धनबाद की दुर्गापूजा-1 : मां को गोद में उठा तोड़ दी मजहब की दीवार
कारखाना के बाहर जब एक मुस्लिम और एक ¨हदू युवती मां की प्रतिमा को श्रद्धा से हाथ में उठाए हुए दिखी तो देखने वाले बोल पड़े-मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना।
धनबाद, जेएनएन। यूं तो विजयादशमी 19 अक्टूबर को है लेकिन नवरात्र के शुभारंभ के साथ ही धनबाद कोयलांचल दुर्गापूजा के उल्लास डूब गया है। प. बंगाल की सीमा से दो तरफ से घिरे होने के कारण वहां की लोक संस्कृति का खासा प्रभाव धनबाद पर भी पड़ा है। यही कारण है कि यहां अभी से दुर्गापूजा में मां की भक्ति और लोक संस्कृति के रंग-रूप देखने को मिल रहे हैं। धनबाद शहर में ही करीब 50 पूजा कमेटियां दुर्गापूजा की तैयारियों में युद्धस्तर पर लगी हुई हैं। हर कमेटी एक अलग थीम पर आधारित पूजा पंडाल का निर्माण करवा रही है। मां दुर्गा की प्रतिमा भी एक से बढ़कर एक बन रही हैं।
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना : शहर के लुबी सर्कुलर रोड में बुधवार को एक अलग ही नजारा देखने को मिला। एसएसएलएनटी महिला महाविद्यालय के समीप दुलाल पाल का प्रतिमा निर्माण का कारखाना है। यहां साल भर प्रतिमाएं बनती रहती है। पूजा के मद्देनजर अभी मां दुर्गा की प्रतिमाएं बन रही हैं। कारखाना के बाहर जब एक मुस्लिम और एक ¨हदू युवती मां की प्रतिमा को श्रद्धा से हाथ में उठाए हुए दिखी तो देखने वाले बोल पड़े-मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना। पूजा तो पूजा है, चाहे किसी की भी की जाए, श्रद्धा तो श्रद्धा है चाहे किसी पर हो। एक लड़की लवली जब मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करने ले जाने लगी तो उसकी दोस्त आफरीन मदद के लिए आ गई और दोनों देवी की प्रतिमा को अपने हाथों से उठा कर ले गईं।