थी। टीम ने जमीन के अंदर धधक रही आग का तापमान मापा था।

मस्जिद के आसपास 1500 की आबादी

तेतुलमुड़ी 22-12 बस्ती की पथ एक ओर मस्जिद तो दूसरी ओर करीब पंद्रह सौ की आबादी है। जिसमें लगभग 45 घर रैयतों के तथा शेष गैर रैयतों के हैं। 1975-1980 के दशक में बीसीसीएल के द्वारा करीब दो सौ लोगों को यहां आवास आवंटित कर बसाया गया था। तभी से गैर रैयत यहीं पर रह रहे हैं। मोदीडीह कोलियरी में कोयला खनन के दौरान इनक्लाइन चलने के बाद जमीन के अंदर आग धधकी थी। धीरे धीरे आग बढ़ती चली गई और तेतुलमुड़ी बस्ती, तेतुलमुड़ी 22-12 बस्ती, मोदीडीह 6-10, जोगता इलाके में फैल गया। जमीनी आग का ही नतीजा है कि मोदीडीह 6-10 काली मंदिर जमींदोज हो गई थी। 22-12 बस्ती में जमीनी सतह से कई जगह गैस का रिसाव होते रहता है।


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