कॉलम (नब्ज-ए-सेहत) : दो बूंद छोड़िए, दो घूंट लीजिए
धनबाद का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। सुबह से शाम तक अभिभावक यहां टीका लगवाने के लिए बच्चों को लेकर आते हैं। पोलियो से बचाने के लिए यहां के कर्मचारी बच्चों को दो बूंद जिंदगी की देते हैं तो अन्य बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाते हैं।
दिनेश कुमार, धनबाद: धनबाद का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। सुबह से शाम तक अभिभावक यहां टीका लगवाने के लिए बच्चों को लेकर आते हैं। पोलियो से बचाने के लिए यहां के कर्मचारी बच्चों को दो बूंद जिंदगी की देते हैं तो अन्य बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाते हैं। पर बड़े क्या करें? उन्हें भी तो कुछ चाहिए। केंद्र में इसका भी इंतजाम कर लिया गया था। सुबह बच्चों को दो बूंद देनेवाले बड़ों ने शाम को चोरी-चोरी चुपके-चुपके खुद दो घूंट पीने का इंतजाम कर लिया था। लेकिन कहते हैं ना, सावधानी हटी-दुर्घटना घटी। दुर्घटना हो ही गई। असावधानी में केंद्र में आग लग गई। अफसर पहुंचे तो केंद्र में शराब की बोतल देखकर पारा सातवें आसमान पर। उफ! दवा के साथ दारू का भी इंतजाम। जांच का आदेश दे दिया गया। अब पता लगाया जा रहा है कि दो घूंट पीकर कौन ज्यादा बहक गया।
बाघमारा...मच्छर से हारा
अभी सारा तंत्र कोरोना वायरस को भगाने में जुटा है। संक्रमित होने वाले लोगों के इलाज के साथ भविष्य में संक्रमण न हो, इसके लिए वैक्सीन लगाने तक की तैयारी चल रही है। तंत्र का पूरा ध्यान इस काम में लगा है, लेकिन इसमें मच्छर व्यवधान डाल रहे हैं। कोरोना से मुकाबले के बीच यहां माओवाद प्रभावित टुंडी इलाके में मलेरिया के मच्छरों ने दर्जनों लोगों को शिकार बना डाला तो अब फाइलेरिया का भी प्रकोप बढ़ गया है। जांच अभियान चला तो पता चला कि मलेरिया ही नहीं, फाइलेरिया भी तेजी से लोगों को शिकार बना रहा है। साढ़े पांच सौ लोग हाथी पांव के शिकार हो चुके हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रकोप भी उस प्रखंड में दिखा जिसका नाम है बाघमारा। इससे स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ी हुई है। कोरोना के वायरस को खदेड़े या मलेरिया और फाइलेरिया बांट रहे मच्छरों को। प्रयास जारी है।
रविवार पर ‘शनि’ की मार
रविवार को छुट्टी होती है। लोग इस दिन घर-परिवार के बीच रहकर मस्ती करते हैं, लेकिन सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी छुट्टी मनाने लगे तो मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है। गोविंदपुर के स्वास्थ्य केंद्र में भी रविवार को छुट्टी का माहौल था, पर एक जख्मी पहुंच गया। उसे लेकर पहुंचा भी तो कौन, प्रखंड का सबसे बड़ा अधिकारी। इसके बावजूद मरीज को डेढ़ घंटे तक चिकित्सा नहीं मिली। इलाज करे भी तो कौन? डॉक्टर तो थे नहीं। जख्मी जमीन पर कराहता रहा और कर्मी रविवार की छुट्टी का हवाला देते रहे। डॉक्टर के पहुंचने के पहले जख्मी के परिजन वहां पहुंच गए और उसे निजी अस्पताल लेकर चले गए। अब मामले ने तूल पकड़ लिया है। सरकार से लेकर वरीय अधिकारियों तक ट्वीट कर दिया गया। जांच की जा रही है। रविवार को छुट्टी मनाने वालों पर फिलहाल शनि का साया मंडरा रहा है।
रथ भी निकला व्यर्थ
बढ़ती आबादी सबकी चिंता का कारण है। हम सवा अरब से ज्यादा हो चुके हैं। इसी कारण सरकार कोरोना काल में भी लोगों को परिवार नियोजन के लिए प्रेरित कर रही है। इसके लिए पुरुष नसबंदी शिविर स्वास्थ्य केंद्रों में लगाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने पुरुषों को परिवार नियोजन के लिए प्रेरित करने के लिए प्रचार रथ भी निकाला। जगह-जगह लोगों को जागरूक किया गया। बताया गया कि इससे कोई नुकसान नहीं, लेकिन नतीजा सिफर। विभाग लक्ष्य से दूर ही है। काफी कोशिश के बाद ले-देकर 25-30 पुरुषों ने ऑपरेशन के लिए फॉर्म तो भर दिया, पर जब ऑपरेशन की बारी आई तो इनमें से भी कई लापता थे। खोजबीन की गई तो पता चला कि वे सरक चुके हैं। प्रेरणा बेकार गई। अब स्वास्थ्यकर्मियों पर दबाव बढ़ गया है। लक्ष्य तो पूरा करना है। वे फिर जागरूकता की मुहिम पर निकल पड़े हैं।