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Commercial Mining: 18 अगस्त को होने वाली 41 कोल ब्लॉकों की नीलामी स्थगित, मजदूर संगठन बता रहे जीत

Commercial Mining नीलामी स्थगित करने की दो वजह हो सकती है। पहला-मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। दूसरा-मजदूर संगठन लगातार विरोध सता रहे हैं। अब मजदूर संगठन अपनी जीत बता रहे हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 11:46 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 11:46 AM (IST)
Commercial Mining: 18 अगस्त को होने वाली 41 कोल ब्लॉकों की नीलामी स्थगित, मजदूर संगठन बता रहे जीत
Commercial Mining: 18 अगस्त को होने वाली 41 कोल ब्लॉकों की नीलामी स्थगित, मजदूर संगठन बता रहे जीत

धनबाद, जेएनएन। Commercial Mining केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने 18 अगस्त को होने वाली 41 कोल ब्लॉकों की नीलामी को दो महीने के लिए टाल दिया है। अब 29 अक्टूबर , 2020 को नीलामी होगी। इसके लिए  नए सिरे से नीलामी कार्यक्रम जारी किए जाएंगे। नीलामी स्थगित करने को लेकर मंत्रालय की तरफ से कोई खास कारण नहीं बताया जा रहा है। हालांकि इसके पीछे दो वजह हो सकती है। पहला-मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। दूसरा-मजदूर संगठन लगातार विरोध सता रहे हैं। नीलामी स्थगित होने से मजदूर संगठन खुश हैं। अपनी जीत बता रहे हैं। 

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आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत वाणिज्यक खनन को मंजूरी 

केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत व्यवसायिक खनन का निर्णय लिया है। 18 अगस्त को 41कोल ब्लॉकों की नीलामी की तारीख निर्धारित की गई थी। इसका मजदूर संगठन विरोध कर रहे हैं।  इसी आलोक में पांचो केंद्रीय ट्रेड यूनियन इंटक, बीएमएस, एचएमएस, एटक ने  2 से 4 जुलाई को कोयला सेक्टर में हड़ताल के 18 अगस्त को फिर से हड़ताल की घोषणा कर रखी है। फिलहाल सरकार ने कोल ब्लॉक की नीलामी 2 महीने के लिए टाल दी है। अब ज्यादा संभावना है कि श्रम संगठन भी अपनी रणनीति में परिवर्तन करने पर विचार करेंगे।

एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष व जेबीसीसीआई सदस्या  रमेंद्र कुमार ने दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए कहा कि स्थितियां अनुकूल नहीं है। कोल ब्लॉक लेने वाले लोग भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। कानूनी अड़चन है। सरकार के खिलाफ जनता और श्रमिकों में आक्रोश है। सीटू के वरीय नेता एवं जेबीसीसीआई सदस्य डीडी  रामानंदन ने कहा कि सरकार की मंशा ही साफ नहीं है और जनता अपनी चट्टानी एकता पर अडिग है। कमर्शियल माइनिंग से देश को लाभ नहीं होने वाला कुछ कारपोरेट घराने को ही लाभ मिलेगा। सरकार की नीति साफ नहीं है। 


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